मर्यादा
मर्यादा
"मर्यादा भंग करने से अपने साथ अपनों का मूल्य भी गिर जाता है,
जैसे शून्य संख्या के पीछे मूल्यवान है,
परंतु आगे लगते ही अपने साथ वाली संख्या का मूल्य भी गिरा देती है।"
मर्यादा की बात करें तो मर्यादा पालन करना इंसान के लिए अनिवार्य है
क्योंकि मर्यादा को भंग करने से या नियमों की अनदेखी करने से इंसान के जीवन में अनेकों प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिसके कारण जीवन निर्वाह कठिन हो जाता है
तो आइये आज की चर्चा इसी बात पर करते हैं कि क्या मर्यादा पालन से व्यक्ति महान बनता है?
मेरा मानना है कि यह बिल्कुल सत्य है मर्यादा पालन से व्यक्ति महान बनता है जब श्री रामचन्द्र जी ने मर्यादा का पालन किया तो उसके बाद ही उन्हें इतनी बढ़ी मर्यादा पुरुषोत्तम की उपाधि मिली यानी मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए,
यही नहीं जीवन निर्वाह के नियमों को संतुलन में रखने वाली निर्धारित रेखा को मर्यादा कहा जाता है जिस से जीवन में किसी प्रकार का असंतुलन न हो ऐसे नियमों की निर्धारित रेखा को ही मर्यादा कहा जाता है फिर क्यों न व्यक्ति महान होगा जब वो हर कार्य नियमों के अनुसार ही करेगा,
जब जब किसी भी व्यक्ति ने मर्यादा को भंग किया तब तब ही उसे कष्ट सहना पढ़े व वो अकेला पड़ गया
अक्सर देखा गया है कि जो लोग नियमों का पालन करते हैं उनका जीवन सुख व सुखमय होता है,
जब मनुष्य अपने जीवन को मर्यादित बना लेता है तो उसका जीवन काल मर्यादित हो जाता है और वो सुख शान्ति अनुभव करता है
देखा जाए मनुष्य क्रियाशील प्राणी है इसलिए इसे सारे कार्य मर्यादा में रह कर ही करने चाहिए, ताकि किसी भी कार्य में रूकावट न आए व नियमपूर्वक हो,
प्राकृतिक नियम के अनुसार हर चीज की मर्यादा होती है जब हम तनिक भी इससे भटक जाते है तो हमें संकट का सामना करना पड़ता है,
देखा जाए मनुष्य अपने कर्मों से महान बनता है खासकर आदर्श और मर्यादा से ही व्यक्ति महान बनता है,
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अपने कर्तव्यों को कभी नहीं भुलाया तभी तो उनका नाम अजर अमर है और वो एक महान पूरुष ही नहीं बल्कि भगवान के रूप में माने जाते हैं,
अन्त में यही कहूंगा कि मर्यादा का पालन करने से व्यक्ति महान ही नहीं बन सकता व भगवान तक की उपाधि धारण कर सकता है,
चाहे मर्यादा रिश्तों में हो नियमों हो या कार्यों में हो इसको निभाना चाहिए, मर्यादा रखना जिन्दगी में बन्धन नहीं बल्कि व्यवस्थित रूप से जीने की कला है
जब जब कोई भी अपनी मर्यादा से बाहर गया तब तब उसको हानि ही हुई,
सच कहा है,
बोलने में मर्यादा मत छोड़ना
गालियां देना तो कायरों का काम है।