Arunima Thakur

Inspirational

4.3  

Arunima Thakur

Inspirational

कमरा

कमरा

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फ़ोन की घंटी पर किसी नवविवाहित की तरह दौड़ कर कियारा ने फ़ोन उठाया। हाँ यह उसके पति अयांश का ही फ़ोन था। उनकी शादी को बरसो तो नहीं फिर ग्यारह एक बरस हो गए है एक आठ साल की प्यारी सी बेटी और चार साल का बेटा है, पर उनका प्यार आज भी उतना ही है। और हो भी क्यों न कियारा इतनी अच्छी पत्नी और बहू जो है। अब देखो न अयांश के पिता मतलब कियारा के ससुर की मृत्यु के बाद डेढ़ साल तक कियारा अपने मायके भी नहीं गयी कि सासूमाँ बिल्कुल अकेली पड़ जाएगी। अभी भी उसकी सास ने जबरदस्ती उसे भेजा कि "जा बच्चो का भी मन करता है ना नाना नानी के घर जाने का।" अब कल कियारा को वापस जाना है। उसने फ़ोन उठा कर हेलो बोला। सामान्य बातों और बच्चो से बात करने के बाद अयांश बोला, "कल तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है।" "अच्छा वो क्या है भला" चहकते हुए कियारा ने पूछा । "वो तो कल ही पता चलेगा" अयांश ने भी उसे चिढ़ाते हुए कहा। 


फ़ोन रखकर वो सोचने लगी क्या सरप्राइज होगा? ये अयांश भी न इन्हें मालूम है, अब मुझे सोच सोच कर रात भर नींद नहीं आएगी फिर भी। क्या कार ले ली होगी ? नहीं वो तो उन्होंने प्रोमिश किया है मेरे साथ ही लेने जाएंगे । या फिर मेरे लिए नया मोबाइल या बेटी की साईकल...। ओह छोड़ो न कल पता चल ही जायेगा। 


दूसरे दिन स्टेशन से कैब कर के वह घर पहुँची। अयांश तो आफिस गया हुआ था । सासुमाँ ने दरवाजा खोला। बच्चे तो दादी से चिपक गए। कियारा ने इधर उधर देखा कुछ भी नया समान तो नहीं दिख रहा था। वो अपना सामान लेकर कमरे में आ गयी। उसे कमरा कुछ खाली खाली सा अलग सा लगा, वह समझ नहीं पायी। वह सीधा नहा धोकर चाय नाश्ते की तैयारी में लग गयी । बच्चो को नाश्ता देकर अपनी चाय लेकर सासूमाँ के साथ ही बैठ गयी और मायके की बाते हाल कुशल बताने लगी। उसे लगा सासूमाँ थोड़ी अनमनी है। उसने पूछा भी "माँ क्या आपकी तबीयत ठीक नहीं है" ? उन्होंने कुछ बोला नहीं। थोड़ी देर बाद अयांश भी गया। बच्चे पापा से लिपट गए और नानी के घर की बाते बताने लगे। थोड़ी देर बाद अयांश बोला चलो तुम्हे सरप्राइज दिखाते है। वो अपने कमरे की ओर बढ़ा और बोला आज से यह कमरा बच्चो का है। देखो मैने इसे कितने अच्छे से सजाया है। बिटिया तो खुश हो गयी उसको खुश देखकर बेटा भी उछलने कूदने लगा। 


कियारा थोड़ा सोचती हुई बोली, "बच्चों को अलग कमरा क्यों ? अभी बच्चे छोटे है। वैसे भी रेयान (उनका बेटा) अलग नहीं सो पाता है।" 


अयांश चहकता हुआ बोला, बचपन में मुझे अलग कमरे का शौक था। मैं फिल्मों में, अपने दोस्तों के अलग कमरे देखता तो लगता काश मेरा भी एक अपना कमरा होता। अब मेरे बच्चों को कभी यह अभाव सहना नहीं पड़ेगा।"


"पर अयांश फिर हम ... रात को अगर रेयान रोया तो हमें तो पता भी नहीं चलेगा".। 


"अरे कैसे पता नहीं चलेगा ? यही सामने के कमरे में तो हम रहेंगे।" 


"पर अयांश वो तो माँ पापा का कमरा है ना।"


