Ragini Ajay Pathak

Inspirational

4.6  

Ragini Ajay Pathak

Inspirational

माँ सिर्फ माँ होती है।

माँ सिर्फ माँ होती है।

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"स्नेहा! तुम ये क्या कह रही हो?तुम उस बच्चें को अपना दूध पिलाओगी....."

"क्या तुम्हें इसकी जाति का भी पता है? भूलो मत की तुम शुद्ध सर्वोच्च ब्राह्मण कुल के परिवार की बहू हो।" 


स्नेहा ने अपने पास खड़ी नर्स से कहा,-"आप बच्चें को ले आइये"....


नर्स के वहाँ से चले जाने के बाद स्नेहा ने अपनी सास से कहा,-"माँजी ! मैं बेशक आपकी बहू हूं। एक शुद्ध उच्च कुल के ब्राह्मण परिवार की बहू। लेकिन इन सब से पहले मैं एक माँ हूं। और एक माँ की कोई जाति नहीं होती। जब एक माँ अपने बच्चे को शिक्षा देती है,तो ब्राह्मण,रक्षा करती हैं तो क्षत्रिय, जब दूध पिलाती हैं...तो वैश्य उसकी गंदगी साफ़ करती हैं,तो शुद्र"

माँ सभी जातियों और धर्मो में एक समान ही हैं।एक मां सिर्फ मां होती है।

आज मैं सिर्फ एक माँ हूँ।


....और उस बच्चे की माँ जीवित नहीं हैं। इसलिए मैं सबसे पहले एक माँ और इंसानियत का धर्म निभाऊंगी।

"पर लोग क्या कहेंगे? बाकी सबको क्या जवाब दोगी। तुम्हारे बाबुजी को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं, तुम्हें उनके गुस्से का प्रकोप झेलने के लिए भी तैयार रहना होगा" सास ने कहा


माँजी वो कहावत सुनी है ना आपने"सुनो सबकी पर करो अपने मन की" मैं उनके गुस्से को सहने के लिए तैयार हूं।

सामने खड़ी नर्स के हाथ से बच्चा लेकर उसने अपने आँचल से ढककर सीने से लगा लिया।


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