NOOR E ISHAL

Inspirational

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NOOR E ISHAL

Inspirational

कड़ी तपस्या

कड़ी तपस्या

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"अनु मेरा नाश्ता कहाँ है.

"

"मम्मा मेरा स्कूल बैग ला दीजिए"

"बहू अपने बाबूजी को दवाई समय पर दे देना."

"आयी" अनु ने सुबह के समय एक साथ उठी सारी आवाजों का उत्तर देते हुए कहा

"ये आप सबका नाश्ता, राहुल का बैग, बाबूजी की दवाई."

"बीबी जी दूध सब्जी ले जाओ." दरवाजे से दुकान वाले ने आवाज लगायी.

ख़ुद नाश्ता करने जा रही अनु फौरन खड़ी हो गयी. दूध का पैकेट किचन में जाकर धोया, दूध उबालने रख दिया.. फिर सब्जियाँ नमक के पानी में धोकर साफ करके रखी. परिवार की जिम्मेदारी से फ़ुरसत पाते पाते एक बज गया. दोपहर के खाने के बर्तन धोकर वापस अपने कमरे में आयी तो ढ़ाई बज रहा था. थकान बहुत ज़्यादा हो गयी थी.

अलसायी आँखों से उसने अपनी किताबों को देखा.. फिर बिस्तर पर जाकर लेट गयी.. अनायास ही आँखों में नमी आ गयी थी.

कहीं दिल में कोई शिकवा था, "जब सबके सपने मेरे सपने हैं तो मेरा सपना सबका साथ क्यूँ नहीं पा सकता है...

उफ्फ.. ये क्या सोचने लगी हूँ.. ये मेरा संघर्ष है किसी और से उम्मीद रखकर उसे क्यूँ दोषी बनाऊँ.भगवान मेरे साथ है तो किस बात का डर है." ख़ुद से सवाल जवाब करते हुए अनु बिस्तर से खड़ी हो गयी.

बाथरूम में जाकर मुँह धोया और आकर अपनी पढ़ाई करने लगी.

" बहू चाय कहाँ है. "अनु ने अपनी सास की आवाज सुनते ही घड़ी की तरफ देखा तो पाँच बज रहे थे.

" ओह.. पढ़ते पढ़ते समय का पता ही नहीं चला. लायी माँ.. "अनु ख़ुद से बात करते हुए तेज़ी से किचन में आ गयी.

एक हफ्ते बाद आज पूरा परिवार रविवार को साथ नाश्ता कर रहा था. छुट्टी का दिन था इसीलिये नाश्ते में पूरी आलू,छोले, हलवा सभी कुछ बना था. अनु के लिये छुट्टी का दिन और व्यस्त होता था. सभी घर पर होते थे. चाय के कई दौर दिनभर होते थे. बच्चे की फर्माइश अलग होती थी.

नाश्ते के बाद सब टीवी देखने आ गये. अनु भी सब काम करके वहाँ आ गयी.

"मुझे आईपीएस का एग्जाम देना है" अनु ने धमाका किया

"क्याsss.. अरे बहू घर तो तुमसे सम्भाला नहीं जाता सही से ख़्वाब सरकारी तंत्र में जाने के हैं.." दुनियाभर की तल्खी सास के लहजे में उतर आयी थी

"अनु, तुम्हें पता है ना कितनी फीस है.. मैं नहीं दे पाऊँगा." सुधीर चिढ़ते हुए बोला

" मुझे आप सबको बताना था..मैंने आपमें से किसी से भी मदद नहीं माँगी है और माँ मैंने घर की जिम्मेदारी निभाने में अपना 100%दिया है. अब अगर आपको नहीं समझ आया तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ मैं इससे ज्यादा कुछ कर नहीं पाऊँगी. " अनु दुखी मन से अपने कमरे में आ गयी.

"करने दे इसे अपने मन की.. बाप सिर चढ़ाये रखते हैं. घर गृहस्थी को सम्भालने की शिक्षा क्या दे और उल्टी पट्टी पढ़ाये जाते हैं. फेल हो जायेगी तो दोनों बाप बेटी के सिर से ये भूत उतर जायेगा. "सास को सुधीर को भड़काने का मौका मिल गया था.

आज इम्तिहान का दिन था लेकिन पूरे समय अनु अपने पति और सास की नाराज़गी झेलती रही. सास भी पूरे समय जान जानकर उसे काम बताती रहीं जिससे वह पढ़ ना सके. लेकिन अनु ने इसे चुनौती की तरह लिया.. अपने आराम करने के समय में वह आईपीएस बनने के लिये कड़ी तपस्या करती रही.

इम्तिहान देकर अनु काफी खुश थी. उसे अपनी कामयाबी की पूरी उम्मीद थी क्यूँकी उसने परिवार की पूरी निष्ठा के साथ जिम्मेदारी निभाते हुए दो तीन वर्षों से अपने आराम के समय की आहुति देकर तैयारी की थी.

रिजल्ट का दिन आ पहुँचा.. अनु खामोशी से अपना रिजल्ट देखना चाह रही थी लेकिन सास ने पूरे मोहल्ले को घर बुला लिया था. अनु की ज़िद उन्हें बहुत अखर रही थी. इसीलिये वह अनु को सबके सामने शर्मिन्दा करना चाहती थी.

