मॉडर्न एरा
मॉडर्न एरा
ग्रेजुएशन कंप्लीट होने के बाद उसे इस शहर में नौकरी मिल गयी थी। गाँव से एकदम इतने बड़े शहर में। उसकी तो दुनिया ही बदल गयी थी। गाँव की सीधी सादी लड़की के ख़्वाबों को तो पंख लग गये। टीवी में दिखती उस हसीन और चमकती दुनिया में वह खोना चाहती थी। मज़े की बात यह भी थी कि उसको उसके मनमाफ़िक फैशन एजेंसी में काम मिल गया था।
दिनोदिन वह उसकी प्रोफेशनल लाइफ में तरक्की करती गयी। इस दौरान उसके दोस्त भी बनते गये।। मॉडर्न जमाने की वह लड़की अब वाकई मॉडर्न बन गयी। लिव इन में आज़ादी है और शादी में बंधन.... इसी सोच से अब वह अपने ही ऑफिस के एक लड़के के साथ लिव इन में रहने लगी।
सब कुछ सही चल रहा था... न कोई बंधन और न ही कोई जिम्मेदारी भी...सब चंगा सी की तर्ज पर....
मस्ती में दिन यूँही गुजर रहे थे...
कुछ दिनों से उसे लगा की आस पड़ोस और परिवार के रिश्तेदार कुछ कटते से जा रहे है। उसे यह सब उसका वहम सा लगा... बड़े शहरों में किसके पास इतना टाइम होता है यह सोचकर वह बेपरवाह रही।
लेकिन सच तो यही था....जैसे की हम और आप कोई इंडिविजुअल अपनी सोच बदलते है...परिवार और समाज अपनी सोच यूँही नही बदलता.....
समाज अपनी उस ना दिखने वाली ताक़त का अहसास वक़्त बेवक़्त कर देता है....
वह ताक़त ही है जिसके असर से कभी लड़का तो कभी लड़की बदल जाती है और लिव इन से बाहर हो जाती है....
इस बार वह लड़का भी घर वाले और समाज के तानों से बंधनमुक्त और बिना जिम्मेदारी वाली उस लिविंग टुगेदर वाली दुनिया को अपने परिवार वालों की मर्जी से शादी करने के लिए छोड़कर चला गया....
उस बेजान रिश्ते में वह लड़की अब पीछे तनहा रह गयी ...अपने टूटे पंखों और बिखरे ख्वाबों के साथ....