"हाँ तो ? अब पापा के बाद माँ इतने बड़े कमरे में अकेली क्या करेगी ? इसलिये उनके लिए ऊपर वाला कमरा ठीक कर देंगे। माँ को आसानी रहेगी । उनको रोज सूर्य को जल चढ़ाने ऊपर जाना पड़ता है, ऊपर उनको धूप भी सेकने को मिलेगी।" 


कियारा अयांश को हैरानी से देखती हुई बोली, "और जो पूरा दिन उनको ऊपर नीचे करना पड़ेगा।" 


"तो ठीक है ना बाकी समय वो बच्चों के कमरे में रह सकती है ना",अयांश कंधे उचकाता हुआ बोला।


कियारा हैरानी से अयांश को देखती हुई बोली, "तुम समझ ही नहीं पा रहे हो तुमने कितनी बड़ी गलती की है। पापा के जाने के बाद माँ वैसे भी कितना असुरक्षित असहाय महसूस कर रही थी। उस पर से उनको कमरे से हटा कर तुमने उनको ऐसा एहसास करवाया की उनकी अब इस घर मे जगह भी बदल गयी है।" 

अयांश हैरानी से बोला," पर ऐसा नहीं है। वैसे भी माँ ने इतने सालों में इतने घर बदले है। माँ को आदत है।"

"हाँ पर तब की बात अलग थी तब पापा माँ के साथ थे। और वैसे भी ऊपर अकेले सबसे अलग माँ को कितना बुरा लगेगा।" 

"पर मैंने माँ से बात की है। उन्होंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा तुम बिना मतलब बात का बतंगड़ बना रही हो। कही इसलिए तो नहीं कि तुमसे पूछ कर नहीं किया।"

"अयांश तुम भी न कुछ भी सोचते हो। बस एक स्त्री के मन को नहीं समझ पाते। वो तुम्हारी माँ है तुम्हारी खुशी के लिए वो कुछ भी करेगी, क्या तुमको इतना भी नहीं मालूम।"


"देखो अलग कमरे में रहना तुम्हारा शौक, तुम्हारी चाहत हो सकती है। पर हमें यह भी देखना है कि इस उम्र में बच्चो के लिए अच्छा क्या है। पाश्चात्य संस्कृति की नकल करना गलत है। हमारे बच्चों के पास दादी है तो वे उनके प्यार और संस्कारों के बीज से क्यो वंचित रहे। इस उम्र में इन दोनों पीढ़ियों को एक दूसरे का साथ चाहिए। एक को सुरक्षा और संस्कार के लिए दूसरे को अकेलेपन से बचने के लिए। मुझे लगता है बच्चो को अलग कमरे में नहीं दादी के कमरे में दादी के साथ सोना चाहिए। जहाँ तक खुद के कमरे की बात है, जब बच्चो को जरूरत पड़ेगी तब हम ऊपर के कमरे में चले जायेंगे। पर माँ घर की धुरी है उसे उसके कमरे से अलग नहीं करेंगे।"


अयांश कियारा को बांहों में भरते हुए बोला, "इसीलिए तो माँ और हम सब तुमसे इतना प्यार करते है। ना जाने कैसे तुम सबके मन की सोच लेती हो। बहु होकर भी सॉस के मन कि बात जान जाती हो।" 


कियारा मुस्कुराते हुए बोली, "सास बहू बाद में पहले एक स्त्री हूँ इसलिये एक स्त्री के मन की बात जान जाती हूँ।"


 "शायद इसीलिए आज जब मैं आयी थी तो माँ का मन उदास था। चलो पतिदेव अब चलकर माँ को सॉरी बोलते है और उनको यह भी बोलते है कि अगर वह चाहेंगी तो बच्चे उनके साथ उनके कमरे में ही रहेंगे।" 


दोनों बच्चे खुशी से चहकते हुए ये..ऐ.. हम रोज़ की तरह दादी से ढेर सारी कहानियां भी सुनेंगे।


अयांश आश्चर्य से, "मतलब तुम दोनों को अपना कमरा नहीं चाहिए" ? 


"नहीं हमें दादी चाहिए।" 


बाहर यह सब आवाजें सुनकर दादी अपनी आंखों में भर आये खुशी के आंसू पोंछ रही थी और अपनी बहू की बलैया ले रही थी। क्या हुआ अगर उनका लड़का नालायक है नासमझ है बहु तो समझदार है ना।



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