Mukta Sahay

Horror

4.5  

Mukta Sahay

Horror

नया घर और .......

नया घर और .......

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वैसे तो पूरे साल से घर की तलाश में थे रजनी और रमेश लेकिन पसंद का कोई मिल हो नही रहा था। कहीं वास्तु दोष तो कहीं घर के कमरे पसंद नही आते थे। बहुत दिन हो गए थे और घर अब जल्दी लेना था सो जितने घर देखे थे उनमे से ही एक के लिए आगे बढ़ना था।


जिस घर पर अंततः सहमती बनी थी आज उसका गृह-प्रवेश था। बड़ा आँगन और आँगन में सुंदर झूला देख कर ही यह पसंद किया गया था। अंदर-बाहर दोनो से ही घर रजनी और रमेश को अच्छा लगा था बस एक छोटा सा वास्तुदोष था जिसकी वजह से मन नही बना पा रहे थे ।लेकिन अब जब जल्दी थी तो इसे ही पसंद किया क्योंकि पता चला था को एक पूजा से दोष मुक्त हो जाएगा। आज की गृह-प्रवेश के साथ हाई वह पूजा होनी थी।


इस पूजा के लिए पंडित जी ने एक विशेष यंत्र लाने को कहा था। वह यंत्र आसानी से उपलब्ध नही था। बहुत ढूँढ के बाद मिला था। पंडित जी वह यंत्र लाने को कहा तो रजनी ने बताया कि वहीं पूजा वाली थैली में ही रखा है उसने। पूरी थैली पलट डाली पंडितजी ने वह यंत्र नही मिला उसमें । रजनी और रमेश भी ढूँढने लगे। रमेश ने कहा रजनी तुमने कहीं और तो नही रखा है। दूसरे थैले और अपने पर्स में भी देखो कहीं सम्भाल कर उसमें तो नही रख लिया है।


रजनी ने हर जगह देख लिया पर वह ख़ास यंत्र कहीं नही मिला। दोनो पति पत्नी बहुत परेशान थे और समय भी बहुत होने लगा तो पंडितजी ने कहा दो दिन बाद फिर शुभ-समय बनता है इस पूजा के लिए तो आप वह यंत्र ले आइएगा मैं समय पर आकर पूजा कर दूँगा।


गृह-प्रवेश के बाद रात उस घर में ही रहना होता है । रजनी और रमेश वहीं रुक गए। दिनभर की थकान के बाद दोनो को गहरी नींद आई और जल्दी हाई सो गए।आधी रात के आसपास रजनी ने सपने में देखा कि वह एक सुनसान गहरे जंगल में चली जा रही है और वहाँ भरी सन्नाटा है। तभी पीछे से किसी ने आवाज़ लगाई रजनी मुझे भी साथ ले चलो। रजनी पीछे पलटी तो वहाँ एक गुड़िया दिखी, हाथ फैलाए , उसकी ओर बढ़ती हुई। रजनी बुरी तरह डर गई और चिल्लाने लगी। रजनी सपने में भी चिल्ला रही थी और यथार्थ में भी चिल्ला रही थी।


साथ सो रहे रमेश की नींद रजनी के चिल्लाने की आवाज से खुल गई। उसने रजनी को उठाया। रजनी डर से बेहाल अब भी चिल्ला रही थी। रमेश ने उसे ज़ोर से झकझोरा तब उसकी तंद्रा भंग हुई और वह पूरी तरह जागी। पानी पी कर सपना रमेश को सुनाया। रमेश ने कहा चलो सपना ही तो था सो जाओ। जैसे ही वह सोने को झुकी उसे वही गुड़िया सामने की कुर्सी पर बैठे दिखी। वह फिर डर गई , इतना ज़्यादा की मुँह से आवाज़ ही नही निकल रहा था। किसी तरह इशारे से रमेश को वह गुड़िया दिखाई। रमेश ने पूछा "ये कब लाईं तुम ।" रजनी ने कहा ये तो वही सपने वाली गुड़िया है। दोनो पति पत्नी के डर से होश उड़ गए थे । क्रमशः 



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