Rashmi Sinha

Romance

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Rashmi Sinha

Romance

नीरस

नीरस

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शिखा को आज अवसर मिला था, अपने कॉलेज की सखी, सुधा के यहां जाने का। सुधा को यहां ट्रांसफर होकर आए, 6 माह से अधिक हो चुके थे।

आज वो फ्री थी, सोचा सुधा से मिल लूँ। वर्ना फ़ोन पर ही हंसी मजाक, बातें सब हो जाती थी ।

सुधा के घर पहुंच कर दोनों एक दूसरे के गले लग गई।

बातों का तो अंत ही नहीं था। इतने वर्षों की दूरी एक पल में मिट गई। बिस्तर पर बैठ कर दुनिया भर की गप्पें।

    फिर शिखा बोली, सुधा तुम हंस तो रही हो, पर खुश नहीं लग रही, क्या बात है जीजा से???

ये सुन कर सुधा उदास हो कर बोली, हां शिखा ,तुम से क्या छुपाना, मैं जितनी चंचल, वो उतना ही सीरियस--

और चिड़चिड़े मिजाज के, बात बात में गुस्सा, हंसना बोलना तो जैसे आता ही नही, बोरिंग और नीरस---

सुधा एक सांस में अपना दुख बोलती चली गई।

 अच्छा!!! मैं तो एक मिनट भी न गुजारूं ऐसे आदमी के साथ, एक महीने में ही तलाक ले चुकी होती।

और दोनों जोर से हंस पड़ी।

पर हैं कहाँ तेरे श्रीमान? और नहीं हैं तो फ़ोटो के ही दर्शन करा दे।

हां हाँ, क्यों नहीं, ले तू ये एल्बम देख मैं चाय बना कर लाती हूँ, शिखा के हाथ में एल्बम पकड़ा सुधा चाय बनाने चल दी।

और पहला पन्ना पलटते ही, शिखा का कलेजा मुंह को आ गया, रोहित?????

सुधा का पति?? अपने को कुंवारा कहने वाला, उसका प्रेमी, मित्र सब कुछ।

आंखों के आगे तैर गए के दृश्य, उसके मुंह में कौर बना कर खिलाता रोहित, गाना गाता रोहित--- गुनगुनाता रोहित, तरह तरह की शरारतें करता रोहित, रोहित!

नीरस?? शादीशुदा???

शिखा का सार घूम रहा था, और दिल तेजी से धड़क रहा था, चेहरे पर एक भाव आ रहा था, एक जा रहा था----

थोड़ी देर में ही, सुधा चाय के साथ पकौड़े लेकर हाजिर थी।

इस बीच शिखा स्वयं को संयत कर चुकी थी, दोनों फिर पुरानी यादों में खो गई। अचानक ही शिखा ने घड़ी पर नजर डालते हुए चौंक कर कहा, ओह, तुम्हारे चक्कर में मैं भूल ही गई कि घर पर मैंने

रिपेयर वर्क के लिए मिस्त्री को बुलाया है।

कल से फिर ऑफिस में बिजी हो जाऊंगी,

रुक न शिखा, कितने दिन बाद तो मिले हैं तो अपॉइंटमेंट कैंसिल कर दे। फ़ोन कर उसे।

न , मेरी प्यारी सुधि, जरूरी न होता तो मैं तुझे कहती ही नहीं, प्यार से उसे गले लगाते हुए शिखा ने कहा।

बहुत देर तक दोनों सखियों के हाथ हिलते रहे।

घर आकर शिखा कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी, आंसू थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

रोते रोते उसकी आंखें मुंद चुकी थी, और वो निद्रा के आगोश में थी। अचानक ही उसकी आंख खुली

और वो हड़बड़ा कर उठ बैठी। रात्रि के 12 बज रहे थे, यानी एक नया दिन शुरू हो चुका था। भूख भी लग रही थी, पर खाने की इच्छा ही नहीं थी।

किचन में जाकर एक कप ब्लैक कॉफ़ी बना और एक दो बिस्किट ले, वो बालकॉनी में पड़ी आराम कुर्सी पर जा बैठी।

समस्त घटनाक्रम एक बार फिर उसकी आँखों के आगे घूम गया। वो तो इतनी शार्प थी ऐसे कैसे कोई उसे मूर्ख बना गया?

मोबाइल उठाया तो रोहित की दो मिस्ड कॉल पड़ी थी।

अब उसका दिमाग तेजी से कम कर रहा था।

कल ऑफिस में फिर रोहित से सामना होगा, क्या वो सामान्य रह पाएगी?

हां रह पाओगी उसके दिमाग से उत्तर आया।

अब आगे? वो फिर सोच विचार में पड़ गई, रोहित

शातिर था। ऐसी आसानी से तो अपने चंगुल से नहीं निकलने देगा।

गनीमत थी कि उनके सभी संबंध मर्यादा की सीमा रेखा के अंदर थे, खुल के हंसना बोलना

और घूमने तक ही कभी कंधे पर हाथ रखने और कभी गले लगने तक-----

पर रोहित यूं तो पीछा नहीं छोड़ेगा।

तभी उसके दिमाग में अचानक एक नाम कौंध गया, दीपक---

उसकी दीदी का कजिन देवर, शिखा से हमेशा से ही मित्रवत था, उसकी बात नहीं टालेगा , उसके घर से एक डेढ़ किलोमीटर ही दूर रहता है ।

दीपक को सुबह सात बजे मिलने का निर्देश देकर, अगले दिन वो ऑफिस से छुट्टी का निर्णय ले चुकी थी।

अब वो चैन से सो सकती थी।

सुबह जल्दी उठकर वो कॉफ़ी फेंटकर सैंडविच बनाकर रख चुकी थी। नहा कर निकली ही थी कि दीपक आ गया।।

क्या हो गया, सुबह सुबह दौड़ा दिया दीपक ने कुछ नाराजगी से पूछा।

तुम बैठो तो सही, बताती हूँ , पहले सैंडविच और कॉफी लो।

कुछ बताओगी? ह्म्म्म, अब बिना किसी लाग लपेट के शिखा ने उसे आज तक का सम्पूर्ण घटनाक्रम

कह सुनाया।

सुनते हुए दीपक के चेहरे पर विभिन्न भाव आते- जाते रहे। किस्सा खत्म होने पर उसने कुछ क्रोध से पूछा, तो तब अपनी सहेली को सच क्यों नहीं बताया उस उल्लू के पट्ठे के बारे में?

