Ajay Singla

Thriller

4  

Ajay Singla

Thriller

खंडहर

खंडहर

5 mins
504



सुमित और संदीप दो भाई एक गांव में रहते थे । सुमित की उम्र करीब दस साल थी और संदीप आठ साल का था । संदीप थोड़ा ज्यादा नटखट और होशयार था । वह बोलता भी बहुत था । सुमित थोड़ा शांत स्वाभाव का था और कम बोलता था । उनके गाँव के ही तीन और दोस्त थे अनिल, सुनील और पंकज । पाँचों ने अपनी एक टोली बना रखी थी और पांचों बहुत गहरे दोस्त थे । वो एक ही स्कूल में पढ़ते थे और एक साथ ही खेलते थे । गांव के बाहर एक खंडहर था । उस के बारे में गांव के लोग अक्सर चर्चा करते रहते थे कि वहां भूतों का वास है । इसीलिए शाम ढलने के बाद वहां कोई आता जाता भी नहीं था । उस खंडहर के बारे में और भी कई डरावनी कहानियां गांव में प्रचलित थीं और ये सभी बच्चे इन्ही कहानियों को सुनकर बड़े हुए थे । इन पाँचों में भी खंडहर का बड़ा खौफ था और अभी तक किसी ने भी वहां जाने की हिम्मत नहीं की थी । 


उन पाँचों में अनिल सबसे बड़ा था और अपने आप को बहुत बहादुर कहता था । उसे डींगें मारने की भी बहुत आदत थी । एक दिन पाँचों में उस खंडहर के बारे में वैसे ही कोई बात चल रही थी कि अनिल कहने लगा कि ये सब तो मनघडंत बातें हैं, भूत जैसी कोई चीज नहीं होती और वो तो एक बार रात में उस खंडहर में जा भी चुका है और भूत जैसा वहां कुछ नहीं है । बाकी चारों लोगों को उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ पर जब उसने कहा कि मैं तो दोबारा भी वहां जा सकता हूँ तो चारों ने सोचा कि क्यों ना उसकी बातों की सच्चाई को आजमाया जाये । उन्होंने अनिल को कहा कि अगर वो उनके सामने रात को उस खंडहर में चला गया तो उसको अपने ग्रुप का लीडर मान लेंगे और उसकी हर बात मानेंगे । ये सुनकर अनिल जब थोड़ी ना नुक्कर करने लगा तो वो सब उसे चिढ़ाने लगे कि वो तो ऐसे ही डींगे हाँक रहा है । अपनी बेइजत्ती होते देख अनिल ने भी ना चाहते हुए उनकी शर्त मान ली । इस बार वो अपनी डींगें हांकने वाली आदत के कारण फँस गया था । सब ने अगले दिन शाम को सात बड़े खंडहर के बाहर इकठ्ठा होना था । 


अगले दिन शाम को जब सब वहां पहुंचे तो उन सब की दिल जोरों से धड़क रहे थे । अनिल के मुँह पर तो डर साफ़ दिखाई दे रहा था । थोड़ी देर में अँधेरा भी हो गया और उन चारों ने अनिल को अंदर जाने के लिए कहा । अनिल धीमी गति से खंडहर की तरफ बढ़ रहा था और इधर उधर देखता जा रहा था ।थोड़ी सी आहट होने पर भी वो सहम जाता था और उसकी सांसें अटक जाती थीं । कुछ ही मिनटों के बाद वो खंडहर के अंदर था और उन चारों को दिखाई नहीं दे रहा था । आधा घंटा बीत जाने पर भी जब अनिल बाहर नहीं आया तो चारों को बहुत घबराहट होने लगी । उन सब को किसी अनहोनी का डर भी सत्ता रहा था । इतने में उनहे एक चीख सुनाई दी और उसके बाद फिर से सन्नाटा छा गया । चीख सुनकर सबका कलेजा मुँह को आ गया और सुनील और पंकज तो घर की तरफ भागने ही वाले थे कि सुमित ने उन्हें रोक लिया और कहा कि हमें अपने दोस्त को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए । हो सकता है वो फिसल गया हो और उसके चोट आई हो । हमें अंदर जाकर देखना चाहिए । 


अनिल ने ये सुन रखा था की भूत वगैरह आग से बहुत डरते हैं । उन्होंने वहीँ खेतों में से झाड़ इकठा करके एक मशाल बनाई और उसे जला कर वो सब खंडहर की तरफ चल दिए । चारों अभी भी बहुत डर रहे थे और एक दुसरे से सट कर चल रहे थे । खंड़हर के अंदर पहुँचते ही मशाल बुझ गयी और उन्हें किसी के आने की आहट सुनाई दी । चारों डर के मारे इधर उधर भाग खड़े हुए और पंकज उनसे अलग हो गया । कुछ दूरी पर पंकज का पाँव नीचे किसी चीज से टकराया और वो गिर गया । जब उसने ध्यान से देखा तो वो जिस चीज से टकराया था वो अनिल था जो बेसुध वहां पड़ा हुआ था । इतने में उसे एक साया अपनी और बढ़ता दिखाई दिया और वो बेहोश हो गया । बाकी तीनों लोग भी खंडहर के एक कोने में दुबक कर बैठ गए थे । 


थोड़ी देर बाद उन्होंने हलके से अनिल और पंकज को आवाज लगानी शुरू की कि वो कहाँ हैं । उन्होंने देखा कि दो साये उनकी तरफ तेजी से आ रहे हैं । डर के मारे वो वहां से भाग भी नहीं पाए और उन सायों ने उन्हें पकड़ लिया । संदीप को न जाने एक दम क्या सूझा उसने एक साये के हाथ में काट लिया और पकड़ ढीली होने के कारण वो छूट कर एक दम खंडहर से बाहर की और भागा । रास्ते में उसने पीछे मुडकर भी नहीं देखा और गांव में जाकर ही रुका । उसने गांव वालों को सारी बात बताई तो सभी लोग इकठ्ठा होकर खंडहर की तरफ चल दिए । खंडहर के पास पहुँचते ही उन्होंने देखा कि कुछ लोग खंडहर से दूसरी और भाग रहे हैं । आधे लोग उनके पीछे हो लिए हुए ओर आधे खंडहर के अंदर चले गए । अंदर जाकर उन्होंने देखा की चारों बच्चों को रस्सी से बांधा हुआ है । जब गांव वालों ने बच्चों को छुड़ाकर पूछा कि क्या हुआ था तो वो डर के मारे कुछ भी नहीं बता पा रहे थे बस यही कह रहे थे की उन्हें भूतों ने पकड़ लिया था ।


इतने में बाकी लोग भी आ गए जो भागने वाले लोगों के पीछे गए थे । वो तीन लोग थे और गाँव के लोगों ने उन्हें पकड़ लिया था । तीनों ने भूतों वाले मास्क लगा रखे थे । गांव वालों के सख्ती से पूछने पर उन्होंने बताया के वो तीनों चोर हैं और लूट का समान इस खंडहर में छुपाते हैं । कोई इस खंडहर की तरफ न आये इसलिए कभी कभी भूत के मास्क पहन कर लोगों को डराते भी हैं । पिछले दो तीन साल में जो चोरियां गांव में हुई थीं उन सब का सामान भी उसी खंडहर में मिल गया । और सबसे अच्छी बात तो ये हुई कि उस खंडहर का डर गांव वालों और उन बच्चों के मन से निकल गया । 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Thriller