कोलाहल
कोलाहल
हम सब ने बच्चों को गुलाब को फूल तो कभी दिल के आकार वाले गुब्बारों को बेचते हुए देखा है। क्या वे गुलाब के फूलों का या फिर उन दिल वाले गुब्बारें के रेलवंस के बारे में जानते है?
शायद नही...
आज पता नहीं क्यों यह सब मेरे दिल दिमाग में क्यों उलझ को रहा है?
मेरा दिल उनके गुब्बारों के साथ खेलने की उम्र में उन्हें गुब्बारे बेचते देख परेशान होता है और दिमाग उनकी रोज़ी रोटी के खेल में खेलते देख और ज्यादा परेशान होता है।
मैं फिर कार के शीशा खोल कर एक गुब्बारा खरीद लेती हूँ। जानने के बावजूद की मेरे घर में कोई बच्चा नहीं है या दिल वाले गुब्बारों के लिए मेरी उम्र अब नहीं है। कही मैं आउट ऑफ गिल्ट तो यह सब नहीं कर रही हूँ?
मेरा दूसरा मन झट से हामी भरता है.....
मेरा गिल्ट उस ट्रैफिक सिग्नल पर ही शायद पीछे कही छूट गया है.... क्योंकि ट्रैफिक सिग्नल के हरे होते ही मैं झट से कार को आगे बढ़ा देती हूँ...
मैं वापस अपनी दुनिया मे लौट आती हूँ। क्योंकि साहब के घर आने का वक़्त हो चला है.....
मेड को फ़ोन कर झट झट सारे instructions देते देते उसको हिदायत भी देती हुँ की सर्वेन्ट क्वार्टर में खेलते हुए उसके बच्चों को शोर ना करने दे क्योंकि साहब को आराम करना होता है........