Padma Agrawal

Inspirational

4.2  

Padma Agrawal

Inspirational

कायाकल्प

कायाकल्प

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ट्रि..ट्रि...ट्रि...

……………..जब से निया की सगाई हुई है , उसकी मॉम निशि और पापा अखिल रात दिन शादी की तैयारियों में बिजी रहते थे ,आज जब वह गेस्ट की लिस्ट फाइनल करनें में बिजी थीं तभी उनका मोबाइल बजा था .... 

उन्होंने मोबाइल पर अपने समधी अर्जुन जी का नाम देखा तो उन्होंने लपक कर फोन उठाया था ...

"नमस्कार भाई साहब .... कैसे याद किया "….

"कुछ खास नहीं ... आज शाम को निया फ्री है क्या ? आज शाम को ज्वेलरी और लँहगा पसंद करने के लिये यदि वह आ सके तो हम लोग प्रोग्राम फाइनल कर लें .."

"हाँ वह फ्री है ... आप टाइम बता दीजिये ... " 

"शाम को 5 बजे , आप भी साथ में आइयेगा तो अच्छा रहेगा .... "

"सिविल लाइंस के रिलायंस के शोरूम में शाम 5 बजे मैं आपका वहाँ इंतजार करूँगा ...

" जी .... हम लोग पहुँच जायेंगें .."

"नमस्कार ...... हम लोग शाम को मिलते हैं .."

निया अपने माँ बाप की इकलौती बेटी थी उसके पापा अखिल जी खूब धूमधाम से उसकी शादी कर रहे थे ... ज्वेलरी शॉप में अकेले सजल और अर्जुन जी को देख उन लोगों का माथा ठनका था सजल की माँ सरोज आंटी क्यों नहीं आई ... वह मन ही मन में सोचती रही ... जब निया ने सजल से पूछा , तो वह बोला , "मम्मी यहाँ आकर क्या करतीं ... ज्वेलरी तुम्हें पसंद करनी है...."निया चुप रह गई थी ...लेकिन उसे मम्मी जी का न आना अटपटा सा लगा था ...उसने जब भी माँ जी को देखा था , उन्हें बिल्कुल चुप चुप ही देखा था ....

शादी की गहमागहमी में वह इतनी व्यस्त रही कि कुछ सोचने का समय ही नहीं मिला... वह विदा होकर ससुराल में आई तो जब मां जी ने उसकी आरती उतारी तो चेहरे पर खुशी और रौनक के स्थान पर डर और सहमापन था .. यद्यपि कि वह भारी साड़ी और जेवरों से सजी हुईं थी लेकिन चेहरा बुझा हुआ था... एक के बाद एक रस्में होती रहीं लेकिन मां जी के चेहरे पर वही उदासी और अनजानापन छाया रहा .. चेहरे पर बहू आने का कोई उल्लास या खुशी का नामोंनिशान नहीं दिखाई पड़ रहा था ... वह जिठानी, चाची , बुआ और नंदों के साथ घिरी हुई हंसी ठिठोली में शरम से लाल हो रही थी तभी कमरे में सजल को झांकते हुए देख चाची बोलीं , ""क्यों सजल तुझे जरा देर सबर नहीं हो रहा  ... बहू तो तेरे साथ सारी जिंदगी रहेगी... हम सब तो थोड़ी देर में चले जायेंगें "’.

सजल शर्मा कर वहाँ से मुस्कुराते हुए चले गये थे ....

रिसेप्शन की भीडभाड़ समाप्त हुई तो सब लोग बैठ कर बातें कर रहे थे.... निया प्याजी रंग के जड़ाऊ लंहगे में और कुंदन के भारी से रानी हार में बहुत सुंदर लग रही थी तो सजल भी क्रीम कलर की शेरवानी और प्याजी दुपट्टे में बिल्कुल राजकुमार सा लग रहा था ....नींद से उसकी आंखें बोझिल हो रहीं थीं ... तो मुग्धा दी ने उसे कपड़े बदलने को कहा और वह गहरी नींद में सो गई थी .सुबह जब मम्मी जी कमरे में उसे जगा कर बोलीं , "निया पापा के फ्रेंड रिषभ अंकल नाश्ते पर आ रहे हैं , कल रिसेप्शन में नहीं आ पाये थे इसलिये तुम लोगों से मिलने आ रहे हैं .....तुम रेडी होकर आ जाना .... तुम्हारे लिये दूध और बदाम टेबिल पर रखा है ".... "मां जी आप कितनी अच्छी हैं ... वहां मेरी मॉम भी इसी तरह सुबह मुझे जगाती थीं..." कहते हुय़े वह अपनी सास से लिपट गई .. बहू का लाड़ दुलार पाकर सरोज जी की आँखों में खुशी के आंसू झिलमिला उठे ...

