Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

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“ कुछ दिन शरणार्थियों के साथ ”

“ कुछ दिन शरणार्थियों के साथ ”

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मगध विश्वविद्यालय गया (बिहार )के तत्वाधान में तमाम देश के विश्वविद्यालयों को एक नयी जिम्मेदारी दी गयी ! आज जो बांग्ला देश है वो कभी पूर्वी पाकिस्तान कहलाया जाता था ! 1971 के युद्ध के परिणाम स्वरूप बांग्ला देश से तकरीबन 95 लाख शरणार्थी अपने भारत देश में आ गए थे ! 30 हजार शरणार्थी को बिहार के टेकारी ,पंचानपुर ,गया में कैम्प बना कर रखा गया था ! मगध विश्वविद्यालय ने अंतर विश्वविद्यालय को आमंत्रण दिया कि अपने अपने स्तर पर भारत के एक -एक यूनिवर्सिटी आकर यहाँ कैम्प लगाएंगे और तमाम शरणार्थियों की सेवा करें ! भागलपुर विश्वविद्यालय से यह जिम्मेदारी हमारे कॉलेज संताल परगना कॉलेज दुमका (तत्कालीन बिहार ) को मिली !

हमारे प्रिन्सपल श्री सुरेन्द्र नाथ झा ने तत्क्षण राष्ट्रीय सेवा परियोजना विभाग की मीटिंग बुलायी ! ठीक प्रिन्सपल के चैम्बर से सटा 17 नंबर रूम कॉनफेरेन्स रूम था ! अध्यक्ष प्रोफेसर पुण्यानन्द झा थे !

6 सितम्बर 1971 शाम 5 बजे हम तमाम कडेट कॉनफेरेन्स हॉल में एकत्रित हुए !

प्रिन्सपल श्री सुरेन्द्र नाथ झा ने सम्बोधन किया ,---

“ ऑल इंडिया इन्टर यूनिवर्सिटी रेफ्यूजी कैम्प दिनांक 11 सितंबर 1971 से 21, सितंबर 1971 तक स्थापित टेकारी ,पंचानपुर गया बिहार में लगाया जाएगा ! हम लोग सम्पूर्ण भागलपुर यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करेंगे ! बांग्ला देश से लाखों की संख्या में शरणार्थी अपने देश में आ गए हैं ! वे हमारे अतिथि हैं ! उनकी सेवा हमारा परम धर्म है ! इस कैम्प के लिए 20 कडेट जाएंगे ! आप लोग 10 तारीख के शाम में वहाँ पहुँच जाएंगे ! आशा है कि एस 0 पी 0 कॉलेज और अपने यूनिवर्सिटी का नाम रोशन करेंगे !”

कॉलेज में पढ़ते समय एक ना एक विभाग से जुड़ना पड़ता था ! मैं से जुड़ा था और मुझे उप- टीम लीडर बनाया गया था ! अध्यक्ष महोदय के नेतृत्व में 20 कडेट का चयन हुआ ! फिर अपनों में एक मीटिंग बुलायी गयी ! सबों ने निर्णय लिया कि स्थानीय प्रशासन प्रायः -प्रायः आवास ,भोजन, पानी ,अनाज,जलाबन की लकड़ी और कोयला की आपूर्ति तो शरणार्थियों को करती है ! परंतु उन्हें कपड़े का आभाव होगा !

दुमका शहर आठ वार्डों में विभक्त था ! हरेक वार्ड में हमलोग लोगों से पुराने कपड़े इकठ्ठा करने लगे ! धोती ,कुर्ता ,पेंट ,पेजमा , साड़ी ,सूट ,फ्रॉक ,बच्चों के लिए कपड़े ,ऊनी कपड़े इत्यादि घर -घर घूम -घूमकर एकत्रित करने लगे ! पाँच दिनों में 7 गठलियाँ बन गयीं ! 10 तारीख सुबह हम लोग S P College के प्रांगण में एकत्रित हुए ! कपड़े के गठलिओं को ठेला गाड़ी में लाद कर दुमका राज्य परिवहन डेपो हम 20 कडेट अपने अध्यक्ष प्रोफेसर पुण्यानन्द झा के साथ पहुँच गए ! जसीडीह से किउल और किउल से गया पहुँच गए ! कैम्प की गाड़ी आई और हम लोग शाम टेकारी पंचानपुर शरणार्थी केंप पहुँच गए !

11 तारीख से हमारा काम प्रारंभ हुआ ! पूरे 10 किलोमीटर में फैला गया का यह पंचानपुर हवाई अड्डा अब बांग्ला देश शरणार्थी शिविर बन गया था ! चारों तरफ कटीके तारों की दीवारें बनी थी ! पुलिस चौकी सुरक्षा के लिए तैनात थी ! बहुत सारे अलग अलग टेंट लगे थे ! इन टेंटों में 30 -35 लोग रहते थे ! पहले दिन हमने प्रत्येक टेंटों में रहने वालों का सर्वे किया ! उनलोगों के नाम को अपने रजिस्टर में अंकित किया ! उन दिनों मैं टूटी -फूटी बंगाली बोल सकता था ! भारत सरकार बहुत कुछ कर रही थी परंतु शरणार्थियों के लिए ये पर्याप्त नहीं थे ! हमलोगों ने पुराने कपड़े जरुरतमन्द शरणार्थियों को दिया ! वे अपने हृदय से धन्यवाद देते थे ! क्योंकि किसीने हमलोगों से पहले कपड़े नहीं बाँटे थे !

जब तक वहाँ हमलोग रहे ,कोई दो कडेट वहाँ के बच्चों को पढ़ाते थे ! दो कडेट की ड्यूटी राशन भंडार में लगती थी ! अस्पताल ड्यूटी ,लंगर ड्यूटी ,केंप की सफाई का देखभाल इत्यादि का क्रम चलता रहता था ! शाम में हमलोग अपने टेंट में लौटते थे ! और दिनभर के कार्यकलाप का रिपोर्ट अपने अध्यक्ष महोदय को देते थे ! शाम में भोजन के बाद हमारा मनोरंजन का कार्यक्रम होता था जिसके संचालन की जिम्मेदारी मुझे मिलती थी ! 10 दिनों तक हमलोग शरणार्थी के कैम्प में रहे ! उनकी सुविधाओं का ख्याल रखा !

21 तारीख आ गया ! हम अपने -अपने समान को बांध विदा होने को आए ! बहुत बच्चे ,बूढ़े ,स्त्री ,युवा बांग्ला देशी शरणार्थियों ने हमें मायूस होकर विदा किया ! हमारे संबंध प्रगाड़ हो गए थे ! यह हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि रही कि वे हमलोगों को अपना समझने लगे ! हमारे काम को सराहा गया और हमारे प्रिन्सपल साहिब ने हमलोगों को बधाई दी ! बाद में हमारे उत्कृष्ट कार्य के लिए गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी ने हमलोगों को प्रमाण -पत्र दिया जो एक महान उपलब्धि मानी जाएगी !

 



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