Harish Sharma

Drama Others

4.0  

Harish Sharma

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क्रांति

क्रांति

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नए मंत्री जी औचक निरीक्षण पर हस्पताल आये। प्रबंधक, डॉक्टर सब बुके लेकर मंत्री जी का स्वागत करने के लिए खड़े थे।

"बस इस सब को कोई जरूरत नहीं, इस हस्पताल की बहुत सी शिकायतें हैं, उन्हीं की जांच करनी है। प्रबंधक मेरे साथ आये और प्रश्नों का उत्तर दें कि ऐसा क्यों है?"

मंत्री जी अपने पूरे लाव लश्कर जिनमें पत्रकार और वीडियो बनाने वाले शामिल थे, के सामने दहाड़ रहे थे। उनके चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं बस गम्भीरता के कोण उभर रहे थे। फेसबुक और सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण हो रहा था। लोग बाग कमेंट्स पर कमेंट्स लिख रहे थे।  

मंत्री जी पहले मरीजों के जर्नल वार्ड में गए। गंदे फर्श, मैली दीवारें और सड़े हुए गद्दे।

"आइए देखिए प्रबंधक जी, ये क्या गन्द डाल रखा है, आइए और इस गद्दे पर लेटकर देखिए, लेटिये, लेट ही जाइये। "

मंत्री जी ने प्रबंधक को हाथ पकड़कर पहले मरीज के बिस्तर पर बिठाया और फिर लिटा दिया। गद्दा फटा, मैला, कुचैला, बस चादर बदली हुई थी, उसके नीचे पड़े गद्दे में सुराख थे, मल मूत्र की गंध थी।  

प्रबंधक शहर के प्रसिद्ध सर्जन थे, इनकी ख्याति दूर दूर तक थी। इन्होंने कई मंत्रियों के रिश्तेदारों और सबन्धियों का इलाज भी किया था। अब सीनियर डॉक्टर होने के नाते इन्हें इस सरकारी हस्पताल का प्रबंधक बना दिया गया था। ये एक पढ़ने लिखने वाले होशियार मेडिकल छात्र थे, जिन्हें प्रबंध से ज्यादा अपनी रिसर्च और सर्जरी में रुचि थी। पर अब आदेश सरकारी था तो प्रबंधक भी बनना पड़ा।  

हस्पताल की व्यवस्था और वो भी सरकारी हस्पताल जहां बहुतेरी जनता आती है और अपनी गरीबी लाचारी के चलते महंगे प्राइवेट हस्पतालों में लुटने से डरती है, की भीड़ हमेशा बनी रहती। एक हजार मरीजों की क्षमता वाला हस्पताल पांच सात हजार मरीजों को संभालता भी तो कैसे ? 

खैर वीडियो वायरल हुई। कुछ लोगों ने मंत्री जी को क्रांतिकारी बताया, तो कुछ ने प्रबंधक के साथ बदसलूकी को मुद्दा बनाया। अखबार, समाचार सोशल मीडिया वाद, विवाद में उलझ गए। एक सप्ताह खूब चर्चा हुई।

हस्पताल के जनरल वार्ड में बैठे रामचन्ना से किसी पत्रकार ने पूछा, "क्यों भाई मंत्री जी ने वाकई किया कमाल, देखो हर जगह उन्हीं चर्चा है, तुम्हें कैसा लगा?"

रामचन्ना अपनी बीवी को पिछले एक महीने से लेकर यहाँ बैठा है, दुखी था कि जाने कब घर लौटेंगे, बोला,

"हाँ भैया, चर्चा तो हो गई, पर ये तो बताओ कि ये गद्दे कब बदले जायेंगे, ये तो आज भी वहीं है????"

पत्रकार के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी, वो दूसरे आदमी का बयान लेने के लिए आगे बढ़ गया।

पूरे माहौल में अजीब सी नीरवता छा गई थी।


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