Surya Barman

Inspirational

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Surya Barman

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निज जीवन अपना धन्य करो

निज जीवन अपना धन्य करो

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जननी से जाये जन तुमको,

जब तक जीने का मौका है ।

जीवन को अपने धन्य करो,

जीवन कर्मों का लेखा है ।


सुन्दर सुन्दर तुम करो कर्म,

पुष्टित जिससे हो सदा धर्म ।

होगी  तेरी  पहचान  यही,

मर कर भी जिससे जीना है ।।


सुन्दर जीवन है यहाँ वही,

जिसकी होवे पहचान भली ।

नेकी के पथ पर नितप्रति ही,

जिसके कर्मों की धार चली ।


जो सदा सभी को सुख देता, 

दुःख औरों के है हर  लेता ।

उसकी जीवन सरिता अच्छी,

फैले उसकी नित कीर्ति कली ।।


यह मृत्यु लोक है कर्म लोक,

कर्मों की शान निराली है ।

बहु व्यंजन कोई ग्रहण  करे,

बहुतों की थाली खाली  है ।


है ताज किसी के मस्तक पर,

दुःख पाये कोई जीवन  भर ।

शुभ कीर्ति किसी के फैले हैं,

अपकीर्ति किसी की आली है ।।


इस कर्मभूमि पर हरजन को,

कर्मानुसार  फल मिलता  है ।

जो जैसा कर्म  विधान  करे,

वह वैसा ही फल पाता  है ।


पद और प्रतिष्ठा की गरिमा,

है कुछ की जीवन अभिलाषा ।

हो लोभ स्वार्थ के वशीभूत,

कोई जीवन मान घटाता  है ।।


सद्कर्मों के तपबल से  जो,

जीवन  का मान  बढ़ाता है ।

हो परं यशी  इस दुनिया में,

वह  जन ही पूजा  जाता है ।


इसलिए  सदा  सद्कर्मों  से,

निज जीवन का श्रृंगार करो ।

रहती है कीर्ति सदा जन की,

जीवन तो  आता जाता  है ।।


ले लिया जन्म जो धरती पर,

इक दिन उसको मर जाना है ।

इसलिए स्वांस संचरण तलक,

जीवन  को सफल बनाना है ।


परहित में निष्ठा रखकर  ही,

जीवन  यह परं प्रतिष्ठित हो ।

पितु माँ के जीवन धन्य हेतु,

निज जीवन  हमें सजाना है ।।



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