पार्ट -11- क्या आनामिका बापस आएगी
पार्ट -11- क्या आनामिका बापस आएगी
पिछले भाग मे आपने पढ़ा कि अनामिका अपनी कुछ ड्रेस लेकर अंकित के सामने आती है और कहती है कि ये ड्रेस अंकित के साथ डिनर पर जाने लाइक नही,और अंकित को उलझन ये होती है।
अनामिका के लिए जो ड्रेस उसने खरीदी है बता दे या नही। और एकाएक मानो निर्णय ले लिया। अब आगे
“ अ। अ अनामिका वो अ” अंकित बहुत कोशिश के बाबजूद भी कह नहीं पा रहा था।
“क्या कहिए ना “ अनामिका ने मुस्कुराते हुए पूछा तो जैसे हिम्मत मिली और वो बोल गया कि “जी मैंने एक व्हाइट ड्रेस खरीदी हैकाफी दिन हुए ”
“ड्रेस क्या मेरे लिए “ उसने पास आते हुए पूछा।
“जीब्स्स यूं ही। दिखी अच्छी लगी तो ले ली “ वो जल्दी से बोल गया।
“अच्छातो दी क्यों नहीं ?। अभी कहाँ है” अंकित की अपेक्षा के बिलकुल विपरीत उसने मुस्कुराते हुए पूछा।
“मेरे कमरे पर “ अंकित ने जवाव दिया और मन ही मन अफसोस किया कि क्यों पहले ही नही ये बताने की हिम्मत जता पाया।
“तो देर किस बात कीजाइए ले आइये “ वो अब भी मुस्कुरा रही थी।
“अभी…?” जैसे मानो सुनने के बाद भी यकीन ना हो रहा हो अंकित को।
“जी।बिल्कुल अभी जल्दी ले आइये। डिनर पर नही चलना ? कहकर वो अंदर जाने को मुड गयी।
“ब्स्स अभी लाया “ कहता हुआ अंकित अपने घर की ओर दौड़ गया,उसे लगा जैसे वो मानो हवा मे तैर रहा हो। कुछ ही पल मे घर पहुँच गयादरवाजा खुला था घर का, यूँ तूफानी गति से दौड़ते हुए घर मे घुसा, कि सरोज कुछ बोल पाती इससे पहलेअंकित अपने कमरे मे पहुंच गयाकबर्ड मे से ड्रेस को निकाला। बड़े प्यार से उसे छुआ। और एक बैग मे रख। दौड़ते हुए नीचे दरवाजे तक पहुंचा गया
“क्या हुआ। अंकित…। सब ठीक तो है “ हाथ मे जल का लोटा उठाए वो पुजा घर से उठ कर बाहर आ गयी थी उसे देख
“हाँ हाँ माँ सब ठीक है। ब्स्स जल्दी मे हूँ “ भागते हुए उसने जवाव दिया और दौड़ गया अनमिका के घर की ओर
जैसे ही अंकित पहुंचा अनामिका ने ड्रेस लेने के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया और अंकित ने उसके हाथ मे पैकेट थमा दिया वो वोली ब्स्स दो मिनट और अंदर चली गयी और अंकित अपने हाथ आपस मे मलते हुए चहलकदमी करने लगा मन ही मन ये दुआ करते हुए कि उसकी लायी हुई ड्रेस अनामिका को पसंद आ जाए और फिट भी दो मिनट भी ना हुए होंगे कि वो सामने आ गयी। और अंकित के मन मे आया :कहीं ऐसा तो नही ड्रेस फिट ना आई हो और अगले ही सेकंड नजरों ने देख लिया। उसकी लायी हुई वही ड्रेस पहनी थी अनामिका फिट तो थी ही साथ ही बहुत खूबसूरत लग रही थी वो
अंकित अपने मन मे बहुत खूबसूरत लग रही हैमैंने सोचा भी नही था। कि ये ड्रेस इतना जचेंगी इस परअभी वो अपलक निहार ही रहा था, कि अनामिका ने पास आते हुए कहा
“ अंकित ये ड्रेस बहुत सुंदर हैमुझे बहुत पसंद आई बहुत अच्छी पसंद है आपकी“ और इतना बोलते हुए अपना हाथ अंकित की ओर बढ़ा दिया… अंकित ने अपना हाथ थोड़ा आगे बढ़ाया और रुक कर इशारे से पूछा {क्या अपना हाथ तुम्हारे हाथ पर रख दूँ ?} वो मुस्कुराई और पलक झपका कर “हाँ“ मे गर्दन हिलाई।
अंकित ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। जैसे मानो एक तूफान ने हिलोर मारा हो। अंकित के अंदर,। और वो ऊपर की तरफ जाने वाली सीढ़ियों पर, कदम रखती हुई बढ़ने लगी और उसके कदमों से ताल मिलाता अंकित उसके पीछे- पीछेजल्दी ही वो दोनों एक खुबसूरत टेरेस पर थे
हल्की ठंडी हवा चल रही थी। सुंदर सी चाँदनी पूरी टेरेस पर बिखरी हूई थी। एक मेज पर डिनर तैयार था। और केंडल जो एक खूबसूरत जालीनुमा डिजाइन वाले कवर से ढकी थी। उसके भीतर से छन छन कर आ रही रोशनी एक अलग ही खूबसूरती बिखेर रही थी। बादल उसे इतने खूबसूरत सो भी रात मे कभी नही दिखे और ना ही चाँद इतना खूबसूरत जैसे चाँद की रोशनी उन बादलों से होकर सीधे अनामिका पर पड़ रही हो और उसे इतना खूबसूरत दिखा रही हो
एक अच्छे मेजबान की तरह अनामिका ने आगे बढ़कर ,पहले से सही रखी कुर्सी को
