minni mishra

Others

4.5  

minni mishra

Others

पापी मन

पापी मन

2 mins
394



शाम को मैं मोबाइल पर व्हाट्सएप मैसेज चेक कर रही थी , तभी पति ने नजदीक आकर तैश में पूछा, "ये मिस्टर कौन हैं ?"


"अरे.... मेरे साहित्यकार मित्र हैं। कल साहित्यिक गोष्ठी होने वाली है, सो उन्होंने मैसेज भेजा था तो मैंने भी जवाब भेज दिया। लेकिन, मैसेज देख कर आप इतने क्रोधित क्यों हो गये?"


" सुनो, तुम महिला मित्र से बातें किया करो, पुरुष मित्र से इस तरह घुल-मिल कर बात करने की क्या जरूरत है?"


"आप पढ़ें लिखे बुजुर्ग होकर भी ऐसी बातें करते हैं, मैं क्षुब्ध हूंँ। लेकिन मुझे ग़लत मत समझिए। आगे से कोई पुरुष मित्र का मैसेज आएगा तो मैं इग्नोर कर दूंगी, यही न? ..."


तभी कालबेल बजी, ट्रर्रर्र.........

और मेरी तंद्रा टूटी ।


टूटते ही मैं भौंचक्का रह गयी! घर में मेरे सिवा और कोई नहीं है! पति बाजार गये हैं, फिर मैं अभी किससे सवाल- जवाब कर रही थी?!हे भगवा....न, मैं भी!"


बड़बड़ाते हुए मुट्ठी में वाइव्रेट कर रहे मोबाइल को स्वीच ऑफ करके, मैं तेज कदमों से दरवाजा खोलने चली पड़ी और खोली । पतिदेव सब्जियों से भरा झोला हाथ में लिए द्वारा पर खड़े थे।


मुझे देखते ही उन्होंने कहा,"पूने से तुम्हारे साहित्यकार मित्र दीपक श्रीवास्तव जी का फोन आया था । उन्हें अभी काल कर लो, शायद कुछ जरूरी बातें बताना चाह रहे हों।


सुनकर मैं हतप्रभ रह गयी और मन ही मन बुदबुदायी, "सच! मन कितना पापी होता है!"



Rate this content
Log in