महिष्मति
महिष्मति
आज महामंत्री चंद्रचूड़ गहन चिंतन में थे। उनका एक सेवक उनके लिए भोजन लेकर आया था लेकिन महामंत्री को इसका भान तक ना हुआ।
जब सेवक के पुकारे जाने के बाद भी महामंत्री जब अपने चिंतन से बाहर नहीं आए तो इसकी सूचना बाहुबली महेंद्र तक पहुँची।
तब बाहुबली महेंद्र महामंत्री चंद्रचूड़ के कक्ष में पहुंचे। जैसे ही महेंद्र ने उन्हें पुकारा, उन्होंने खड़े होकर महेंद्र का स्वागत किया। महेंद्र ने उन्हें पलँग पर बिठाया और पूछा- “क्या हुआ महामंत्री, आप इतने चिंतित क्यों है?”
महामंत्री ने उनकी ओर देखा और बोले- “इस युद्ध में आपके प्राणों पर संकट आ सकता है। इस बात को जानते हुए भी आप इस युद्ध मे सेनापति बनकर जा रहे है।
“क्योंकि युद्ध महिष्मति को बचाने के लिए हो रहा है। यह कर्तव्य एक पालक का होता हैं। आप व्यर्थ चिंता ना करें।” महेंद्र के चेहरे पर मुस्कान तैर गई।