खोकर भी पा लिया
खोकर भी पा लिया
प्रतीक ने गर्म पानी का गिलास टेबल पर रखते हुए मीता को जगाया, "उठो मीता! कब तक ऐसे रहोगी? जो होना था वह तो हो गया। इसके लिए क्या तुम अपना जीवन ऐसे ही गुजार दोगी? कहते हैं जो होता है अच्छे के लिए होता है। हो सकता है जो हमने खोया शायद वह मिल जाए फिर से। उठो यूं हिम्मत मत हारो।"
"हां बेटा! उठो! प्रतीक सही कह रहा है। कब तक तुम ऐसे रहोगी। उठो बाहर निकलो, सबसे बातचीत करोगी तभी तुम्हारा दर्द कम होगा।" पीछे से प्रतीक की मां ने कहा।
ये हैं प्रतीक और मीता दोनों पति पत्नी।
मीता शादी के 7 साल बाद काफी इलाज कराने पर प्रेग्नेंट हुई थी। जब से प्रेगनेंसी का पता चला, सारे घर वाले उसका बहुत ख्याल रखते थे। मीता खुद भी अपना बहुत ख्याल रखने लगी थी। जॉब से एक लंबी छुट्टी ले ली। 6 हफ्ते के बाद जब पहला सोनोग्राफी हुआ तो डॉक्टर ने कहा कि आप जुड़वा बच्चों की मां बनेंगी। यह खबर सुनते ही उसकी ननद तो खुशी से उछल पड़ी और सबको मिठाई बांटने लगी। मां ने कहा भी कि बेटा, अभी नहीं। पहले बच्चे को जन्म तो लेने दो उसके बाद तो जश्न होगा जश्न। मां की बात सुन मीता की ननंद ने कहा, "मां! सालों बाद बुआ बनने की खबर सुनी हूं। अब मत रोको।"
सब कुछ अच्छे से चल रहा था, ठीक ठाक था अभी चौथा महीना शुरू हो गया था कि अचानक एक दिन शाम को मीता को हल्का-हल्का कमर और पेडू में दर्द महसूस हुआ और थोड़ा ब्लीडिंग भी हुआ। मीता ने ये बातें अपनी सास को बताई।
उसकी सास ने कहा, "बेटा! डॉक्टर को फोन करो यदि वे बोलेंगे आने के लिए तो चलो हॉस्पिटल चलते हैं।"
मीता ने जब डॉक्टर को कॉल किया तो डॉक्टर ने उसे सोनोग्राफी कराते हुए हॉस्पिटल आने को कहा।
मीता अपने पति और सास के साथ सोनोग्राफी की रिपोर्ट लेकर डॉक्टर के पास पहुंची।
डॉक्टर ने रिपोर्ट देखते ही कहा, "जल्द से जल्द आपको अबॉर्शन कराना होगा आपके दोनों बच्चे की धड़कन 24 घंटे पहले ही बंद हो गई है।"
यह सुनते ही मीता दोनों सास-बहू खूब रोने लगी। दोनों को रोते देख प्रतीक ने पहले अपने आप को संभाला लेकिन उससे भी रहा नहीं गया और वह भी जोर-जोर से रोने लगा।
अबॉर्शन के बाद डॉक्टर ने प्रतीक से कहा, "आपकी पत्नी अब मां नहीं बन सकती क्योंकि पहले भी उनका मिसकैरिज हो चुका है।अब कंसीव करना उनकी जान के लिए खतरा हो सकता है। देखिए, आप इस तरह मत रोइए। अपनी पत्नी को घर ले जाइए और अच्छे से ख्याल रखिए। हो सके तो यह खबर अभी अपनी पत्नी को मत बताइए। अभी वो काफी कमजोर है फिजिकली और मेंटली भी। कहीं ये खबर सुनकर तबीयत और ना बिगड़ जाए।"
तब से मीता की सास और पति दोनों मिलकर उसकी देखभाल कर रहे हैं।
पर मीता तो हमेशा बुझी बुझी सी रहती है। न ढंग से किसी से बात करती है, ना किसी से मिलती-जुलती है। कभी भी रोने लगती है, हमेशा बिस्तर पर लेटी रहती है। सास और पति हमेशा उसे समझाते रहते हैं।
