Archana Saxena

Children Stories

4.0  

Archana Saxena

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मेरा समझदार बेटा

मेरा समझदार बेटा

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"फिर से वही दाल और आलू की सब्जी बना दी आपने मम्मा? मुझे आज खाना ही नहीं खाना है।"

बबलू गुस्से से मुँह फुला कर बोला।

 "लेकिन आलू तो तुम्हें पसन्द है? इसीलिए तो अक्सर बना देती हूँ" रजनी ने प्यार से कहा।

  " पसन्द है तो क्या रोज खाऊँ? कबसे कह रहा हूँ बर्गर पिज्जा कुछ मँगवा दो। आप सुनती ही नहीं हैं। बाहर खाने नहीं जा सकते तो घर में तो मँगवा सकते हैं न?" बबलू रूठा हुआ था।

 "बेटा घर में मँगवाना अलाउड तो है, पर फिर भी हमें अभी कुछ दिन और ध्यान रखना चाहिए। कहीं साथ में वायरस भी आ गया तो? वैसे भी तुम टीवी पर देखते हो न कि घर का बना हेल्दी फूड खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है?" रजनी ने समझाना चाहा लेकिन बबलू के पास जवाब तैयार था

"आपको ही प्रॉब्लम है बस! वह सामने वाले सोनू के घर में तो कितनी बार बाहर का बढ़िया बढ़िया खाना आता है। रहने दो आज मुझे खाना ही नहीं खाना।" 

कह कर बबलू गुस्से से अपने कमरे की बाल्कनी में जाकर खड़ा हो गया और बाहर देख कर मन बहलाने की कोशिश करने लगा।

  सुमेर ने रजनी को उलाहना दिया

"बहुत बिगड़ गया है तुम्हारा बेटा। सारी दुनिया परेशान है और इसे बर्गर पिज्जा की पड़ी है। ऊपर से ये सामने वाले, घर में खाना बनाया नहीं जाता दूसरे बच्चों को भी बिगाड़ रहे हैं।"

 "अरे आप चिंता मत करो। कोई नहीं बिगड़ रहा बबलू। वह बहुत समझदार है वैसे, पर है तो बच्चा ही। जरा उसके नजरिए से देखिए, सारा दिन घर में रहता है, न खेलने जा सकता है न स्कूल। पहले हम हर सप्ताह घुमा कर और कुछ खिला पिला कर लाते थे वह भी बन्द है। और एक साल से ज्यादा हो गया अपने मित्रों से नहीं मिला वह। मैं और आप भी परेशान हो चुके हैं फिर वह तो बच्चा है।"

रजनी ने समझाया।

"हाँ कह तो तुम ठीक रही हो वैसे।" सुमेर सोचता हुआ बोला।

इतने में बबलू अपने कमरे से भागता हुआ बाहर आया और रजनी का हाथ पकड़ कर बाल्कनी की ओर ले जाते हुये बोला

 "देखो सड़क के पार इतनी लम्बी लाइन क्यों लगी है? क्या हो रहा है वहाँ? एक टैम्पो भी खड़ा है। कुछ अंकल लोग लाइन में सभी को कुछ दे रहे हैं। क्या दे रहे हैं वह?"

उसकी उत्सुकता चरम पर थी। 

 रजनी ने प्यार से समझाया

"ये वो लोग हैं जिनका लॉकडाउन की वजह से काम छूट गया है और अब उनके पास खाने के लिये भी पैसे नहीं हैं। कुछ भले लोग और हमारी सरकार ऐसे लोगों की मदद करते हैं और खाना बाँटते हैं। बस वही हो रहा है सड़क के उस पार।"

बबलू हैरानी से सुन रहा था। ऐसे भी लोग हैं जिनके पास खाने को कुछ नहीं है? सुमेर भी वहाँ आ गया था।

उसने सुमेर से पूछा

"पापा आपकी नौकरी तो नहीं जायेगी न?"

सुमेर उसे गले से लगाकर प्यार से बोला

"नहीं बेटा तुम चिंता मत करो। मेरी नौकरी सुरक्षित है। चलो अब खाना खा लो चलकर, कल पिज्जा मँगवा दूँगा। लेकिन ध्यान रहे कि कल ही मँगवाऊँगा, रोज रोज नहीं।"

   "नहीं पापा, मम्मा! मुझे पिज्जा बर्गर कुछ नहीं चाहिए। जब तक सब ठीक नहीं हो जाता मैं भी बाहर का खाना नहीं खाऊँगा। और मम्मा तो मेरी पसंद का खाना बनाती हैं।"

बबलू ने कहा और हाथ धोने चला गया।

रजनी ने सुमेर की ओर देख कर मुस्कान के साथ कहा

"कहा था न मेरा बेटा समझदार है?"


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