Navya Agrawal

Children Stories Drama Inspirational

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Navya Agrawal

Children Stories Drama Inspirational

मास्क है जरूरी

मास्क है जरूरी

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वान्या, एक डेढ़ साल की छोटी सी, शरारती सी, बहुत ही प्यारी सी बच्ची है, जो अपने पापा की लाडली है। बेटियां तो वैसे भी अपने पापा की परियां होती है।


वान्या के पिता संदीप, जो कि एक डॉक्टर है, corona के कारण बिगड़े हालातों के चलते उन्हें पूरे जिले का कॉविड हेड बना दिया और उन पर काम का प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ गया। जिसके कारण वह वान्या को समय नहीं दे पाते और जो थोड़ा बहुत समय मिलता, उसमे भी वह अपनी बच्चियों से दूर रहते। 


वान्या और उसकी बड़ी बहन पीहू, जो उससे उम्र में 5 साल बड़ी है, दोनों ही अपने पापा के आने की राह देखती और आते ही उनसे लिपटने को भागती। लेकिन संदीप उनकी सुरक्षा के खातिर उन्हें खुद से दूर कर देते। 


वान्या का बचपन अभी शुरू ही हुआ था कि उसे कोरोना के कारण घर की चार दीवारी में कैद होकर रहना पड़ता है। डॉक्टर संदीप सुबह जब अपने हॉस्पिटल के लिए निकलते, तो वान्या उनके पीछे दौड़ती और अपनी तोतली जबान में बोलती - "पापा माछ (मास्क)...पापा माछ...!" जब तक वह मास्क नहीं लगा लेते, वान्या उनका पीछा नहीं छोड़ती। 


वान्या जितनी तेज, पीहू उतनी सीधी थी। पीहू अगर कभी गलती से भी एसी ऑन कर लेती, तो वान्या उसके पास जाती और एसी ऑफ कर देती। छोटी होकर भी वह पीहू को डांटते हुए कहती - "जीजी अदल आपने एछी (एसी) तलाया तो मैं आपतो तोलोना में छोड़ आऊंगी! एछी बंद तलो!" पीहू उसकी डांट सुनकर एसी बंद कर देती। 


एक रोज उनके घर संदीप के एक दोस्त आए, जिन्होंने मास्क नहीं लगाया हुआ था। वान्या ने देखा वो बिना मास्क के बैठे सबसे बातें कर रहे है। वह भागकर अपने कमरे में गई और अपने सामान में से एक छोटा सा मास्क लेकर आई।


वह भागकर उनकी गोदी में चढ़ गई और उनके मुंह पर अपना छोटा सा मास्क लगाने की कोशिश करने लगी। उसकी इस हरकत पर उसकी मम्मी उसे डांटते हुए बोली - "वानु बेटा आप क्या कर रही है? अंकल को ऐसे तंग नहीं करते! उतरो नीचे उनकी गोद से!"


वान्या फिर भी उनके चेहरे पर मास्क लगाने की कोशिश करते हुए बोली - "मम्मा अंतल ने माछ (मास्क) नही लदाया हुआ न! हम सब तो तोलोना हो जायदा मम्मा! अंतल आप माछ लदा ते नहीं आए ना! आप मेला माछ लदा लो, नहीं तो आपता चालान तट जाएदा!"


वान्या ने खींचतान करके आखिर अपना मास्क उनके चेहरे पर लगा ही दिया। दरवाजे पर खड़े संदीप ने वान्या की ऐसी हरकत देखी तो उन्हें अपनी बेटी पर बहुत गर्व हुआ। वान्या उन्हें देख भागकर पापा पापा करते हुए उनकी गोद में चढ़ गई। संदीप ने उसे गोद में उठाया और उसका चेहरा चूम लिया।


संदीप उन सभी के पास आकर कहने लगा - "क्या यार, एक बच्ची को भी पता है मास्क लगाना कितना जरूरी है और तुम इतने बड़े होकर भी इतनी समझ नहीं कि कही जाए तो मास्क लगाकर जाए! मदद तो सरकार करे न करे, पर आइंदा एक बार घर से बाहर बिना मास्क के निकलने से पहले अपने परिवार के बारे में जरूर सोच लेना! अपनी सेफ्टी के लिए हम दूसरों पर डिपेंड है क्यों? लाइफ हमारी है या उनकी, जो सब कुछ सरकार करे और हम एक मास्क भी ना लगाए! बच्चों को भी अपनी जान की कीमत मालूम है!" संदीप के दोस्त ने अपना सिर शर्म से झुक लिया।


संदीप ने वान्या को हवा में उछालते हुए कहा - "ये है असली डॉक्टर की बेटी, मेरी छोटी सी डॉक्टर!" हवा में उछालते ही वान्या खिलखिलाकर हंसने लगी और उसके पैरो की पायल छनकने लगी।



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