मैला है पानी
मैला है पानी
किसनापुर में मेला लगा था। रधिया कबसे अम्मा बापू से कह रही थी लेकर चलो। उसे और उसक भाई को मेला बहुत पसंद था। बड़े बड़े झूले,मिठाइयाँ और अब उम्र के सत्रहवें साल में रधिया को छोरों का ताकना, तारीफ करना भी भाने लगा था। मेले को तैयार होते वक़्त देखा,मुआ मुहाँसे से चेहरा भरा हुआ। कैसे भी पाउडर क्रीम से लीपकर चली तो रास्ते में पड़ती नदी में चेहरा देखा एकदम बेदाग। पूछ बैठी अम्मा से,"री अम्मा मैं इतनी चिक्कन कैसे दीख रही ?
"उ पानी में सब मैल धुल जावे है ना"
अनपढ़ अम्मा ने कितनी गहरी बात कह दी थी।