Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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नरो वा कुंजरो

नरो वा कुंजरो

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तहसीलदार ने जैसे ही हिंगानी गांव में प्रवेश किया उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। "इतना सुंदर गांव, इतनी हरियाली, यह कैसे संभव हुआ? मुखियाजी! जबकि आपके आसपास के गांवों में तो अकाल की स्थिति बनी हुई है।" 


 "मैंने गांव वालों की सबसे कमजोर नब्ज़ को पकड़कर उसे ही हथियार बना लिया। " मुखिया जी ने पूरे आत्मविश्वास के साथ मुस्कुराते हुए जवाब दिया।


 "कैसे ? समझाएँगे ।"


 "जी! जरूर, मेरा हथियार था इनका 'अंधविश्वास में विश्वास', मैंने गांव वालों से बस इतना ही कहा, हमारे गांव के सूखे का कारण 'देवी प्रकोप' है। इससे छुटकारा सिर्फ हरियाली ही दिला सकती है। परिणामतः यही हरियाली सबकी आमदनी और खुशहाली दोनों का जरिया बनी।"


"वाह! मुखिया जी, टेढ़ी उंगली से घी निकालना तो कोई आपसे सीखे।"


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