मेरी न सही तुम्हारी मदर टंग तो हिंदी है
मेरी न सही तुम्हारी मदर टंग तो हिंदी है
"चुम्मा ", अखिल जब किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था तो ,सुप्रिया के कानों तक यह शब्द पहुंचा। इस शब्द को सुनते ही सुप्रिया के कान खड़े हो गए। ऐसा होना स्वाभाविक भी था ,सुप्रिया के हाथ भले ही कपड़ों की तह करने में मशगूल थे ;लेकिन कान तो अपने पति अखिल की बातों पर थे।
बिहार की, मैथिलि बोलने वाली ,सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुप्रिया को मलयाली डार्क एंड हैंडसम लड़के अखिल से प्यार हो गया था। दोनों किसी दोस्त की पार्टी में मिले थे ;धीरे -धीरे दोस्ती हुई और फिर प्यार और फिर घरवालों से तकरार और फिर शादी। शादी के बाद दोनों अब एक ३ वर्षीय बेटे आरव के मम्मी पापा भी बन गए थे।
"किससे बात कर रहे थे ?", सुप्रिया ने शरारत से थोड़ा नकली गुस्सा दिखाते हुए पूछा।
"कॉलेज के दोस्त सुरेख से बात कर रहा था। तुम्हें बताया तो है उसके बारे में। ",अखिल ने बताया।
"तुम सुरेख से चुम्मे की बात कर रहे थे। ", सुप्रिया ने अपनी हंसी दबाते हुए आँखें गोल -गोल घुमाते हुए कहा।
"क्या मतलब है तुम्हारा ?",अखिल थोड़ा अचंभित सा बोला।
"ओफ्फो ,तुम्हे पता है हिंदी में 'चुम्मा' मतलब 'किस' ", सुप्रिया ने खीझते हुए बोला।
"हा हा हा ,अब समझ आया मैडम इतनी पूछताछ क्यों कर रही थी ? मलयालम में चुम्मा का अर्थ होता है 'कुछ नहीं ',नथिंग। " ,अखिल ने हँसते हुए कहा।
इस अंतर्राज्यीय विवाह में सुप्रिया और अखिल आपस में हिंगलिश में बात करते थे। अखिल अपने घरवालों से मलयालम में और सुप्रिया अपने घरवालों से मैथिलि में बात करती थी। बंगलोर में रहने के कारण दोनों अपने दोस्तों से इंग्लिश में या हिंदी में बात करते थे। कुल मिलाकर उनके घर में मैथिलि ,मलयालम ,हिंदी और इंग्लिश भाषाएं बोली जाती थी। सुप्रिया के साथ रहकर और बैंगलोर के मेल्टिंग पॉट कल्चर के कारण अखिल की हिंदी भी काफी सही हो गयी थी।
"अरे ,यार मलयालम से से याद आया कि आरव ३ साल का हो गया है ;लेकिन यह अभी तक भी बोलना नहीं सीख पाया है। पहले मैं सोच रही थी कि कुछ बच्चे देर से बोलना सीखते हैं ;लेकिन यह तो बहुत ही देर हो रही है। उसे सुनने में कोई प्रॉब्लम नहीं है " ,सुप्रिया ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए अखिल से कहा।
"टेंशन की बात है। कल हम स्पीच थेरेपिस्ट से मिल लेते हैं। मैं अपॉइंटमेंट फिक्स कर लूँगा। डोंट वरी ",अखिल ने कहा।
अगले दिन सुप्रिया और अखिल आरव को लेकर स्पीच थेरेपिस्ट के पास गए। स्पीच थेरेपिस्ट ने उनकी बात को सुना। उनके घर के माहौल के बारे में पूछा और फिर उन्हें बताया कि ,"आपके घर में इतनी भाषाएं बोली जाती हैं ;इस कारण आरव कंफ्यूज हो जाता है और शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर पाता है। आप किसी एक भाषा में ही बात करने की कोशिश कीजिये ताकि वह बोलना सीख सके। बाकी भाषाओँ का ज्ञान तो उसे हो ही जाएगा। "
थेरेपिस्ट के पास से लौटते हुए सुप्रिया ने अखिल से कहा ,"ठीक है ;अब से हम घर में आरव के सामने अंग्रेजी में ही बोलेंगे। अपने घरवालों को फ़ोन आदि आरव के सोने के बाद करेंगे। हमें उसके साथ कुछ समय तो केवल एक ही भाषा में बात करनी होगी। "
अखिल ने सुप्रिया को प्रश्नवाचक नज़रों से देखते हुए कहा ," अंग्रेजी में क्यों ?माना मेरी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है ;लेकिन तुम्हारी तो है ;तुम हिंदी माहौल में ही पली-बड़ी हो। हिंदी तुम्हारी मदर टंग रही है तो आरव के लिए हिंदी सीखना ही बेहतर होगा। हिंदी सीखने से इसका उच्चारण भी अच्छा होगा और साथ ही अन्य भारतीय भाषाएं भी अच्छे से सीख पायेगा। अंग्रेजी तो वैसे भी सीख लेगा। इस बहाने मेरी हिंदी भी अच्छी हो जायेगी। "
अखिल की सोच पर गर्व महसूस करते हुए सुप्रिया ने कहा ," बिलकुल सही। आरव हमारी मदर टंग ही सीखेगा। "