आज इस बात को एक महीना हो गया। प्रतीक ने मीता को उठाकर बिठाया और हाथ में पानी का गिलास पकड़ाया। तभी मीता की सास ने कहा, "बेटा मीता! मैं तो कह रही हूं कि तुम अपने जॉब पर वापस लौट जाओ।वहां काम में मन लगा रहेगा तो ये सब भूल जाओगी और अपने सेहत पर भी ध्यान दे पाओगी।"
यह सुनकर मीता अपनी सास की तरफ देखने लगी। तभी प्रतीक ने कहा "हां मीता! मां, सही कह रही है। तुम अपने जॉब पर वापस लौट जाओ। घर में यूं रहोगी तो दिन पर दिन बीमार ही होती जाओगी।"
मीता को दोनों की बात सही लगी और उसने अपने बॉस से बात कर 2 दिन बाद फिर से जॉब पर जाने लगी।
एक दिन वो ऑफिस जा रही थी।तो देखा, सड़क किनारे लोगों की भीड़ जमा हुई है। वहां जाने पर पता चला कि कोई जुड़वा बच्चों को झाड़ी में छोड़ दिया है इसलिए वहां भीड़ जमा है। दोनों लड़की थी।दोनों नन्हीं नन्हीं गुलाब सी कोमल बच्ची को देखते ही मीता का हृदय पिघलने लगा। उसकी आंखें भर आई। उसने तुरंत कहा, "दोनों बच्ची को मैं लूंगी।"
सभी उसकी तरफ देखने लगे। मीता ने तुरंत अपने पति और सास को कॉल करके बुलाया।वह दोनों के आते ही मीता जिद करने लगी, " प्रतीक! देखो ना कितनी फूल सी सुंदर बच्ची है। मां! देखिए ने कितनी प्यारी बच्ची है यह दोनों बच्ची को अपने घर लेकर चलते हैं। मुझे लग रहा है भगवान ने मेरे लिए ही भेजा है मेरा भी तो जुड़वा बच्चा था। हो सकता है मेरी भी दोनों बेटियां ही थी और वही दोनों इस रूप में वापस आई है।"
मीता की बात सुनकर प्रतीक ने कहा, "मीता! हम बच्चे को ऐसे घर नहीं ले जा सकते। हो सकता है किसी का बच्चा हो? कोई किडनैप कर लिया हो? अगर किसी ने छोड़ भी दिया है तो भी हम ऐसे नहीं ले जा सकते। इसके लिए भी कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होती है।"
"देखो प्रतीक! तुम पुलिस को फोन करो और इस बच्ची को लेकर हम डॉक्टर के पास चलते हैं यदि इसके असली मां बाप नहीं आए तो सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करके हम इसे अपना लेते हैं।"
तब मीता की सास ने कहा, "बेटा! क्या तुम सच में इसे अपनाना चाहती हो? देखो कोई भी फैसला सोच समझ कर लो भावनाओं में बहकर नहीं। क्या तुम इसे मां का प्यार दे पाओगी?"
"हां मा! मैं दोनों बच्ची को अपनाउंगी और इसे एक मां का पूरा प्यार दूंगी।"
मीता की बातों से प्रतीक और उसकी सास भी सहमत हो गए। फिर सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करके वे दोनों बच्ची को अपने घर ले आये।
जब से दोनों बच्ची घर आई है मीता पिछली सारी बातें भूलने लगी है। अब काफी खुश रहती है और उस दोनों बच्चों के साथ अपने आप को व्यस्त कर लिया है। उसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो उसने अपना खोया हुआ बच्चा वापस पा लिया।