क्षमा
क्षमा
बाहर नए साल का जश्न पूरे शबाब पर था और भीतर मंजरी अपने ज़ख्मों को दवा लगाती हुई, अपने दिल को घायल कर रही थी।
इतने में बाहर से अभिनव आया ”भाभी!! ये कैसे हुआ!! रुकिए मैं भैया को बुलाता हूं।”
मंजरी “रहने दो!! ज़ख़्म देने वाला घाव की परवाह नहीं करता!”
अभिनव मंजरी की बात सुनकर हैरान था। वो भाई जिसे वो राम की तरह पूजता था, जिसकी वफा की वो कसमें खाता था, उसके बारे में ये सुनकर वो अंदर तक हिल गया। अपना सिर पकड़कर बैठ गया।
भाभी ये सब भाई ने!! कैसे!! मुझे यकीन नहीं हो रहा!!
अभी दो साल पहले तो भाई पूरे परिवार के खिलाफ होकर आपको शादी करके लेकर आए थे।
मंजरी -“मुझे भी यही गलतफहमी थी!! वो मुझे नहीं, मेरे पिता जी के गुरूर को ब्याहकर लाए थे!”
अभिनव -“भाभी मैं पागल हो जाऊंगा मुझे बताएं, ये सब क्या हो रहा है।”
मंजरी -“अपने भाई से क्यूं नहीं पूछते हो! मेरी कही हुई बात मानोगे तो तुमसे भी चरित्र प्रमाण पत्र मांग बैठेंगे।”
अभिनव उठा और बाहर गया।
सुबोध शराब के नशे में चूर था, संगीत की आवाज इतनी तेज थी कि मंजरी की चीख और अभिनव का रूंदन किसी ने सुना ही नहीं।
अभिनव वापिस अंदर आया और मंजरी को हॉस्पिटल लेकर गया।
वहां जाकर पता चला, मंजरी का गर्भपात हो गया!!
मंजरी तो बहते खून को देखकर ही समझ गई थी कि सुबोध ने मंजरी के पिता के गुरूर के चक्कर में अपने ही वंश बेल को काट दिया है।
अभिनव ने मंजरी का हाथ अपने सिर पर रखा और कहा -” भाभी आपको मेरी कसम है!! मुझे बताएं ये सब क्या है!”
मंजरी -” मेरे पिता जी तुम्हारे भैया के प्रोफेसर रह चुके हैं। तुम्हारे भैया ने किसी लड़की से बदतमीजी को थी तो पिता जी उन्हें एक महीने के कॉलेज से निकलवा दिया। बाद में उस लड़की ने ही अपना केस वापस ले लिया।
मेरी मुलाक़ात तुम्हारे भैया से ऑफिस में हुई।
जब पिताजी से रिश्ते की बात की तो सुबोध ने नाक रगड़कर क्षमा मांगी थी, और मेरा हाथ भी!!
पिताजी भी बातों में आ गए और मेरी आंखों पर तो थी ही उनके प्रेम की पट्टी।
शादी के कुछ दिन बाद ही मुझे एहसास करा दिया था सुबोध ने!!
कोई प्यार नहीं बस मेरे पिता जी का गुरूर तोड़ने के लिए ये सब स्वांग रचा गया था ।
फिर भी मैं बर्दाश्त करती रही।
एक दिन ससुरजी ने उन्हें मुझे थप्पड़ मारते हुए देख लिया था तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा।”
अभिनव -“क्या!! पिताजी को भैया की वजह से!! मैं और मां तो यही सोचते रहे की किसी काम की चिंता में पिता जी!!”
भाभी आपने इतना सब क्यों सहा!!
अपने पिताजी को बताया क्यूं नहीं!!
मंजरी -” मैं उनका गुरूर टूटते नहीं देख सकती थी!!”
अभिनव -” आपने अपनी गर्भवती होने की बात बताई भैया को!”
मंजरी -” मैं चाहती थी नए साल पर सरप्राइज़ दूंगी, शायद बच्चे की बात सुनकर वो बदल जाए!! पर!! ”
अभिनव -” पर क्या!! आपको चोट कैसे लगी!”
