Sangeeta Aggarwal

Inspirational Others

3  

Sangeeta Aggarwal

Inspirational Others

मैं अपराजिता।

मैं अपराजिता।

3 mins
137


" अप्पू बेटा क्या कर रही हो ?" शालिनी ने अपनी बेटी अपराजिता के कमरे में आ पूछा।


" मम्मा आपको तो पता है मेरे एग्जाम शुरु हो रहे है तो बस उसकी प्रैक्टिस कर रही हूँ !" उलटे हाथ से लिखने की कोशिश करती अप्पू बोली।


" बेटा तुम एग्जाम कैसे दे सकती हो ?" शालिनी हैरानी से बोली।


" क्यो मम्मा पहले भी तो कितने एग्जाम दिये है मैंने फिर अब क्या ?" अप्पू माँ की तरफ देखती हुई बोली।


" तबमे और अबमे फर्क है !" शालिनी झुंझला कर बोली।


अब तक की कहानी आपको थोड़ा भ्रमित कर रही होगी कि एक माँ अपनी बेटी से ऐसा क्यों कह रही है तो चलिए कहानी को आगे बढ़ाने से पहले आपको थोड़ा पीछे ले चले ...अप्पू यानी अपराजिता अपने माता पिता की इकलौती संतान पढ़ाई में होशियार होने के साथ साथ एक हंसमुख और संस्कारी लड़की जिसे हर कोई पसंद करता था। अपराजिता बीबीए कर रही है फिर एम बी ए करके अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है और अपने माँ बाप का सहारा बनना चाहती है पर उसका ये ख्वाब उस दिन टूटता सा नज़र आया जब एक दिन कॉलेज से आते में उसका एक्सीडेंट हो गया और सीधे हाथ की हड्डी टूट गई। परीक्षा में केवल डेढ़ महीना बचा था । अपराजिता खूब रोई क्योंकि उसे तीन महीने का प्लास्टर चढ़ा था ऐसे में परीक्षा तो दूर की बात वो तो एक शब्द भी लिख नहीं सकती थी। किन्तु रोना हर परेशानी का हल होता तो दुनिया में परेशानियां ही क्यों होती। अपराजिता ने उलटे हाथ से परीक्षा देने का निश्चय किया हलांकि उसे वहां परीक्षा हॉल में ये सुविधा मिली थी की वो केवल बोले और उसके उत्तर कोई और लिखे पर अप्पू को ये मंजूर ना था । आज उसे उलटे हाथ से लिखने की कोशिश करते देख उसकी मम्मी परेशान हो गई थी।


" मम्मा आपने एक बार कहा था ना कि आपने मेरा नाम अपराजिता इसलिए रखा कि मैं जिंदगी में कभी हार ना मानूँ तो अब आप क्यों मेरा हौसला नहीं बढ़ा रहे हो मुझे अपने बल पर परीक्षा देनी है और पास भी करनी है !" अप्पू बोली।


" बेटा लेकिन तुम्हें परीक्षा देनी ही है तो वहां केवल बोल देना बस इतनी मेहनत क्यों कर रही हो लिखने में !" शालिनी बोली।


" मम्मा मैं अपने बल पर परीक्षा पास करना चाहती हूँ जिससे कोई ये ना कहे कि किसी के सहारे से पास हुई अपराजिता।" अप्पू बोली।


" पर बेटा ?" शालिनी असमंजस में बोली।


" पर वर कुछ नहीं मम्मा आपने मेरा नाम अपराजिता इसीलिए रखा था ना कि मैं कभी हार ना मानूँ तो अब आप क्यों मुझे हार मानने को बोल रही तू मैं हार मानने में विश्वास नहीं रखती मम्मा। आपकी बेटी कभी हार नहीं मानेगी आखिर वो अपराजिता है" अप्पू माँ से बोली।


" हाँ मेरा बच्चा तू अपराजिता है तू कभी हार नहीं मानेगी मैं अभी तेरे लिए कॉफी बना कर लाती हूँ तू तब तक प्रैक्टिस कर !" बेटी का हौसला देख शालिनी ने कहा उसकी आँख नम थी।


अप्पू की मेहनत रंग लाई ईश्वर ने भी उसका साथ दिया और उसने उलटे हाथ से ही परीक्षा दी और पास भी की। 


दोस्तों जिंदगी में परेशानियां आती जाती रहती है इंसान वही जो मुश्किल हालात से हार ना माने।


आपकी दोस्त 

संगीता


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational