पदार्पण देवी दुर्गा का
पदार्पण देवी दुर्गा का
एक ऐसा अनुभव एक ऐसा एहसास जो ऊपर वाले ने हम औरतों को तोहफे में दिया है क्योंकि हम ही हैं जो नौ महीने बहुत धैर्य व प्रेम के साथ उस हर पल को जीती हैं जो आने वाले समय में उनकी ज़िंदगी बदलने वाला होता है ।
सन 1996 जनवरी के दूसरे हफ्ते में पता चला की मैं माँ बनने वाली हूँ मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नही रहा…" माँ " जो अभी तक कहती आई थी अब अपने लिए सुनुंगीं ऐसा महसूस हो रहा था जैसे इस खुशी से बड़ी दुनिया की कोई और खुशी हो ही नही सकती । पैर तो जैसे ज़मीन पर ही नही पड़ रहे थे हर दिन नया था प्रतीत होता था , लेकिन मैं शायद अनोखी थी जिसको कुछ भी ऐसा नही हुआ जो गर्भवती को होता है जैसे : मिचली आना , कुछ खा़स खाने का मन करना ना कोई मूड स्विंगस् बस एक बार " सिज़लर " खाने का मन हुआ जो पतिदेव ने ले जाकर खिला दिया। पूरे नौ महीने अकली पूरे घर का काम करती रही कान आज भी ये सुनने को तरसते हैं " अरे ! तुम रहने दो ऐसे समय इतना भारी समान नही उठाते या तुमको आराम की ज़रूरत है या तुम्हारा कुछ अलग सा खाने का मन कर रहा होगा , एक आम " प्राणी " की तरह व्यवहार किया गया और मैं भी आम ही बनी रही , बच्चे की हलचल उसका एक – एक एहसास सब मेरा अपना था इस एहसास में मैं भूल जाती की मुझे खाना भी खाना है हाँ पर बनाना नही भूलती…खैर मेरी जो डा० थीं वो मेरी दादी सास थी बहुत ही नेक महिला जितने वक्त मैं उनके पास रहती वो उतने वक्त में ही मेरी ऐसी तीमारदारी करतीं की मुझे बस उस वक्त ऐसा लगता की अरे वाह मैं तो प्रैगनैंट हूँ और मैं पीछे का सब दुख – दर्द भूल जाती । डिलीवरी का समय करीब आ रहा था धड़कन बढ़ रही थी समय था नवरात्रि का तृतिया को डा० के पास गई उन्होंने चैक किया फिर मुझे कैस्टर ऑयल दीया और बोला ये लेबर पेन शुरू होने के लिए है इसको रात में पी लेना….अरे बाप रे क्या था वो एकदम गोंद जैसा गाढ़ा पीने के बाद लग रहा था जो उल्टियाँ नौ महीनों में नही हुईं उन सबकी कसर आज पूरी हो जायेगी , रात भर कोई भी दर्द महसूस नही हुआ सुबह चतुर्थी थी बैग पैक हुआ और पहुँच गये हॉस्पिटल वहाँ ड्रीप लगा दी गई थोडी देर में नर्स ने आकर पूछा " हुआ ? मैने कहा क्या ? उसने कहा दर्द ? मैने कहा कैसा होता है पेट के दर्द जैसा ? वो हँसने लगी फिर हर आधे घंटे पर आकर पूछ जाती " दर्द हुआ ? "और मैं ना मे सर हिला देती दोपहर के साढ़े बारह के करीब दादी सास आईं और बोलीं लगता है कॉड बच्चे के गले में लिपट गई है तुरंत सीजेरियन डिलीवरी करनी पड़ेगी थोड़ी ही देर में मैं ऑपरेशन थियेटर में थी वो बैकबोन में लगा इंजैक्शन आज भी सिहरन पैदा करता है । जब मैं कमरे में लाई जा रही थी तब मैं गफलत में थी शाम को थोड़ा होश आया तो मेरी दोस्तों ने मुझे घेरा हुआ था उन्होंने मुझे बताया " पता है तुम्हे बहुत प्यारी सी लड़की हुई है " भगवान ने मेरी सुन ली थी देवी दुर्गा का पदार्पण हो चुका था मेरे जीवन के दुख को हरने चतुर्थी को दुर्गा ने मेरी कोख से जनम ले लिया था ।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।
और मैने अपनी बिटिया का नामकरण किया "शरण्या"।