Padma Agrawal

Romance

3  

Padma Agrawal

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लेकिन कैसे कह दूँ ..... इंतजार नहीं है

लेकिन कैसे कह दूँ ..... इंतजार नहीं है

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      वन्या को फाइल में नये बॉस से उस पर साइन करवाना था परंतु केबिन के अंदर जाने से उसे डर लग रहा था ... वह घबराई हुई आवाज में बोली ,” मे आई कम इन सर ?”

‘यस’ कहते हुए जयवर्धन ने फाइल से अपना सिर उठाया था …

जय के आकर्षक चेहरे को देखते ही वन्या तो जैसे स्वयं को ही भूल बैठी थी , अपलक उसकी नजरें जैसे उनके चेहरे पर ठहर कर रह गईं थीं ... ए. सी . की ठंडक के बावजूद वह पसीने से नहा उठी थी ....

जय ने पानी का ग्लास उठा कर उसकी ओर बढ़ाया तो वह होश में आई और पूरे ग्लास का पानी एक सांस में पी गई थी ..

किसी को बस एक नजर देख ले ने भर से ही कितना सुकून मिलता है , यह एहसास आज उसे पहली बार हुआ था ....

वन्या ने अपनी फाइल उनके सामने रख दी थी ...उन्होंने सरसरी नजरों से देखा और बोले ,’ एक्सेलेंट ‘

‘पहले कहीं काम कर चुकी हो ?’

‘नो’

बॉस के नाम पर 50 वर्ष के खड़ूस की इमेज उसके मन में थी लेकिन यहाँ तो 30 35 वर्ष के आकर्षक युवक को देखते ही उसके दिल में कुछ कुछ होने लगा था ...” लव ऐट फर्स्ट साइट .... “

    वह उसके बॉस थे तो मिलना जुलना, थोड़ी बहुत बातचीत नॉर्मल बात थी लेकिन जब वह सुबह उसकी ओर देख कर गुडमॉर्निंग एवरीबॉडी कहते तो उसी पल उसका पूरा दिन ही बन जाता .... वह उन्हें गुलाब देती , जिसे वह हाथ में लेने के बाद टेबिल पर रख देते , जिसे वह मौका मिलते ही उठा लाती और उसे चुपके से अपने होठों से लगाकर चुंबन की कल्पना में खो जाती ... तो कभी सीने से लगा कर आलिंगन की ख्वाहिश करती ....

उनकी आहट से ही उसके दिल की धड़कनें बढ जातीं ... उसकी साँसें ऊपर नीचे होने लगतीं ...

आखिर एक दिन उसकी चोरी पकड़ी गई ... गार्गी उसकी फ्रेंड ने उससे कहा,” पागल हुई है क्या ? ...वह 40 के और तुम 20 की “…

‘अरे कुछ नहीं ....लेकिन सच्चाई सुनते ही उसकी आवाज लड़खड़ा गई और आँसू छलक उठे ..

 उसकी दीवानगी जय सर के लिये सिर चढ कर बोल रही थी ... उसका मन होता कि वह चीख चीख कर सबके सामने कह दे , “सर आई लव यू ...”

अब वह रोज सज धज कर आती और किसी न किसी बहाने से उनके केबिन में बार बार जाया करती , उनके चेहरे को एकटक देखा करती ... जब उनसे नजरें मिल जाती तो वह अपनी निगाहें फेर कर कहते , ‘’वन्या , अपना काम ध्यान से किया करो .. आजकल बहुत गल्तियाँ कर रही हो ....”

 लेकिन उसके सिर पर तो इश्क का भूत सवार था ....

पहली सैलरी मिली तो वह जय सर के लिये एक मँहगा सा पेन लेकर आई और जब अगले दिन वह जेब में वही पेन लगा कर आये तो उसे यह महसूस हुआ कि मानों उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया हो .... इस सुखद अनुभूति का एहसास करके निगाहों निगाहों में वह शर्मा कर मुस्कुराई थी ....

लगभग छः महीने से वह उनके प्यार के एहसास में डूबी हुई थी ... अब इस लुका छिपी के स्थान पर मुखर होना ही होगा... सारी रात जाग कर प्यार में डूबे हुए शब्दों को चुन चुन कर उसने प्रेमपत्र लिख कर अपने होंठों की छाप से सजा कर अपने पर्स में रख लिया ... गोल्डेन बॉर्डर की पिंक साड़ी में मैचिंग ज्वेलरी में सज धज कर आईने में अपने को बार बार हर ऐंगल से देखने के बाद उमंग से आल्हादित हुई ऑफिस आई तो वहाँ जय सर के केबिन के पास चहल पहल देखी .. उसकी निगाहें तो अपने प्रियतम की झलक के लिये तड़प रहीं थीं ... उसने अपने पिया के लिये लिखी पाती को कम से कम 100 बार तो पढ़ा ही होगा .... आखिर वह आज अपने प्यार का इजहार करने जा रही थी ... चेहरा लाज से सुर्ख लाल हो रहा था ... जय सर दिखे भी तो कई लोगों से घिरे हुय़े थे .... तभी कमल सर के शब्द उसके कानों में गर्म पिघले शीशे से सुनाई पड़े , ‘जय ऐसे कैसे मान लें कि सगाई हो गई ...’ ‘ कुछ मिठाई विठाई तो पहले खिलाओ .....”

इन शब्दों को सुनते ही वह होश खो बैठी थी ... आँखों से अविरल अश्रु वर्षा होने लगी ....

उसे देखते ही वह तेजी से बाहर निकल कर आये थे.... उसने पत्र को गुड़ी मुड़ी करके फेंक दिया .... उसने उन्हें लेटर उठाते हुए देख लिया था ...

घर में आकर वह फूट फूट कर बहुत देर तक रोती रही थी .... तभी मोबाइल पर उनका मेसेज चमका था .....

 ऐ दोस्त

 मिलने की उम्मीद तो , नहीं है तुमसे

 लेकिन कैसे कह दूँ , इंतजार नहीं है

मैडम चाय ....

रोहन की आवाज से वन्या की तंद्रा भंग हुई थी और वह प्यार से पति को देख कर मुस्कुरा पड़ी ....



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