Akanksha Gupta

Drama Tragedy

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Akanksha Gupta

Drama Tragedy

कीमत ज़िंदगी की

कीमत ज़िंदगी की

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“अरे बाबा, कह तो दिया कि हम नहीं ले जाएंगे तुम्हारी बीवी को। पता नहीं किस हॉस्पिटल से होकर आए हो ?”

“अब ये लाश तुम्हारा क्या बिगाड़ेगी? तुम्हारे लिए सारी ज़िंदगी लगा दी इस बुढ़िया ने और तुम मरने के बाद चार कंधे नहीं दे सकते। क्या यही कीमत रह गई इसकी ज़िंदगी की तुम्हारी नज़रों में?”

“जीतेजी तो इंसान की कोई कीमत नहीं रही और आप मरने के बाद कीमत पूछ रहे हैं। जाइए खुद ही कुछ इतंजाम कीजिये।”

फिर एक माँ को नसीब हुई लोहे की जंग लगी साइकिल, उसकी ज़िदंगी की कीमत।


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