प्रीति शर्मा

Comedy Drama Tragedy

4.3  

प्रीति शर्मा

Comedy Drama Tragedy

"कोरोना को वरदान मिला तो अमर हुआ

"कोरोना को वरदान मिला तो अमर हुआ

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बड़ा शोर हो रहा है कई महीनों से कोरोना... कोरोना...कोरोना वायरस......।।

जहां देखो वहां "तू ही तू है, तू ही तू है", - वाली बात।

सभी तमाम तरह की अपनी अपनी टिप्पणियां इस पर दिए जा रहे हैं। वैद्य अपने उपाय बता रहे हैं, डॉक्टर अपने उपाय बता रहे हैं। अलग-अलग संस्थाएं अलग-अलग तरीके से इसका प्रचार कर रही हैं। सरकार अपने अलग उपाय एवं प्रचार कर रही है।

टीवी डिबेट में कई बार सुनने में आया कि भारत का वातावरण ऐसा है कि यहां ज्यादा दिनों तक कोरोना वायरस जिंदा नहीं रहेगा क्योंकि होली के बाद मौसम चेंज हो जाएगा, गर्मी आ जाएगी और वायरस गर्मी में अपनी मौत मर जाएगा।

कोरोना वायरस को जैसे ही इसका पता लगा कि भारत में उसकी दाल गलने वाली नहीं तो बेचारा बड़ा दुखी हो गया।

अब क्या करूं ??

 मैं तो यहां बड़ी उम्मीद लेकर आया था कि भारत में तो सभी घुसपैठियों को जगह मिल जाती है, कहीं से कोई भी कैसा भी, किसी भी तरीके से आ जाए, सब की मेहमान- नवाजी होती है। सबको रहने का, खाने-पीने का, जो भी चाहे करने का हक है। यहां तक कि उसके सपोर्ट में सभी राजनीतिक दल , सामाजिक संस्थाएं और पता नहीं कौन -कौन और मानवाधिकार वाले सभी उसके सपोर्ट में आकर खड़े हो जाते हैं। बेचारा बड़ी खुशी खुशी आया था लेकिन यहां आकर के पता लगा यहां का तो मौसम ही उसके अनुकूल नहीं है।

सरकार ने भी कमर कस ली है।लोगों ने भी हर तरह से जितना जिससे हो रहा है वायरस से लड़ने के तरीकों को अपनाना शुरू कर दिया।

अब नाउम्मीदी में कोरोना दुखी हो गया और दुखियों की पुकार तो भगवान भी सुनते हैं। करुणासागर, दयानिधान दीन-दुखियों की सुनने वाले श्रीहरि ने आर्तपुकार सुनी।   "प्रभु कृपा कीजिए।

मुझको भी कुछ दिन जीवनदान दीजिए भगवंत। दुनिया भारत के कितने गुण गाती है। आपका भी सबसे ज्यादा मन यहीं लगता है और मैं भी तो यहां आया हूं। मेरी भी तो कुछ दुनिया रचने-बसने दीजिए।"

 भक्त की करुण पुकार सुनकर के गिरधारी, चक्रधारी की आंखों से आंसू बहने लगे। पैर दबाते-दबाते लक्ष्मी जी का ध्यान विष्णु जी के आंसुओं पर गया।

हे प्रभु! आप इस तरह से करुणा से विकल होकर आंसू क्यों बहा रहे हैं।"

दया कीजिए प्रभु! क्षीरसागर में तो पहले से ही बहुत पानी है। अगर आपने अपनी आंखों से इस तरह से गंगा-जमुना बहा दी तो इस पृथ्वी लोक का क्या होगा प्रभु! दया कीजिए।"

लक्ष्मी जी के ध्यान भंग करने पर श्री हरि जी का ध्यान इस बात पर गया और उन्होंने तुरंत अपने आंसुओं पर ब्रेक लगा दिया।

क्या कारण हुआ जो आप इतने दयालु होकर आंसू बहाने लगे प्रभु! क्या आपका कोई भक्त बहुत बड़े कष्ट में है।" लक्ष्मी जी ने अनुमान लगाते हुए श्री हरि विष्णु जी से पूछा।

"देवी लक्ष्मी मेरा एक बहुत बड़ा भक्त है पृथ्वी लोक पर। लोग आजकल उसे कोरोना वायरस के नाम से जानने लगे हैं। इस बेचारे की बड़ी इच्छा थी कि चीन से होकर के सभी देशों में विदेश भ्रमण करें और कुछ लोगों को मेरे यमलोक का वासी बना दे लेकिन पृथ्वीलोक वाले भी बड़े चालाक लोग हैं। हर समस्या बाधा से निकलने का कोई न कोई उपाय कर ही लेते हैं और उन्होंने तमाम उपाय करके इससे निबटने के लिए डॉक्टरों की फौज लगा दी। लोगों को बहुत सारे उपाय सुझाव समाधान फ्री में बांट दिए। विचारा कोरोना वायरस को अपने लक्ष्य प्राप्त करने में परेशानी होने लगी। ऊपर से भारत जैसे देश में जिसमें उसको सबसे ज्यादा स्वच्छंदता प्राप्त होनी चाहिए थी वहां पर उसको मारने का उपाय आने लगा, मौसम उसके प्रतिकूल होने लगा। सभी चारों तरफ से इस जुगत में लग गए कि गर्मी पड़े और कोरोना वायरस की समाप्ति हो जाए और यह सब देख कर के मेरे भक्त कोरोनावायरस ने मेरे से करुण पुकार की है कि किसी तरह से मैं भारत में उसकी रक्षा करूं।"

हे लक्ष्मीजी! अब आप ही उपाय बताइए कि अपने भक्तों को किस तरह से समस्या से मुक्ति दिलाऊं।"

लक्ष्मीजी सोच में पड़ गईं और फिर उन्होंने एक अत्यंत आसान उपाय सुझा दिया।

" इसमें क्या परेशानी है श्रीहरि !ये तो आपके हाथ में है जिस गर्मी की वजह से कोरोना वायरस अपनी मौत स्वयं मर जाएगा, आप उसी को ही ना आने दीजिए। मौसम को सुंदर बनाइये, आप क्षीर सागर में आंसू बहाने की बजाय धरती पर पानी की बौछार कीजिए। गर्मी आप ही आप भाग जाएगी। गर्मी तो आएगी नहीं प्रभु और जब ना गर्मी आएगी ना करोना वायरस मरेगा नहीं।"

श्रीहरि को लक्ष्मी जी का यह विचार बहुत पसंद आया और उन्होंने तुरंत इन्द्रदेव को बुलाया और तुरंत अपनी सेना लेकर के भारत पर चढ़ाई करने के लिए कहा।

"भक्तों को जीने का हक मिलना चाहिए। उसके साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए वरना सभी कहेंगे दुनिया भर के लोगों के लिए तो भारत में जगह है एक विचारे छोटे से वायरस के लिए भारत में जगह नहीं? एक विदेशी मेहमान को भारत ने प्रतिकूल वातावरण देकर बेमौत मार दिया। नहीं... नहीं.. यह हम नहीं होने देंगे।"

 और इस तरह श्रीहरि की आज्ञा पाकर इन्द्रदेव ने भारत में जगह-जगह बारिश की झड़ी लगा दी है और इस तरह करोना को जीवनदान मिल गया।

बोलो भक्तवत्सल भगवान की जय।  

बोलो श्री नारायण हरि की जय।।



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