minni mishra

Tragedy Inspirational

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minni mishra

Tragedy Inspirational

माँ नहीं होती

माँ नहीं होती

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रोहित किशोरावस्था में पहुँच गया था । अनगिनत अनसुलझे सवाल ...

" दोस्त राम, श्याम की तरह मेरे चेहरे पर मूँछ और दाढ़ी क्यों नहीं उग रहे हैं ? हम तीनों लगभग एक ही उम्र के हैं। उन दोनों को दाढ़ी, मूँछ बहुत पहले ही निकल आई और मेरे चेहरे पर दाढ़ी, मूँछ का नामोनिशान नहीं है।" ...उसके मन में बवंडर मचाए हुए थे। यह सोच वह परेशान रहने लगा था ।


इतना ही नहीं, वे दोनों दोस्त अब बहुत फैशन करने लगे थे। अपने माता पिता को बताये बिना वे पिक्चर भी चले जाते थे। जाते समय रोहित को भी जोड़ देकर कहते , "चल , पिक्चर देखने, बहुत रोमांटिक फिल्म है। लेकिन उसका मन ही नहीं करता कि फैशन करके लड़कियों को रिझाऊँ वा सिनेमा देखने जाऊँ!


उल्टे रोहित को लड़की की तरह ड्रेस पहनने, श्रृंगार करने में बहुत रास आता था । जब उसके मम्मी - पापा घर में नहीं रहते , तो बड़ी बहन की साड़ी पहन कर और उसके मेकअप का सामान लेकर सजता था । युवती की तरह लिपस्टिक, नेल पालिश, बिन्दी, गजरा सब लगाता ।

अचानक एक दिन पिता ने उसे इस वेश में देख लिया । वो पत्नी पर बरस पड़े , " देखो, रोहित को लड़का है और साड़ी पहनने में इसे शर्म नहीं आती है । कहीं .... ये ... कहते हुए वह रूक गये।

अभी इसे डाक्टर के पास ले जाता हूँ, और जबरदस्ती ले भी गये। वहाँ से आने के बाद पत्नी ने घबरा कर पूछा, " क्या कहा डाक्टर ने? बोलिए।"


पत्नी के कान में फुसफुसा कर वो कुछ देर तक कहते रहे । सुनते ही रोहित की माँ के माथे पर चिंता की लकीर खींच गई । लेकिन एक माँ अपने बच्चों की भलाई के लिए जान देने के लिए तैयार रहती है । वह शेरनी की तरह चिल्लायी, "नहीं रोहित कहीं नहीं जाएगा । हिजड़ा है तो क्या हुआ?! मैं उसे हिजड़े की बस्ती में नहीं जाने दूँगी । मैंने उसे जन्म दिया है, उसे पढ़ा लिखा कर आफिसर बनाऊंगी । दुनिया में पद और पैसे से इज्जत मिलती है ।"


आज जब वह इस जिले का एस. पी. बन कर आया तो सबसे पहले हिजड़े समाज को मुख्य धारा में जोड़ने का संकल्प लिया। उसे एस. पी. के वेश में देखकर पिता की आँखों से आँसू लड़ी बन झड़ने लगे । उसने बेटे को गले से लगाया और बिलखते हुए कहा, " माफ कर दो मुझे, आज तुम्हारी माँ नहीं होती तो मुझसे कितनी बड़ी भूल हो जाती ।"



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