मेरी यादगार दिवाली
मेरी यादगार दिवाली
हर अमावस की रात काली नहीं होती। दीपावली भी अमावस के दिन आती है ।उसके अंदर हम सब रोशनी के दीपक जगमगाते हैं ,इससे पूरी कायनात जगमगाजाती है ।मुझे तो दिवाली अमावस की रात बहुत अच्छी लगती है। और 2014 की दीपावली बहुत याद आती है । उस दिन मेरे बेटा बहू पुणे से घर आए ।और मेरी बहू की पहली दिवाली थी शादी के बाद बहू की पहली दिवाली थी ।उसने और , मेरी बेटी जो डॉक्टर है अमेरिका से दिवाली मनाने आई थी अपनी छोटी गुड़िया के साथ। उनके आने से 5 दिन पहले से मैंने सब मिठाईयां वगैरह बना ली थी सब आए तो सब ने बहुत मजे से सब खाया।
सब ने मिलकर के बहुत दीपक जलाएं ।और हंसी खुशी से पूजा करी ।और सब ने खूब पटाखे छोड़े ,और खुशी से दीपावली मनाई। यह हमारी यादगार दीपावली थी । बच्चों के आने से घर गुलजार हो गया और त्यौहार हमारा बहुत खास हो गया