सरोज जी हड़बड़ा कर बोलीं , "तुमसे बातों में उलझ कर मेरा टाइम खराब हो गया ...मुझे किचेन में नाश्ता बनाना है .... "

"माँ जी मैं साड़ी पहनूँ या सूट ..." उसने पलंग पर सूट और साड़ी दिखाते हुय़े पूछा तो हिचकिचाते हुय़े वह "साड़ी’ बोलीं.... तभी सजल बाथरूम से बाहर आकर बोला , "मम्मा तो पूरी देहातिन हैं .... उन्हें भला क्या समझ ...मुग्धा दी से पूछो वह बतायेगी .." अपना अपमान होते देख माँ पनीली आंखों से कमरे से बाहर चली गईं ...थोडी देर में पापा अर्जुन की चिल्लाने की आवाज उसके कानों में पड़ी .." इस शर्ट के साथ ये टाई ... तुम्हें जाने कब अक्ल आयेगी ..... सारी जिंदगी तुम गँवार ही बनी रहोगी ... अपने को सुधारना ही नहीं चाहतीं ... "

पापा के चिल्लाने की आवाज से वह सहम उठी थी ... कहीं सजल भी उसके साथ ऐसे ही बोलेगा…. तो कैसे काम चलेगा ....

जब वह तैयार होकर नीचे पहुँची तो प्रशांत अंकल और आंटी आ चुके थे , उसने पैर छूकर उन लोगों से आशीर्वाद लिया ... उन्होंने बहुत प्यारा सा झुमका गिफ्ट में दिया तो वह किचेन में मां जी के पास लेकर गई ... "माँ मैं कुछ आपकी हेल्प करवा दूँ .." "नहीं बेटा ... तुम नाश्ता करो .... "

वह चुपचाप सबको नाश्ता सर्व करने लगी तभी रामू ने पनीर का परांठा लाकर प्लेट में रख दिया था ... वह तेजी से उठी और पापा को पराँठा देने लगी तो पापा बोले , "न जाने ये औरत ... कब नाश्ता बनाना सीख पायेगीं ... कुछ इडली या सैंडविच ही बना देती ..." सजल ने सुर में सुर मिलाते हुये कहा , "मेरे लिये ब्रेड टोस्टर में डाल दीजिये "....अंकल आंटी परांठा और दही स्वाद से खा रहे थे ... भाभी जी परांठा खाकर तो आज मजा आ गया ... ढोकला भी बहुत स्पंजी बना है .... वेरी टेस्टी... पर्फेक्ट...और आपका मूंग का हलवा तो कमाल बना है .... आप अपनी रेसिपी को यू ट्यूब पर डालिये ... आपका चैनल हिट हो जायेगा ... मैं सीरियसली कह रहा हूँ भाभी जी ...

"भाभी जी , मुझे तो लग रहा है कि इतना टेस्टी नाश्ता करने मुझे अब रोज रोज ही यहाँ आना पडेगा ..." कह कर वह जोर से हँस पड़े थे ....

"’मम्मी जी आज आपने मेरा फेवरेट नाश्ता बनाया ... मजा आ गया ..” सबके कमेंट सुनकर सरोज जी के चेहरे पर तनाव की जगह मुस्कान छा गई थी ... आज वह उन्हें पहली बार उन्हें मुस्कुराते हुय़े देख रही थी ....

सजल बोले ,"मम्मी पराँठा खिला खिलाकर तुम्हारी फिगर बिगाड़ कर रख देंगीं.." "

 "अभी मुझे इतना टेस्टी परांठा खा लेने दो .. बाद में देखूंगीं "....