"सुधीर अपने ससुर और सास को भी यहाँ आने के लिये फोन कर दे.और जा काजू कतली के दस डिब्बे अग्रवाल स्वीट्स से उठाते लाना. मैंने कल ही ऑर्डर कर दिये थे. फोटोग्राफर को भी फोन कर दिया है वो भी आता ही होगा." अनु की सास ने एक शानदार दावत का आयोजन कर लिया था.

सभी अनु की सास की तारीफ कर रहे थे कि बहू की खुशी उनके लिये कितनी अहम है. जबकि उम्मीद से भरी अनु उनकी इस हरकत से बहुत फिक्रमंद हो गयी थी.

" अनु मेरी बच्ची sss...." अनु के पापा ने अनु के ससुराल में आते ही अनु को गले लगा लिया था और बस रोये जा रहे थे.. अनु बिना कारण जाने अपने पापा को रोते हुए देखकर ख़ुद भी रोने लगी थी.

पूरे मेहमानों में सन्नाटा छा गया.. अनु की सास की मानो मुँह माँगी मुराद आ गयी.. सन्नाटे को तोड़ती हुई ज़ोर से बोली

" क्या हुआ भाई साहब, क्या अनु फेल हो गयी है?"

"अरे बहनजी शुभ शुभ बोलिये.. अपनी अनु ऑल इंडिया में फर्स्ट रैंक लेकर आयी है. ये खुशी के आँसू हैं " अनु के पापा ने आँसू पोंछते हुए सबको बताया

"बेटे जल्दी ही रिपोर्टरस् आपके इंटरव्यू के लिए आने वाले हैं.पूरे घर में जश्न का माहौल छा गया. अनु की सास का चेहरा फीका पड़ गया. सुधीर हैरान था कि दिनभर घर गृहस्थी के काम में जुटी साधारण सी अनु इतनी असाधारण कैसे हो सकती है.

थोड़ी देर में सभी पत्रकार आ चुके थे.. एक के बाद एक सवाल अनु से उसकी कामयाबी को लेकर कर रहे थे. तभी एक पत्रकार ने पूछा, "अनु सबसे पहले मैं आपको इस बहुत बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई देना चाहूँगी उसके बाद मेरा प्रश्न ये है कि आप अपनी कामयाबी में किसका हाथ सबसे ज़्यादा मानती हैं?"

"मेरी कामयाबी का पूरा श्रेय मेरे पापा को जाता है. उनका मानना ये है कि ल़डकियों को आत्मनिर्भर बनना चाहिए. उसके बाद मेरे ससुराल को इस बात का श्रेय जाता है उनके सहयोग से ही मैं इतना दृढ़ निश्चयी बन सकी. "

सुधीर और अनु की सास अनु के जवाब पर खिसिया गये थे.

सुधीर को पछतावा भी था कि उसने अनु के इस पहलू को कभी जानने की कोशिश नहीं की बस उसे घर में काम करने वाली मामूली लड़की समझता रहा. उसने तय किया कि अनु से अपने पिछले व्यवहार के लिए माफ़ी ज़रूर माँगेगा.

" सुधीर जी, आप अपनी पत्नी की कामयाबी पर क्या कहना चाहेंगे." एक पत्रकार ने सुधीर की तरफ़ रुख किया

"मैं सबसे पहले पूरे दिल से उसे उसकी कामयाबी की बधाई देना चाहूँगा. और यही कहूँगा कि दिनभर किचन में खाना बनाने वाली, परिवार के हर सदस्य का पूरा ख़याल रखने वाली हर महिला असाधारण ही होती है.बिना थके, बिना उकताए रोज़ सुबह से रात तक जिम्मेदारियों को निभाना आसान नहीं होता है.. ना जाने परिवार में हम उनके कार्यों की क्यूँ उपेक्षा करते हैं?मैं भी उनमें ही शामिल हूँ. अनु ने अपनी कामयाबी से मुझे यह एहसास कराया है कि परिवार को भी सबका ख्याल रखने वाली के सपनों को पूरा करने में अपना सहयोग देना चाहिए. विशेषकर पति को..जो उसकी खुशियों की धूरी होता है क्यूँकी निस्वार्थ भाव से वह अपनी उस धूरी के लिए अपने सपनों को खामोशी से कहीं छोड़ देती है. I'M SORRY अनु.. "सुधीर अनु को गले लगाते हुए बोला

" अनु.. मुझे भी माफ़ कर दो.. अपने स्वार्थ में तुम्हारी असाधारण प्रतिभा को मैंने कभी समझने की कोशिश ही नहीं की. बस बहू होने के फ़र्ज़ तुम पर लाद देती थी लेकिन ये भूल जाती थी कि एक लड़की जो अपने परिवार को छोड़कर एक अनजाने परिवार को अपना समझती है.. दिन रात एक करके उस परिवार की निस्वार्थ भाव से सेवा करती है तो उस परिवार के सदस्यों का भी फ़र्ज़ है कि उस लड़की के सपनों, खुशियों का ख्याल रखा जाये. तभी सच्ची चाहतें और आदर भाव बना रहता है "अनु की सास रुआँसी होकर अनु से बोली

अनु को इस अप्रत्याशित कामयाबी की ज़रा भी उम्मीद नहीं थी.. उसने मुस्कुराते हुए खुले दिल से सुधीर को और अपनी सास को माफ़ कर दिया था.अनु की शानदार कामयाबी का शानदार जश्न मनाया जा रहा था और आज सभी पूरे दिल से उसके साथ थे.



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