खोया हुआ चाँद
खोया हुआ चाँद
आज उसका दिल बहुत बेकरार था, सपना की धड़कनें इतनी तेज थी की वह उसे सुन पा रही थी, वह भाग कर उसे बताना चाहती थी... की ! वह उसके लिए क्या महसूस कर रही है। वो हसींन शाम जो उसके साथ बिताए और महसूस किये, वह उसके लिए बहुत ही खूबसूरत पल थे और वो पल जिंदगी के सबसे खूबसूरत पलों में से एक थे।
उसने बेसोचे सवार लिए और अपना पसंदीदा वाइट् कलर की कुर्ती पहना और ... यह आखरी मेकअप..! एक चमकता हुआ बिंदी माथे पर लगाया। वह इस हल्के-फुल्के मेकअप में भी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वो तो जैसे होश में ही न हो ..! अपनी क्यूट सी बहन जी आवाज तक सुन नहीं पाई।
वह जैसे ही कॉलेज के कैम्पस में पहुंची, वह उसे ही ढूंढने लगी..! वह तो जैसे हवाओं में उड़ रही थी। पहला-पहला प्यार जो था मैडम...का !
पूछने पर किसी ने उसे बताया कि वह उसी गार्डन में बैठा जहां वो दोनों अक्सर वहां बैठा करते थे।
जैसे-जैसे वह गार्डेन के पास पाहुंचती जा रही थी.. उसकी धड़कने तेज और.. और तेज धड़कने लगती थी। वह इत..नी बेताब थी.. कि ! उसे समझ में नहीं आ रहा था.. कि ! उसे अपने दिल का हाल कैसे.. बयां करेगी ! और उसे लग रहा था जैसे आज यदि उसे बता नहीं पाई तो शा..यद ! कभी बता नहीं पायेगी ! वह इसी कश्मकश में चलती ही जा रही थी।
और फिर.. ! वह उसकी हंसी की आवाज सुन चल पड़ी उसकी तरफ..! फिर उसके कदम जैसे..! ठिठक से गये, वह किसी के हाथ में हाथ डाले कह रहा था.. ! तुम इस जहां की सबसे खूबसूरत लड़की हो.. !
वह उसके आगे जैसे कुछ सुन.. न पाई..! उसके कदम वापसी के लिए अपने घर की ओर लौट गए। उसके मन में जैसे आंधी चल रही हो .. वह खुद-ही-खुद मन में बड़बड़ाये चली जा रही थी।
यह शायद.. नहीं..! हाँ वाकई में..! यह उसका एकतरफा प्यार था, उसका दिल टूटकर चकनाचूर हो चूका था। वो.. वो ! किसी और का था !
उसे लगा जैसे ये एकतरफा प्यार मार न डाले उसे ..! वह घर पहुँचते ही चल पड़ी अपने खूबसूरत से बगीचे में ! जिससे उसे सबसे ज्यादा लगाव था, अपना सारा वक्त अपने प्यारे बगीचे में बिताया करती थी। चूँकि आज उसे एकांत की बहुत जरूरत थी, जहां तन्हाई में खुद से बात कर सके ! और अपने पहले प्यार को भुला सके !
और वो शाम बहुत लंबी हो गई अपने पहले प्यार को अपने पहले पसंद को भुलाने में ! वह जी भर कर रो लेना चाहती थी, वो कहते हैं न जब कोई खूब जोर से रो लें, आँखों में उमड़ती सारे आंसू किसी झरनों की तरह बहा दे तो दिल का सारा दुःख, सारा गुबार निकल जाता है और मुझे पहली बार किसी से प्यार हुआ ! हुआ भी तो किससे जो किसी और को प्यार करता है।
पहली बार ये शाम अजनबी.. सी ! बेगानी सी..! लग रही थी, बहुत सारा वक्त यूं ही बीत गया ! तन्हाई में बहुत सारा रो लेने के बाद। उसने देखा बादलों की ओट में छिपता सूरज बहुत दूर जा चूका था, वह जैसे दूर वादियों में से जैसे अपना सर निकाल कर मुझे चिड़ा रहा था..! जैसे कह रहा हो ये चाँद तुम्हारा कभी था ही नहीं..! उसने सूरज को घूरते हुए कहा..! वाकई ..में ! सूरज दादा.. ! अब मुझे यह बात चल चुकी है। वो चाँद मेरा कभी था ही नहीं..! हम तो बस बेस्ट फ़्रेण्ड थे ! हाँ अब भी हैं..! मैं यूं ही अकेली बैठती अकेली यूं ही बड़बड़ाया करती थी। तभी धीरे..से मेरे कान के पीछे उदास भरी आवाज में !
ओह..! की आवाज आती है।
यह है मेरी क्यूट.. सी,.. प्यारी सी जासूस बहन जो साये की तरह मेरे पीछे लगी रहती। वह धीरे से आकर मेरे बगल में बैठ जाती है। और कहती है..!
ओह..! दी..! कब तक याद करोगी आप उस खोये हुए चाँद को ! सपना ने पलट कर अपनी बहन को घूरते हुए कहा..! निशु यूं छुप कर इस तरह दो लोगों की बातें नहीं सुना करते।!
ओह ..! दी..! यहां पर दो लोग कहाँ हैं ? फिर सामने देख कर ! ओह..! ये ..! सूरज दादा ! ये अब भी आपको यूं मुँह टेड़ी करके आपको चिड़ा रहा होगा ..!
क्या .. चिड़ा रहा होगा..?
यही..कि..! ये खोया हुआ चाँद तुम्हारा था ही नहीं..! मैं भगा दूँ इन्हें..? अरे.. पूछना क्या है भगा दी देती हूँ। ओय..! सूरज दादा..! अब आप चले भी जाओ न..! आपकी बीवी डंडे लिए वेट कर रही होगी आपकी..! फिर दोनों एक-दूसरे को देख कर हंस पड़ती है।
चल फिजूल सी बातों से हंसा मत मुझे..! और तुम्हे कैसे पता चला कि मैं यहां हूँ।
आपको पता है न.. दी! आपकी जासूस बहन को सब पता होता है ! और एक बात कहूँ आपके उस खोये हुए चाँद के बारे में..!
ओहो..! ओके ! मेरी जासूस बहन..! चलो..! अब चलते हैं ..! वरना दादू अपनी दोनों पोतियों को ढूंढते यहां न आ जाएं।
सपना उसकी शॉल को खुद को उड़ाते हुए सोचती है। अब मुझे एक खूबसूरत दिल वाले शक्स का इन्तजार है..! जो मेरे जिंदगी में बहुत ही खूबसूरती से आ सके..!
समाप्त