Akanksha Gupta

Tragedy

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Akanksha Gupta

Tragedy

माँ

माँ

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“मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी, मैंने तुम्हें चोरी करना तो नहीं सिखाया। अगर तुम्हें किसी भी चीज की क़मी थी तो मुझसे कहते, मैं कहीं से भी तुम्हारे लिए उस चीज का इंतजाम करती लेकिन नहीं तुमने मेरी परवरिश को कलंकित कर दिया।” सुधा रोती हुई दुकान मे जा रही थी।

“नहीं माँ, मैंने चोरी नहीं की। एक बार मेरी बात तो सुनिए।” दीप कहते हुए उसी दुकान पर पहुँचा जहाँ पर उस पर चोरी का इल्जाम लगा था।

जैसे ही सुधा को पता चला कि दीप पर एक कागज की थैली की चोरी का इल्जाम लगाया गया तो वो दुकानदार पर बिफर पड़ी- “आपने एक छोटी सी कागज की थैली के लिए मेरे बच्चे को परेशान किया। अभी उसकी माँ जिंदा है। ऐसी सैकड़ों थैलियाँ मैं खुद उसके लिए बना सकती हूँ। ये लीजिए अपने पैसे और अपना सामान अपने पास रखिए।” इतना कहते हुए सुधा ने पैसें काउंटर पर पटके और दीप को लेकर बाहर निकल आई


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