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Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

4.0  

Kunda Shamkuwar

Abstract Drama Others

ऑफिस डेस्क

ऑफिस डेस्क

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आज इत्तफ़ाक़न ऑफिस में उनसे मिलना हुआ। वह किसी वर्कशॉप में आयी थी। दो साल पहले हम दोनों एक सेमिनार में मिले थे। कभी कभी किसी व्यक्ति की वेव लेंथ मैच हो जाती है और वह व्यक्ति हमे अच्छा लगने लगता है। शायद हम दोनों के साथ भी उस वक़्त ऐसा ही कुछ हुआ था। सेमिनार के दौरान हम दोनों ने ही मोबाइल नंबर्स एक्सचेंज कर लिए थे।दिल्ली जैसे महानगर में ऐसे रिलेशन का बनना और टच में रहना अपने आप में बड़ी बात थी। व्हाट्सएप पर हमारा यह सिलसिला कायम रहा।

मैं आज ऑफिस की एक इंटरनल मीटिंग में जा रही थी। अचानक पीछे से मेरा नाम किसी ने पुकारा। पीछे मुड़ कर देखा, तो वह मुझे आवाज दे रही थी। वह एक्साइटेड थी। अचानक से उनसे मिलने पर मुझे भी एक सुखद अहसास हुआ। झट से हम एक दूसरे से गले मिले। हम दोनों के चेहरों पर मुस्कान आ गयी। मैंने कहा, "आइए, मेरे कमरे में चलते है, साथ में बैठ कर चाय पीते है। मेरी केबिन में आने के बाद हम बात करने लग गए। उस इंटरनल मीटिंग में जरा लेट जा सकती थी। मैंने इंटरकॉम पर बता दिया की मीटिंग कंटिन्यू करे, आय विल कम आफ्टर सम टाइम…

इस ओके..ओके से मीटिंग में लेट जाना भी ओके हुआ। वह एक ख़ुशमिज़ाज लड़की थी, और अपने काम में माहिर होने के साथ साथ काफ़ी हेल्पफुल भी थी। बातचीत दौरान वह मुझे कह रही काफी बिजी रहते हो शायद मेरे केबिन के दरवाज़े पर लगी नेम प्लेट को देखकर उसको मेरी पोस्ट और मेरी मसरूफ़ियत का भी अंदाज़ा हुआ था। बीइंग वर्किंग फीमेल इन गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट्स हम दोनों अपने अपने एक्सपीरियंस शेयर करने लगी। आजकल ऑफिस

के कुछ कहे कुछ अनकहे स्ट्रेस और प्रेशर के बारे में हमारी बात होने लगी....वह मेरे से उम्र में कम थी... मेरा गवर्नमेंट आर्गेनाईजेशन में काम करने का लम्बा तज़ुर्बा था... उनकी कुछ बातें सुनकर बिटवीन द लाइन्स भाँपने वाले मेरे नेचर से और मेरे अपने एक्सपीरियंस के आधार पर कुछ बातें बताने लगी...बीइंग इंजीनियर और आज इस ऑफिस में इंजीनियरिंग डिवीज़न के हैड के तौर मेरे अनुभव कुछ अलग तरह के थे... टेक्निकल जगत के इस मैन्स वर्ल्ड के इश्यूज और उन्हें सॉल्व करने के तरीकें भी अलग थे... मैं उनके साथ अपने अनुभवों को बाँटने लगी... मेरी कुछ बातें थी, प्रॉब्लम्स सॉल्विंग का तरीका था या इश्यूज डील करने या यूँ कहे प्रॉब्लम्स को एनालिसिस और टुकड़ों में बाँटकर सॉल्व करने के तरीकों वाली बातें सुनकर जैसे वह चमत्कृत सी हो गयी थी.. 

ओ माय गॉड कहते हुए वह सारी बातें सुन रही थी... वह भी कुछ झिझक से अपनी बात शेयर करने लगी.... शायद उनको भी बहुत दिनों बाद वेंट आउट मिल गया था...बातचीत के दरमियान मुझे इंटरकॉम पर कहा गया मीटिंग स्टार्ट होने वाली है। आप जल्दी से आ जाए... 

मुझे मीटिंग में और उनको वर्कशॉप में जाना था... हम दोनों ने एक दूसरे से विदा ली... दोबारा मिलने के लिए...

शायद हम दोनों को ही वेंट आउट मिल गया था...उस छोटी सी मुलाकात ने किसी टॉनिक का ही काम किया था....जैसे जिंदगी के ढेर सारे काश और कशमकश दूर हो गए....  


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