Nitu Mathur

Horror

4.0  

Nitu Mathur

Horror

खौफ वाली रात

खौफ वाली रात

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वो ३१ दिसंबर की साल की आखरी रात..मैं अपने दोस्तों के साथ नया साल मनाने शिमला गया हुआ था हर तरफ रोशनी, पटाखे, जश्न का माहौल था,

ठंडी हवा में कुछ धुंधला सा धुआं भी था, शाम के वक्त हम माल रोड पर घूम के खा पी कर ,अपने होटल में आ गए। दोस्तों के साथ थोड़ा डांस, मस्ती की..

१२:०० बजे नए साल का स्वागत केक काटकर किया.. थोड़ी देर बाद सब अपने - अपने रूम में सोने चले गए। 


रात के करीब २:३० बजे थे, एकदम से नींद नहीं आ रही थी.. मैं इधर उधर करवट बदलता रहा.. किसी तरह सोने की कोशिश करता रहा....शायद....आधी नींद में ही था ,कि मुझे च ररररर ..से दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी... टेप.. टेप... टेप..टेप... कदमों की आवाज़। बीच में बंद हुई.... बिल्कुल वहीं.. जहाँ कालीन बिछा हुआ था....ओह.... फिर वापस वही...टेप... टेप करीब से सुनाई देने लगी। वो कदम कहीं और नहीं.... मेरे पलंग के पास आ रही थी.. 

अब तो और पास....और पास...बिल्कुल पास...मेरे सामने....है भगवान!!! ..... मैं क्या करूँ?

दिल की धड़कन रफ्तार पकड़ने लगी माथे पे डर से जोर का पसीना मुंह पे जैसे लकवा मार गया हो ..आवाज़ देने की कोशिश करूँ तो मुंह से कुछ नहीं निकाल रहा सारा शरीर सुन्न। तभी मैंने अपना चेहरा दूसरी तरफ घूमा लिया, मेरे सामने एक शीशे की अलमारी थी.. जब मैंने शीशा देखा , तो ...

वो... हां वही...मुझे पूरा सफेद कपड़े में लिपटा दिखाई दिया और जैसे ही मैंने ध्यान से देखा, वो ऊपर से नीचे ....एक दम धुएं की तरह गायब हो गया। 

मेरे होश उड़ गए, हिम्मत करके वापस पीछे देखा...तो वो चला था। 


मेरी हालत खराब, कुछ समझ नहीं आ रहा था ये क्या था? कौन था? वो सपना नहीं था..मैंने उसे होश हवास में देखा था एक सफेद चादर में ..बस .. फिर नींद नहीं आयी।  सुबह होने का इंतजार करने लगा कोई एक जना उठ जाए बस..फिर ही दोबारा सो पाऊंगा। 


फिर दिन में थोड़ी देर आराम करके हम वापस चंडीगढ़ रवाना हो गए। 


ये कोई कहानी नहीं है दोस्तों, ये सच में अनुभव किया हुआ एक वाकया है। मैं जब भी याद करती हूँ तो मुझे वही सवाल याद आता है। किसी और से ज्यादा कुछ पूछा नहीं मैंने, कि नए साल का माहौल ना खराब हो लेकिन एक बात पक्की है ....कि इस दुनिया से परे भी एक अलग दुनिया है जो और भी शक्तिशाली है, और हमें यही अहसास दिलाने के लिए  जाने - अनजाने में हम ...वहां के लोगों से कई बार रूबरू हो भी जाते हैं। या यूं कहिए कि, वो 

इशारे- इशारे में हमें कुछ बताना चाहते हैं और हम समझ नहीं पाते। 


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