वो मैं नहीं कर सकती थी मुझे एक परिवार नहीं तोड़ना था----

तो मेरे लिए क्या आदेश है? हाथ पैर तुड़वाकर फिंकवा दूं साले के।

नहीं---,ध्यान से सुनो, आज मैं छुट्टी पर हूँ

रोहित का फ़ोन जरूर आएगा। तो? दीपक की आंखों में प्रश्न था? तुम अब घर जाओ मैं रोहित को

शाम को कैफ़े कॉफी डे में 6 बजे मिलने वाली हूँ,

वो मेरा पीछा नहीं छोड़ेगा।

दिमाग ठीक है? ऐसे चरित्र हीन आदमी से फिर मिलोगी।

हां पर इस बार अकेले नहीं, तुम मेरे साथ होंगे,

और मैं तुम्हारा परिचय आने पति के रूप में करवाने वाली हूँ।

क्या???? इस बार दीपक गिरते गिरते बचा, देवी जी मुझे माफ़ करिए, मैं सीरियस हूँ सुनो क्या इतनी भी मदद नहीं करोगे, इस बार आंखों में याचना थी।

ठीक है मैं पहुंच जाऊँगा। सुनो दीपक कुछ तस्वीरें अपनी और रोहित की तुम्हें फारवर्ड कर रही हूँ

डिलीट मत करना।

इस बार दीपक ने कोई प्रश्न नहीं पूछा, शिखा का दिमाग किधर दौड़ रहा था वो समझ चुका था।

उसके जाते ही आशा के अनुरूप रोहित ने कॉल किया, कहाँ हो? ऑफिस क्यों नहीं आई?

थोड़ा तबीयत ठीक नहीं थी---

मैं आता हूँ मिलने।

अरे नहीं इतनी भी खराब नहीं शिखा का जवाब था

कुछ घंटे आराम कर लूंगी, ठीक हो जाऊंगी

बहुत दिनों से तुमसे कुछ कहना चाह रही थी,

तो कहो न, रोमांटिक होते हुए रोहित बोला।

हल्के से हंसते हुए शिखा बोली बताती हूँ न, शाम को कैफ़े कॉफी डे में 6 बजे।

शाम को जब रोहित आया तो दीपक और शिखा पहले से ही मौजूद थे। रोहित दीपक को देखकर चौंका, और अपनी सवालिया निगाहें शिखा की तरफ उठाई।

रोहित मैंने बोला था न मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूं, इनसे मिलो, मेरे हस्बैंड दीपक---

व्हाट??? हां रोहित, मैं तुम्हारी दोस्ती में इतना मगन थी कि दीपक के बारे में बताने की जरूरत ही नहीं समझी।

दोस्ती? वो रोहित का दांत पीसना भली भांति देख पा रही थी।

अचानक ही रोहित बोला मुझे ऑफिस जाना ही पड़ेगा, और वो बिना अनुमति की प्रतीक्षा किये तेजी से तीर की तरह निकल गया।

उसके जाते ही दोनों खुल कर हंस दिए, घर की तरफ लौटते हुए फिर एक बार आशानुरूप रोहित का फ़ोन हाजिर था।

शिखा ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो---प्यार को क्या खेल समझा है तुमने?

और शिखा का दिल भी चिल्ला चिल्लाकर यही प्रश्न पूछ रहा था, रोहित, प्यार को खेल समझा है तुमने?

पर बिना कुछ कहे उसने फ़ोन काट दिया।

तिलमिलाए रोहित को क्रोध में कुछ सूझ नहीं रह था।

फिर एक बार वही हुआ, रोहित ने अगले कुछ दिन दीपक का ऑफिस पता करने में लगा दिए।

दीपक के पास कूरियर से एक लिफाफा हाजिर था।

उसके और शिखा के फोटोग्राफ्स हंसते, खिलखिलाते, गले लगते, साथ में सूचना दीपक तुम्हारी पत्नी चरित्रहीन है, मेरे साथ ही नहीं पता नहीं किस किस के साथ उसका चक्कर होगा

इस बार दीपक ने रोहित को फ़ोन मिलाने में देर नहीं की, रोहित, तुम्हारा फ़ोन नंबर ही नहीं तुमने जितनी भी फ़ोटो डाक से भेजी हैं मेरे मोबाइल में पहले से मौजूद हैं।

शिखा एक बहुत अच्छी पत्नी है, हां स्वभाव से थोड़ा चंचल और फ्रैंक है जिसके कारण तुमने उसकी मित्रता को गलत नजर से देखा।

क्या उसने तुमसे कभी कहा कि वो तुमसे प्यार करती है?

हां इजाजत हो तो ये फोटो तुम्हारी पत्नी को भेज दूं, शिखा की अच्छी सहेली है---

रोहित के लिये ये खबरें बम का धमाका थी, और वो सर पकड़ कर बैठ गया।



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