नींद
नींद
आजकल न जाने रात के 2 बजने के बाद भी नींद क्यों नहीं आती है.....वह सोचने लगा... अपने व्यस्त दिनचर्या वाली बातों को याद कर फिर खुद ही जस्टिफाई करने लगा कि बड़ी पोस्ट वाले ऑफिसर के ढेर सारे टेंशन के बाद तो यह होना ही था।
लेकिन फिर उसे याद आने लगता है माँ की लोरी सुनाकर उसे सुलानेवाली बातें...
वह यकायक चौंक जाता है कि आजकल माँओं को तो उसने कभी देखा ही नहीं बच्चों को लोरियाँ सुना कर सुलाते हुए....
वक़्त के साथ साथ चीजें धीरे धीरे बदल गयी है ...
उसकी नजरों के सामने बचपन की वे सारी यादें किसी रील की तरह घूमने लगती है....
अब नींद फिर से कोसो दूर चली जाती है....