Kavya Chungani

Inspirational

3.6  

Kavya Chungani

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मन की सुंदरता

मन की सुंदरता

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एक बार गाँव की औरतों में बात छिड़ी रंग- रूप को लेकर वही पास में रहती दोनो बहनो ने ये बात सुनी और अपने अपने मन में विचार करने लगी। उन दोनो बहनो में बड़ी बहन सांवली थी ओर छोटी बहन एकदम गोरी सुंदर। बड़ी बहन की तरफ़ कोई देखता नहीं था ना कोई ज़्यादा उससे बात करता था और छोटी बहन को सब पसंद करते थे और बात भी ये सब देखकर बड़ी बहन को अच्छा नहीं लगता था भले वो कुछ कहती नहीं थी बस अपने मन में खुद को कोसती थी के भगवान ने मुझे ऐसा क्यू बनाया। वह दोनो साथ में ही सब जगह जाती थी उनका आपस में बहुत प्यार था छोटी बहन अपनी बड़ी बहन को बहुत सम्मान देती थी उसे समझ आता था के दीदी को बुरा लगता है अगर कोई उनके साथ ग़लत व्यवहार करे इसलिए वह उसे हमेशा ख़ुश रखने की कोशिश करती थी और उसकी हिम्मत बड़ाती थी। 

              छोटी बहन को कई बार लोगों की बुरी नज़रों का भी सामना करना पढ़ता था वह भी अपनी सुंदरता को ले कर परेशान रहती थी खुद को सबकी नज़रों से दूर रखने की कोशिश करती थी। उसे अकेले कही भी जाने में डर लगता था हमेशा किसी न किसी के साथ ही कही जाती थी। उसे अपनी सुंदरता से डर लगता था के कभी कुछ ग़लत ना हो जाए उसके साथ और यह लगता था के काश वो भी अपनी दीदी की तरह होती तो उसे किसी से भय नहीं होता। दोनो को एक- दूसरे की तरह होना अच्छा लगता था छोटी सोचती थी के दीदी की तरह होती मैं भी और बड़ी को लगता था के छोटी की तरह होती लेकिन उन दोनो को अपने अंदर की ताक़त और सुंदरता का अंदाज़ा नहीं था इसलिए वे दोनो अपने आप को स्वीकार अच्छे से नहीं कर पायी थी। वह दोनो एक बार कॉलेज जा रही थी रास्ते में कुछ लड़के छोटी बहन को देख रहे थे और बातें कर रहे थे ये सब बड़ी बहन को अच्छा को नहीं लगा और उसने छोटी को चलो जल्दी यहाँ से। उनके वापस घर आते ही छोटी के लिए कोई रिश्ता ले कर आया वह दोनो सामने ही खडी सारे बाते सुन रही थी फिर उस आदमी के जाने के बाद छोटी ने रिश्ते के लिए मना कर दिया कहा पहले रिश्ता दीदी का होगा उसके बाद मेरा। बड़ी के मन में हीन भावना आने लगी थी। छोटी को भी लग रहा था के आज दीदी को बुरा लग रहा होगा इसलिए वह उसका ध्यान बटाने में लग गयी। फिर बड़ी हमेशा चिड़चिड़ी रहने लगी और उसे अपनी ही बहन से ईर्ष्या होने लगी और छोटी लोगों के सामने आने से डरने लगी कही भी जाए तो लड़के उसे बुरी नज़र से देखे इसलिए वह भी परेशान रहने लगी थी। एक बार छोटी किसी शादी में गयी अपने घर वालों के साथ उसे वहाँ एक लड़का बहुत देर से घूर रहा था वह वहाँ बहुत परेशान हो रही थी उसे अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन किसी को बता भी नहीं पा रही थी उसे पता था अगर किसी को वो बताएगी तो उसे ही सब समझाएगे के तुम क्यू उसे देख रही थी वो तो लड़के है उनकी तो आदत रहती है देखने की लड़कियों को नज़र झुकाए रखना चाहिए। वह मन ही मन रो रही थी के कैसे निकलू यहाँ से जैसे- तैसे वहाँ से सब निपटा के अपने घरवालों के साथ वापस घर आ गयी लेकिन वो रात भर परेशान रही उस लड़के की नज़र मानो उसे काट रही थी। 

           कुछ समय बाद वे अपने माता-पिता के साथ दूसरे गाँव जा रही थी रेल गाड़ी में अब वहाँ पर भी तरह तरह के लोग रहते है वह वैसे भी परेशान थी इस बार लड़कों का झुंड रेल गाड़ी में था वे ४-५ दोस्त थे उसे देख रहे थे फिर बाते कर रहे थे वह फिर उदास चुप बैठी इस बार उसे बहुत ग़ुस्सा भी आ रहा था खुद पर के मैं इतनी कमजोर क्यों हूँ। उसने आज अपने को समझाया और अपने अंदर की ताक़त को निकालने की कोशिश की इस बार वह सोची के ऐसे ही इन बातों को नज़रंदाज़ नहीं करूँगी और वह मौक़ा पाते ही उन लड़कों को ऐसा करारा जवाब दीं अब उन लड़कों को भी शर्मिंदगी होने लगी। छोटी इस बार खुद में अच्छा महसूस करने लगी उसे अपनी ताक़त का अंदाज़ा भी लग गया और वह अब खुद की रक्षा कैसे करना है वह सिख गयी। लेकिन बड़ी को अब भी लगता था के उसे कोई पसंद नहीं करता एक दिन वह बड़बड़ा रही थी तभी छोटी ने सब सुन लिया उसे अच्छा नहीं लगा के उसकी बहन उसके लिए ऐसा सोचती हैं फिर भी वह उसे समझाने लगी के ऐसा नहीं हैं। फिर उसने अपनी दीदी को बाहर साथ टहलने के लिए आने को कहा वे दोनो बातें करते-करते जा रही थी वही पास एक मंदिर में कथा चल रही थी छोटी को मन हुआ वही बैठ कथा सुनने का वह अपनी दीदीको भी ज़िद करने लगी के थोड़ी देर यहाँ बैठ जाए। छोटी कथा सुनने में मस्त हो गयी लेकिन बड़ी का मन ही ना लगे। कहते है न “ भगवान अपने पास किसी मक़सद से बुलाते हैं”। कथा में श्री कृष्ण जी के बारे में आया के “ वे सांवले होते हुए भी सबको मोहित कर लेते थे क्यूँकि उनका मन सुंदर था इसलिए सब उनको चाहते थे”। ये बात बड़ी के मन को भा गयी और वह भी अपनी अंदर की सुंदरता को समझने लगी वापस से खुद को पहचानने लगी और अपने आप की तुलना किसी और से करना छोड़ दी। 

          उसके बाद वे दोनो ही बहने ख़ुश रहने लगी और अपने मन की सुंदरता और ताक़त को पहचान गयी।” रंग से कोई सुंदर या बदसूरत नहीं होता बल्कि अपने मन के विचारो और अच्छी सोच से होता है”।


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