थोड़ा खिसका कर ऐसे ठीक किया मानो पहले गलत तरीके से रखी हो और अंकित से बैठ जाने को कहा,
“मैं आपको डिनर कराने बाहर ले जाने वाला था नाहम बाहर जा रहे थे ना”? उसने बैठते हुए कहा
“हम कहीं भी जाते बाहर बहुत लोग होतेमुझे भीड़ -भाड़ बिल्कुल पसंद नहीं।मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है। क्या ये सब… आपको अच्छा नही लगा ? वो भी बिना कोई बाहरी आड्म्बर “
“बेहद बेहदइतना खूबसूरत नजारा मैंने अपने जीवन मे कभी नही देखा। ना महसूस किया अनामिका जी आपकी मेहनत जो आपने इस डिनर के लिए की है,जगह की पसंद और ये शाम। वाह मेरे पास तारीफ के लिए शब्द नही “
अंकित ने खुशी से भरकर। आसमान की ओर दोनों हाथ फैलाते हुए जवाव दिया
“ जी नही। सिर्फ अनामिका कहिए “ उसने अंकित की ओर खाने की प्लेट बढ़ाते हुए कहा
“अ। नामि का ” उसने शर्माते हुए कहा और प्लेट पकड़ कर अपने सामने रख ली
अंकित का मन “अब कब?? इससे बेहतर मौका कब मिलेगाबता दे अपने मन की बातहम्म
अंकित:- मैं कुछ कहना चाहता हूँ
अनामिका:-“हम्म कहिए ना” उसने खाने का निवाला मुह मे रखते हुए कहा
अंकित:- “ आप बहुत खूबसूरत हैं ,ना जाने कब से मुझे खुद एहसास नही हुआ, कि मैं कब तुमसे इतनी मोहब्बत करने लगा,मैं बब्स्स तुम्हें और तुम्हें चाहता हूँऔर जीवन के अंतिम झण तक तुम्हें चाहूँगा।कहते हुए अंकित अपनी कुर्सी से उठ कर कर नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया मैं तुमसे प्यार करता हूँ। अनामिका…।बहुतबहुत अगर तुम स्वीकार कर लो तो इस धरती पर मुझसे ज्यादा कोई खुसनसीब नही होगा”
अंकित अनामिका की ओर अपने जवाव की उम्मीद मे देखना लगा,और अनामिका जो खड़ी- खड़ी उसकी ओर ही देख रही थी। धीमे कदमों से चलते हुए उसकी ओर बढ्ने लगी। अंकित को लगा जैसे उसका दिल सौ की स्पीड से भी तेज़ दौड़ रहा है। अनामिका ने पास आकर अपने दोनों हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए बोली
“ना प्यार करती होती तो डिनर ऐसे टेरेस पर रखती ?। मैं भी बहुत चाहती हूँ तुम्हें” उसने मुसकुराते हुए कहा तो अंकित एक बच्चे की तरह खुश होकर बोला “सच”
“हाँ।बिल्कुल सच।तुम्हारे बोलने का ही इंतज़ार कर रही थी” कहते हुए अनामिका और नजदीक आ गई अंकित के, और दोनों एक दूसरे के गले लग गए इतने नजदीक आकर जो भावनाओ का वेग उमड़ा तो एक खूबसूरत चुम्मन दोनों के प्रेम का गवाह बन गया
और चाँद मानो शरमा कर बादलों के पीछे छुप गया।
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अंकित अपने ऑफिस से घर की ओर आ रहा था कि उसकी नजर थोड़ी दूरी पर सामने रुकी कार पर चली गयी ,
दो लड़के उसी मस्कुलर लड़के को कार मे बैठा कर ड्राइवर को कुछ हिदायत दे रहे थे
उसे देख अंकित का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुँच गया और उसके पीछे डौंड्ने ही वाला था कि
मन ने कहा “फिर वही गलती मत कर छोडना नही है इसे बारटैक्सी ले।
अंकित “हम्महम्म”
और अंकित टैक्सी लेकर उस कार के पीछे लग गया। जल्दी ही कार एक बड़े से बंगलेनुमा घर के आगे रुकी … और ड्राइवर उस मस्कुलर को संभालता हुआ अंदर ले जाने लगा और अंकित उसके पीछे-पीछे जाने लगा
मस्कुलर को घर मे छोड़ ड्राइवर बापस हो गया ,भाग्यवश कोई और नही दिख रहा था घर मे इसलिए अंकित आराम से अंदर चला गयाऔर बिना एक मिनट गवाएं उसने पांचों उंगलियां इक्कठा कर एक जोरदार पंच बनाया और उसके मुँह पर दे मारा
“बताअनामिका के पीछे क्यों पड़ा हैतेरे पास उसकी फोटो कैसे आई।बोल”
अंकित ने गुस्से में दांत भीचते हुए कहा ,लेकिन पंच खाने के बाद भी जैसे होश मे नहीं आया मस्कुलर बेहद नशे की हालत मे बोला
“कौन हो तुम। अंदर कैसे आए “?
“बस्स इतना जान ले कि अनामिका सिर्फ मेरी है “ बेहद गुस्से मे बोलते हुए उसने एक जोरदार पंच और रसीद कर दिया मस्कुलर को
इतने मे घर से ही किसी की आवाज आई और अंकित बाहर की ओर तेज़ी से निकल गया।फिर पहचानी सी आवाज सुन उसके कदम रुक गए और उसने दरवाजे के दरार से झांक कर देखा तो एक बार फिर आश्चर्य से उसकी आंखे फैल गयी।