मददगार
मददगार
भूख से तड़प तड़प कर मर चुके ' कलुआ ' के घर गाँव के सरपंच साहब पहुँचे मीडिया कर्मी पहले ही पहुँचे हुए थे। पिता के शव से लिपट कर करुण क्रंदन कर रही मुनिया के आँसू पोंछते हुए सरपंच साहब बोले, " चुप हो जा बेटी ! हम सब गाँव वाले तेरे अपने ही तो हैं। किसी भी चीज की जरूरत हो निस्संकोच माँग लेना।"