Ritu Agrawal

Inspirational

4.0  

Ritu Agrawal

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मोलभाव....

मोलभाव....

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"कितना लूटते हो तुम लोग ? पाँच रुपए में तो अच्छे डिजाइनर दीपक मिल जाएँगे। तीन रुपए का लगाओ तो मैं बीस दीपक ले लूँ।" शिप्रा थोड़े गुस्से में हाथ मटकाते हुए बोली।

"अरे मैडम जी! त्योहार का समय है थोड़ा तो हम भी कमाएंगे। तभी तो त्योहार मना पाएंगे। इतनी दूर से ठेला खींचकर लाते हैं। इसी आस में कि कुछ दीये बिक जाएँ, तो खुशी से दीवाली मनाएँ। तीन रुपये में तो हमको भी नहीं पड़ता, नहीं तो दे देता।" दीये बेचने वाला हाथ जोड़कर , विनती करते हुए बोला।

"चलो तो फिर छोड़ो, मैं डिजाइनर दीए ही खरीद लूँगी।"

"हर जगह लूट मचा रखी है इन लोगों ने। जहाँ कार से आया ग्राहक देखा नहीं कि बीस पैसे की चीज, बीस रुपए में बताने लगते हैं।" शिप्रा बड़बड़ाती हुई कार में बैठ गई।

उसके पति सोमेश ने कहा," अरे! त्योहार का समय है यदि दो रुपए ज्यादा दे भी देंगे, उन गरीब लोगों को तो हम कंगाल नहीं हो जाएँगे। वैसे भी बेचारा मेहनत से कमा रहा है। भीख तो नहीं माँग रहा है। तुम भी छोटी- छोटी सी बात पर मूड खराब करती हो।"

"वैसे तो हम कोई दान- पुण्य करते नहीं हैं। ऐसे ही किसी की मेहनत के दो रुपये ज्यादा भी दे दो, तो क्या बिगड़ जाएगा ?"

शिप्रा गुस्से में बोली,"अच्छा! तो अपना पूरा घर लुटा दूँ?"

सोमेश ने हँसते हुए कहा," सिर्फ़ दो रुपये ज्यादा देने से तुम्हारा घर लुट जाएगा ? अच्छा चलो अब मुस्कुरा दो, तुम्हें तुम्हारी मनपसंद पानी पूरी खिलाता हूँ। फिर घर चलते हैं।

शिप्रा को अपने पति की यही अदा बहुत पसंद है। शिप्रा लाख गुस्से में हो पर सोमेश उसके चेहरे पर मुस्कान ला ही देता है ।

शिप्रा मुस्कुराते हुए बोली ,"अभी दीवाली के लिए रंगीन लाइट्स भी तो लेनी हैं। ऐसा करते हैं मॉल चलते हैं वहाँ से थोड़ी सी लाइट्स ले लेंगे। फिर सीधे घर चलते हैं।

दोनों ने पानी पूरी खाई और मॉल पहुँच गए।

वहाँ एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान से उन्होंने रंग बिरंगी, बिजली की झालर खरीदी। तभी शिप्रा की नजर डिजाइनर कैंडल (मोमबत्ती ) की एक दुकान पर पड़ी। वह सोमेश को लगभग खींचती हुई दुकान में ले गई।

कुछ देर बाद, सोमेश ने बिलिंग काउंटर पर जाकर वहाँ बैठी लड़की से कहा," मैडम यह डिजाइनर कैंडल तो बहुत महँगी है इस पर कोई डिस्काउंट नहीं है?"

उस काउंटर वाली लड़की ने मुस्कुराकर ,अपने चिर- परिचित व्यावसायिक अंदाज में कहा," सर अभी दीवाली का समय चल रहा है। कैंडल्स की बहुत माँग है। आजकल ये डिज़ाइनर कैंडल्स, स्टेटस सिंबल हैं। यू नो ?"

सोमेश ने मुस्कुराते हुए कहा ,"अरे थोड़ा तो कम लगाइए इतना सारा सामान ले रहे हैं सौ- दो सौ रुपये का डिस्काउंट करना तो बनता है।"

शिप्रा ने काउंटर पर सामान रखते हुए, सोमेश को घूर कर देखा.......

काउंटर पर पैसे (बहुत सारे पैसे) देकर ,खूबसूरत डिजाइनर बैग्स में, खूबसूरत और महँगे डिजाइनर कैंडल्स लेकर शिप्रा गुनगुनाती हुई मॉल से बाहर चल दी ।

कार में बैठते हुए शिप्रा ने कहा, "ये कैंडल्स, मैं मेन गेट पर रखूँगी। कितना खूबसूरत और शानदार लगेगा न हमारा घर ?.........

फिर अचानक कुछ याद करके बोली," यह तुम क्या मोल भाव कर रहे थे काउंटर पर? शोरूम में कोई मोल- भाव करता है क्या? "

सोमेश मुस्कुराते हुए बोला ," हजारों की मोमबत्तियाँ बिना मोल भाव लेना तुम्हें सही लगा। पर उस गरीब दीये वाले को, दीपक के सौ रुपये देने में इतना मोल भाव किया और बिना सामान खरीदे चली आईं।"

"खुद सोचो शिप्रा.....चलो ! माना वो ज्यादा पैसे माँग रहा था, पर कुल चालीस रुपए एक्स्ट्रा दे भी देते तो क्या हो जाता। अभी हमने अपने थोड़े से स्वाद के लिए, साठ रूपए की तो पानी पूरी ही खा ली।" सोमेश गंभीरता से बोले।

कुछ देर के मौन के बाद शिप्रा बोली," ज़रा कार उस दीये वाले के ठेले तक ले चलो। मैं अपनी गलती सुधारना चाहती हूँ। वाकई मैंने इस तरह से सोचा ही नहीं।"

सोमेश मुस्कुरा कर बोले," सुबह का भूला यदि शाम को वापस आ जाए तो......

"उसे शिप्रा कहते हैं".........

दोनों खिलखिला कर हँस पड़े।

दोस्तों यदि भगवान ने हमें इतना समर्थ बनाया है कि हम किसी की थोड़ी सी मदद कर सकें खासकर उस इंसान की, जो मेहनत से अपनी रोजी- रोटी कमा रहा है तो उसका स्वाभिमान भी रह जाएगा और हमें भी एक आत्मिक खुशी मिलेगी।

आप सब से यही विनती है कि रेहड़ी वालों से अनावश्यक मोल भाव न करें ....तो शायद वो भी अपना त्योहार खुशी से रोशन कर सकें।



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