हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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कबीरदास

कबीरदास

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इस कहानी में "बारह बरस पीछे तो घूरे के दिन भी फिर जाते हैं" कहावत का प्रयोग किया गया है । 


स्वर्ग में बैठे बैठे कबीरदास जी बोर हो रहे थे । यहां पर करने लायक कोई काम ही नहीं था । जब वे धरती पर थे तब हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए कितने दोहे लिखे थे उन्होंने । सारी जिन्दगी दोनों समुदायों को एक करने में खपा दी थी । इतना ही नहीं जाति पाँति , छुआछूत जैसी कुरीतियों के खिलाफ भी वे जीवन पर्यन्त संघर्ष करते रहे । इन्ही कामों में व्यस्त रहने के कारण समय का पता ही नहीं चला और एक दिन यमदूत उन्हें बिना नोटिस, सम्मन दिये और बिना वारण्ट जारी किये गिरफ्तार करके ले गये । "काश, उन दिनों में सुप्रीम कोर्ट होता तो 'यमराज' जी की तानाशाही नीति के खिलाफ एक जनहित याचिका तो लगा देते । सुप्रीम कोर्ट यमराज जी की सारी हेकड़ी निकाल देता । जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट तानाशाही पर कोई न कोई तो व्यवस्था देता और वह आदेश एक नजीर बन जाता । वह नजीर कानून का काम करती । आजकल संसद नहीं, सुप्रीम कोर्ट कानून बनाता है । संसद का काम सुप्रीम कोर्ट के बनाए कानूनों की पालना कराने भर का रह गया है । लेकिन दैव ने उन्हें उस युग में पैदा किया था जब तलवार का शासन था और अभिव्यक्ति की आजादी केवल तलवार वालों को ही थी । 


अचानक कबीरदास जी के मन में एक इच्छा बलवती हो गई कि क्यों न सुप्रीम कोर्ट के शासन के समय में एक बार धरती पर जाकर देखा जाये कि उनके उपदेशों का कुछ असर हुआ है कि नहीं । उन्होंने पूरे भारत में घूम घूमकर एकता का जो संदेश दिया था उसका क्या हुआ ? छुआछूत खत्म हुई या नहीं ? कहते हैं कि बारह बरस पीछे तो घूरे के दिन भी फिर जाते हैं फिर कबीरदास जी को गये तो शताब्दियां गुजर गईं , अब तक तो इस देश का कायाकल्प हो जाना चाहिए । कबीरदास के मन में देश घूमने की तीव्र इच्छा उत्पन्न हो गई तो उन्होंने यमराज जी से अपनी इच्छा शेयर कर ली । आजकल शेयरिंग का जमाना है । लोग आजकल फोटोग्राफ, ऑडियो, वीडियो ही शेयर नहीं करते , बीवियां भी शेयर कर लेते हैं । कबीरदास जी से यमराज जी कहने लगे 

"वत्स , तुम कौन से भारत में जाना चाहते हो" ? 

यह सुनकर कबीरदास जी चौंके । उन्होंने आश्चर्य से कहा "महाराज, भारत तो एक ही था फिर कौन से भारत की बात कहां से आ गई" ? 

यमराज जी मुस्कुरा कर बोले "तब एक था मगर तुम्हारे यहां आने के बाद भारत में एक समुदाय ने अलग देश की मांग कर दी और उस मांग के कारण धर्म के आधार पर भारत का विभाजन कर दिया गया । इस प्रकार एक के बजाय दो भारत हो गये" । 

"धर्म के आधार पर ? पर प्रभो, मैंने तो हिन्दू मुस्लिम समुदाय को भाईचारे का पाठ पढाया था फिर धर्म के आधार पर दो देश क्यों बने" ? 

"सत्ता ! वत्स , सत्ता की खातिर दो देश बने । एक समुदाय ने लगभग आठ सौ साल तक इस देश पर निरंकुश होकर शासन किया था इस कारण उनमें यह भाव आ गया था कि वे तो पैदा ही शासन करने के लिए हुए हैं । जब तक उनके पास तलवार है तब तक वे शासन करते रहेंगे । दूसरे तबके ने कहा कि हमने आठ सौ सालों से गुलामी झेली है और कब तक झेलेंगे गुलामी ? बस, इसी कारण भारत के टुकड़े कर दिये" । 

"तो अब दो भारत हैं" ? 

"नहीं वत्स , अब दो नहीं अपितु तीन भारत हैं" 

" पर अभी तो आपने कहा था कि भारत के दो टुकड़े कर दिये थे तो फिर ये तीसरा कहां से आया" ? कबीरदास जी का सिर चकरा गया था । 

"वो ऐसा है पुत्र कि जब धर्म के आधार पर अलग देश चाहने वाले लोगों ने अपने ही धर्मावलंबियों के विरुद्ध अत्याचार करने प्रारंभ कर दिये तब उस नये इस्लामिक देश पाकिस्तान के भी दो टुकड़े हो गये । एक नया देश बांग्लादेश बन गया । अब बताओ, कौन से देश में जाना चाहते हो तुम" ? 

"महाराज, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तो ईशनिन्दा कानून बन गया बताया इसलिए मेरे दोहों को वे इस्लाम विरोधी करार दे देंगे और मुझे फांसी पर लटका देंगे या सिर तन से जुदा कर देंगे । इसलिए भारत ही वह जगह है जहां अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है । यहां पर प्रधानमंत्री को एक दिन में पचास गाली देकर भी मौज मनाने का अधिकार है और उसके बाद भी गाली देने वाला प्रधानमंत्री को हिटलर , तानाशाह, हत्यारा , खून का दलाल कह सकता है और बोलने की आजादी खत्म करने वाला बता सकता है । तो ऐसे देश में ही जाना चाहूंगा हजूर" । 

"जैसी तुम्हारी मर्जी वत्स । मगर मेरी एक बात ध्यान रखना , आजकल 'सिर तन से जुदा गैंग' बहुत हावी है वहां पर , उससे बच कर रहना" । 

"जो आज्ञा प्रभु" । कबीरदास जी यमराज जी के चरणों में लोट गये । 



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