Bindiya rani Thakur

Others

4.8  

Bindiya rani Thakur

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मेरा बेटा बदल गया

मेरा बेटा बदल गया

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सर्दियों के दिन हैं, आजकल शाम जल्दी हो जाती है,घड़ी में चार बज रहे हैं, तो सोचा कि शाम की चाय बनाकर पी ली जाए और सोचते हुए रसोई की तरफ जाने को हुई कि बाहर दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दे दी, अब मैं दरवाजे पर कौन है ये देखने के लिए चल दी, देखा तो सामने सरला खड़ी थी, "बड़े दिनों बाद दर्शन दिए सरला,पवन के यहाँ से कब आई, मैंने सरला से पूछा"। 

कल ही आए हैं सुधा, अब अंदर आने के लिए भी कहोगी कि दरवाज़े पर ही सारी बातें कर लोगी,ये लो घर में पूजा की थी उसका प्रसाद! कहते हुए सरला घर के अंदर आ गई।

चाय पियोगी ना मैं चाय बनाने ही जा रही थी, मैंने सरला से कहा।

नेकी और पूछ पूछ! चाय के साथ बिस्किट भी चलेगी, चलो बनाते हैं चाय और साथ ही ढेर सारी बातें भी करनी थी तुमसे, वह बोली और मेरे साथ रसोई की ओर जाने लगी।मैंने फटाफट चाय चढ़ा दी, एक प्लेट में कल के बनाए नारियल के लड्डू निकले और सरला को पानी की बोतल थमाते हुए बोली, चलो चाय को धीरे-धीरे उबलने दो हम बातें करते रहते हैं।

"सुधा! तुम्हारे लड्डुओं की बात ही कुछ और है, सच में बहुत स्वादिष्ट हैं",स्वाद लेती हुई सरला बोली।

"हाँ सालों से बना रही हूँ अब अच्छे बन जाते हैं, और बता तुमने तो कहा था कि तुम्हारे पवन बेटे के यहाँ से आने के बाद रमेश बेटा छोटी बहू को तुम्हारे पास छोड़ जाएगा, कुछ दिनों के लिए! अकेली क्यों आई स्वीटी बहू को भी लेती आती", मैंने कहा। 

"अब क्या बताऊँ सुधा,तुमको तो पता ही है इनके जाने के बाद मैं बड़े बेटे पवन के साथ रहती हूँ, अंजलि बहू बहुत ध्यान रखती है और मेरे पोते आरव के साथ मन लगा रहता है, अभी छोटी बहू के पैर भारी हैं और कुछ समस्याएं हैं तो डाॅक्टर ने बेडरेस्ट के लिए कहा है,इसीलिए मैंने रमेश से कहा कि स्वीटी बहू को यहाँ छोड़ जाए, पता है उसने क्या कहा! "कहता है माँ कोरोना चल रहा है ,आप तो इधर-उधर घूमती रहतीं हैं अगर आपको कोरोना हो गया तो स्वीटी को भी हो जाएगा, नहीं मैं स्वीटी और बच्चे की जान खतरे में नहीं डाल सकता इसीलिए स्वीटी को आपके पास नहीं उसके मायके में छोड़ने जा रहा हूँ।"अब तुम ही सोचो मैं अपनी बहू का ध्यान रखना छोड़ कर इधर-उधर घूमती रहूँगी। जब से ये सब बातें सुनी हैं मेरा मन बहुत दुखी है,मेरा बेटा बदल गया है सुनकर विश्वास नहीं हुआ कि रमेश भी ऐसा सोच सकता है,इसीलिए सोचा कि तुम्हारे पास आकर अपना जी हल्का कर लूँ" सरला ने कहा ।

"अच्छा किया जो आ गई,चलो चाय पियो और सब भूल जाओ, हो सकता है उसका नजरिया भी सही हो, रमेश पिता बनने वाला है अतएव अपनी होने वाली संतान और अपनी पत्नी के प्रति अधिक झुकाव लाजिमी है। तुम ज्यादा मत सोचो और सब कुछ समय के ऊपर छोड़ दो,"मैंने उसे तसल्ली देते हुए कहा।

चाय पीकर सरला तो चली गई और मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि क्या सचमुच ही रमेश बेटा बदल गया है?



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