मंजरी -” तुम्हारे भैया अपनी दोस्त के साथ थे, रूम में!! मैंने पूछा तो मुझे धक्का देकर बाहर चले गए। मैं मेज़ पर गिरी और!!”
अभिनव -“भाभी!! इस बार भैया को कोई क्षमा नहीं मिलेगी!! मैं हास्टल तभी जाऊंगा जब पिताजी की आखिरी इच्छा को पूरा करूंगा।”
डॉक्टर -” आप इन्हें आराम करने दें । सुबह इनको ले जा सकते हैं।”
अभिनव पूरी रात हॉस्पिटल बैठा रहा, मां को भी फोन करके बुला लिया।
सुबोध सुबह उठकर -” मंजरी!! चाय!!”
मां -“मंजरी नहीं है!! और तुम्हारा बच्चा भी नहीं रहा!!”
सुबोध के जैसे पैरों टल जमीन खिसक गई, नशे में धक्का देने के बाद उसने मुड़कर देखा ही नहीं , मंजरी कहां है!!
हर बार मंजरी का दिल दुखा कर, चोट पहुंचा कर क्षमा जो मिल जाती थी!!
सुबोध हॉस्पिटल पहुंचा -” मंजरी!! चलो!! तुमने मुझे बताया क्यूं नहीं!! ”
मंजरी -” तुम कातिल हो !! दूर रहो मुझसे!”
सुबोध -” ये सब बात घर भी हो सकती है, बच्चा ही था ना!! और हो जायेगा!! अब सॉरी कह रहा हूं ना!! चलो चुपचाप!!”
मंजरी -” उस घर में नहीं जाऊंगी अब मैं।”
सुबोध -“जाओ अपने बाप के घर!! बहुत कानून जानता है ना!! अब कोर्ट में मिलेंगे!!”
अभिनव -” भाभी आप घर चलिए!! आपको पापा की कसम!! वहां जाकर मां की बात सुन लें, फिर फैसला आपका!!”
मंजरी घर आ गई।
सुबोध -“क्यूं निकल गई सारी अकड़! ये मेरा घर है!! जैसे मैं रखूंगा वैसे ही रहना पड़ेगा!!”
सुबोध की मां ने आगे बढ़ कर सुबोध को एक चांटा रसीद किया -“यही संस्कार दिए है क्या मैंने!! कौन सा घर! जिसमें तू कभी रहा नहीं, जो मन आया किया!
तुम जाओगे इस घर से!! ये घर तुम्हारे पापा ने मंजरी के नाम कर दिया था!! तुम्हारी हरकतों ने उनकी जान ले ली!! तुम एक नहीं दो लोगों के कातिल हो!”
सुबोध के सामने अब कोई चारा नहीं था। मां से क्षमा मांगने लगा, मंजरी के पैरों में पड़ गया!!
मंजरी -” एक मां! उसी दिन से मां बन जाती है, जब गर्भ में जीव पनपता है। तुम उसके कातिल हो! अपने बच्चे के कातिल को अब कोई क्षमा नहीं दूंगी मैं। दूर हो जाओ मेरी नजरों से!!”
इतने में पुलिस भी आ गई थी, मंजरी के शरीर के निशान, मेडिकल रिपोर्ट काफी थे शारीरिक, मानसिक घरेलू हिंसा का मुकदमा बनाने के लिए।
सुबोध अपने भाई और मां से क्षमा मांगता रहा!!
अभिनव -“भैया क्षमा गलतियों की मिलती है!! अपराध की नहीं!!”
सुबोध को उसकी असली जगह पहुंचा दिया गया।
अभिनव ने भाभी से क्षमा मांगी, और मां को भाभी की देखभाल के लिए घर ही छोड़ दिया।
दोस्तों!! क्षमा गलती करने वाले को दो, अपराधी को नहीं। वरना वो हमारे लिए भी हानिकारक है और समाज के लिए भी।