कुछ ऐसे ही सवाल
कुछ ऐसे ही सवाल
बचपन में माँ कहा करती थी,"भगवान एक है.....कण कण में भगवान है....और भी न जाने क्या...." मेरा बाल मन उन सारी बातों को सौ फीसदी सच मानता था....
लेकिन बड़ी होने पर मुझे कई सारे भगवान का पता चला और साथ ही मुझे लगा कि भगवान कही दोहरे चेहरे वाले तो नही?
क्योंकि भगवान कुछ लोगों को वी.आई.पी दर्शन देते थे तो कुछ लोगों को लंबी कतारों में दर्शन देते थे। माँ से मेरा विश्वास डोलने लगा......
मेरे बचपन में माँ क्या मुझसे झूठ कहा करती थी ?
घर के बड़े भी कहा करते थे की भगवान अंतर्यामी होते है.....वे सब जानते है....
हाँ ! हाँ !!
भगवान जानते है की वी.आई.पी दर्शन वालों के पास समय कम होता है..... कतार में आये लोगों के पास समय ही समय होता है....
कितना अच्छा मैनेजमेंट है यह !!
किसी को कोई शिकायत का मौका ही नहीं....
कहते है की भगवान अपने भक्तों की परीक्षा लेते है।ऐसी कैसी वह परीक्षा होती है जो परीक्षा देता है वही फेल होता है। दुनिया भर के सारे संकटों का सामना उसे ही करना पड़ता है और जिनकी परीक्षा नहीं ली जाती वे जानते भी नहीं उन संकटों को।और तो और उनकी जिंदगी भी मज़े से गुजरती जााती है......
कहते है भगवान सब के पाप पुण्य का हिसाब रखते है। पिछले जन्म का हिसाब इस जनम में देना पड़ता है।
पाप का भी और पुण्य का भी...
पुण्य का हिसाब अगले जन्म मे कैरी फॉरवर्ड होता है।
सच में यह भगवान का ही अकाउंट है... वही इसे बेहतर जानते होंगे ....