Sudershan kumar sharma

Tragedy

3  

Sudershan kumar sharma

Tragedy

मजदूर

मजदूर

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शाम हो चूकी थी लेकिन सोनू के पापा अभी तक घर नहीं पहुंचे थे, सोनू बार बार दरवाजे के पास खड़ा होकर पापा का इंतजार कर रहा था कि कब मेरे पापा रोज की तरह आज भी मेरे लिए कुछ खाने को लाएंगे और मुझे चूम कर गले से लगा कर बाहर घुमाने ले जाएंगे, 

लेकिन लाकडाउन होने का कारण सोनू के घर के आस पास भी कोई नहीं दिख रहा था, 

सोनू ने मम्मी से पूछा मम्मा आज पापा नहीं आए बहुत देर हो गई, आज मेरे लिए पापा क्या लाएंगे, मम्मा ने कहा आते ही होंगे आप के लिए बहुत कुछ लाएंगे। 

थोड़ी देर बाद सोनू फिर यही सवाल किया, मम्मा ने फिर कहा बेटे पापा आते होंगे। 

बहुत देर हो चुकी थी सोनु फिर मम्मा को तंग किया तो मम्मा ने गुस्से में एक थप्पड़ बेटे के गाल पर दे मारा जिससे बेटा डुस्क डुस्क कर रोने लगा और कहने लगा जब पापा आएंगे सुनाऊंगा मुझे मम्मा ने बहुत पीटा, सोनु रोते रोते ही सो गया। 

रात के आठ बज चुके थे, लाकडाउन होने के कारन सोनू के पापा को कोई काम नहीं मिला था, वो हर रोज की तरह आज भी सुबह बाजार में काम ढूंढने निकला था लेकिन खाली हाथ यही सोच सोच कर चल रहा था कि आज का गुजारा कैसे होगा, जो जमा पूंजी थी पहले ही काम कम मिलने पर खत्म हो चुकी थी, अब जो मजदूरी हर रोज मिलती उसी से गुजारा चलता था लेकिन आज तो जेब में सोनू के लेने के लिए भी कोई रुपया नहीं था इसी सोच में डूबा चल रहा था कि रास्ते में जोर की ठोकर लगी जिससे मोहन सोनू के पापा तपाक सिर के बल गिर गए और सिर से लहू की धारा निकलने लगी जिसे मोहन ने कपड़े के साथ बांध दिया और घर की और चल दिया। 

बहुत अंधेरा हो चुका था मोहन ने दरवाजा खटखटाया सोचा सोनू कुछ मांगेगा तो क्या दूंगा लेकिन दरवाजे पर पत्नी को पाकर चुप सा रह गया तो बीवी ने कहा सोनू रो रो कर सो गया आपने बहुत देर कर दी , मोहन ने गर्दन हिलाई और तपाक से बैठ गया कि आज काम नहीं मिला ऊपर से सिर को चोट आ गई दोनों पति पत्नी परेशान थे, घर में रत्ती भर भी खाने को नहीं था, पति ने कहा मुझे तो भूख नहीं है पत्नी ने भी हां में हां मिलाई। 

मोहन ने बेटे को सोते सोते चूमा और एकांत में पीड़ा को सहन करते करते न जाने कब नींद आ गई लेकिन सर से खून बहना बंद नहीं हुआ था। 

सुबह उठने पर पत्नी ने पति को हिलाते हुए कहा उठे नहीं आज काम नहीं जाओगे क्या बहुत देर कर दी लेकिन पत्नी के हिलाने पर भी जब कोई जवाब नहीं मिला तो पत्नी ने गौर से देखा चारपाई के नीचे बहुत से खून के धब्बे थे और पति देव स्वर्ग सुधार चुके थे पत्नी की चीख यही कह रही थी की हमको किस के सहारे छोड़ रहे हो, तब तक चार वर्षीय सोनू की आंख खुल गई वो उठते ही पापा पापा करके पापा को हिला रहा था और कह रहा था पापा मुझे मम्मा ने बहुत मारा सुनो, पापा सुनते क्यों नहीं, रात को मेरे लिए क्या लाये थे, मैं आप को याद कर कर के सौ गया था पापा मम्मा से पूछो मुझे क्यों मारा, 

मम्मा की आंखों में आंसुओं की बौछार निकल रही थी उसने बेटे को गले लगाते हुए कहा अब तेरे पापा कभी भी आप से बात नहीं करेंगे, न कभी आप के लिए चीजी लाएंगे, अनजान बेटा अभी पापा को शिकायतें कर रहा था, मम्मा के मन ही मन में ऐसा महसूस हो रहा था कि

हे खुदा किसी को गरीबी न दे

मौत दे दे मगर बदनसीबी न दे। 



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