minni mishra

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पापी पेट

पापी पेट

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मेरी नजर बार-बार एक अधेड़ महिला कलाकार के चित्र पर जाकर अटक जाती थी । उस महिला के पास जाकर मैंने आहिस्ते से पूछा, “लगता है..आपने यह चित्र जल्दीबाजी में बनाया है ? आपको तो सब पता है न, यहाँ चित्र प्रतियोगिता चल रही है ? ”

“ जी...। परन्तु आप क्या कहना चाहती हैं, मैं ठीक से समझी नहीं ? “ प्रश्न भरी दृष्टि डालते हुए महिला कलाकार ने मुझसे मुखातिब हो कहा ।

“ मैडम, इधर देखिये। इस पेंटिंग में आपने रोपनी का हरा रंग परफेक्ट भरा है | लेकिन उसीके बगल में मजदूरी कर रहे लड़कों का रंग, उखड़ा- उखड़ा ... अजीब सा क्यों भर दिया!?”

“क्या कहूँ बेटी ! माँ हूँ ! माँ को चैन कहाँ ! बेटे की अभी-अभी शादी की थी। यहाँ देहात में मजदूरी के उसे अच्छे पैसे नहीं मिलते थे । सो पेट के खातिर घर-द्वार छोड़कर वह पंजाब, फैक्ट्री में काम करने चला गया । फैक्ट्री मालिक उसे अपने बेटे की तरह प्यार करने लगे थे । फैक्ट्री का सारा हिसाब-किताब मेरे बेटे के जिम्मे ही रहता था । हाँ, इतना भरोसा करते थे मालिक उस पर !

पता नहीं, फैक्ट्री में एकाएक क्या हुआ ! रातोंरात मेरे बेटे को जेल भेज दिया गया ! गाँव में सभी जगह यही चर्चा हो रही है कि "फेकतरी के मालिक तोहर बेटवा के फसा देलकौ। "

मालिक का कुछ अता -पता नहीं है ! महीनों से फरार है । वो पैसे वाला है , कोर्ट-कचहरी के चक्कर से तो बच ही जाएगा । नाहक में मेरा बेटा, बलि का बकड़ा बन गया !

जब से मुझे यह खबर मिली , घर में बहुरिया बहुत उदास रहने लगी । न बिंदी लगाती..न अच्छे कपड़े पहनती और ना ही महावर ! जो पैसे मुझे पंजाब से आते थे, अब वो भी आने बंद हो गये ! घर की स्थिति डावांडोल हो गई !

परन्तु , किसी के आगे हाथ फैलाना मुझे अच्छा नहीं लगता है ! अपनी माँ की सिखाई चित्रकारी से दो पैसे कमा लेती हूँ| उसी से घर चलता है और बहुरिया के कॉलेज की पढाई भी ।

मेरा एक सपना है ....

...वह पढ़-लिख जायेगी तो स्वाबलंबी होकर गाँव में शिक्षा की अलख जगाएगी । फिर पेट के खातिर गाँव का गाँव खाली नहीं होगा ! दिल्ली-पंजाब मजूरी करने कोई नहीं भागेगा ! और ना ही किसी बहुरिया के हाथों की मेहँदी फीकी पड़ेगी ! ”

बुलंद आवाज के साथ उस महिला के चेहरे पर स्वाभिमान की चमक भी सप्षट झलक रही थी । उसका गर्दन तना था ।

मैं पेंटिंग को दुबारा... नये सिरे से देखने लगी । इस बार पेंटिंग के सारे रंग मुझे एकदम साफ-साफ़ और सही लग रहे थे ।


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