" तो तैयार हो जाओ ...कमर को कमरा बनाने के लिये .... जैसे मम्मी ने अपनी कमर को कमरा बना रखा है वैसे ही तुम्हारी भी वह लाड़ में बना कर छोड़ेंगीं .... "’कहने के बाद वह जोर से हँस पड़ा था ....

"कुछ भी कहो , टेस्टी पनीर पराँठा खाकर मुझे तो मजा आ गया ...इतना टेस्टी मूग दाल हलवा तो मैने अपनी जिंदगी में आज पहली बार ही खाया है वाह ..वाह ..मम्मी जी ... वाह ... वाह.."

अगले ही दिन वह हनीमून पर चली गई थी वहाँ पर उसने गौर किया कि सजल या तो अपने पापा से बात करता है या अपनी बहन मुग्धा से ... अपनी माँ से वह कभी बात ही नहीं करता था ...इसलिये वह माँ जी से फोन पर बात कर लेती थी .... उसने पापा जी के लिये शर्ट और टाई खरीदा तो माँ जी के लिये एक प्यारा सा सूट लिया और लिपिस्टिक ले ली ... जब सूट वह उन्हें देने लगी तो पापा जी बोले , अरे सूट तो इन्होंने आज तक पहना ही नहीं है और लिपिस्टिक लगाना तो इन्हें आता ही नहीं ... .... यह अपने को बदलना ही नहीं चाहतीं ...गाँव की गँवारिन बन कर रहना इन्हे अच्छा लगता है .... भला अब इस उम्र में क्या सूट पहनेगीं ..... लेकिन वह समझ गईं थी कि माँ जी को कोई केयर करने वाला चाहिये ... वह सूट पहनना चाह रहीं थीं लेकिन पापा और सजल उनका उपहास बनायेंगें ,यह सोच कर वह डर रहीं थीं ...

उन्होंने कभी अपने ऊपर ध्यान ही नहीं दिया था ...हमेशा गिंजी- मुसी हुई सूती साड़ी में लिपटी रहतीं ... कभी बाल बनाया तो बनाया कभी नहीं बनाया ... बस किचेन में बिजी रहतीं उन्हें कुकिंग का शौक था ... किचेन में तरह तरह के अचार मुरब्बे और घर के बने लड़डू मठरी आदि रखे हुय़े थे

  शाम के 4 बज रहे थे और मम्मी जी अभी भी किचेन में ही थीं .."माँ जी आप आराम नहीं करतीं ....इस समय आप क्या बना रही हैं.."

"तुम्हारे पापा को मेरे हाथ की कुल्फी बहुत पसंद है , इसीलिये दूध गाढा कर रही थी .."

" माँ जी आप दिन भर सबके लिये कितनी अच्छी अच्छी चीजें बनाती रहती हैं ... अपना भी तो ख्याल रखा करिये ... जाइये आप मुँह हाथ धोकर कपड़े बदल कर तैयार हो जाइये .."

" कहीं जाना है क्या... नहीं पापा और सजल आने वाले होंगें ... आपको तैयार देखेंगें तो उन्हे अच्छा लगेगा ..." वह जल्दी जल्दी इडली गैस पर चढा कर मिक्सी में चटनी बनाने लगीं ...

"आप जाइये माँ जी .... मैं चाय कॉफी जो वह लोग लेंगें मैं बना दूंगीं ... "

वह अपने कमरे में गई और निया का लाया हुआ सूट पहना , अच्छे से जूड़ा बनाया , हल्की सी लिपिस्टिक लगा कर पर्फ्यूम भी लगा लिया था... सुंदर तो वह थी हीं ... आज वह बहुत ही अच्छी लग रहीं थीं ...

"वाउ माँ जी ... आप कितनी प्यारी लग रही हैं .... "

सजल और अर्जुन जी ऑफिस से आये तो माँ जी कुर्सी पर बैठ कर गृहशोभा पढ रही थीं ... पति को अपनी ओर अपलक निहारते हुये देख वह नर्वस हो रहीं थीं ...

"क्यों भई सास बहू की कहीं जाने की तैयारी है क्या .... आज तुम्हारी मम्मी बड़ी तैयार शैयार हैं ... "

"नहीं पापा जी ... मैं सूट लाई थी , वही माँ जी को मैने जबर्दस्ती पहनने को कहा था ..... सूट में माँ जी कितनी स्मार्ट लग रही हैं ..."

 "अर्जुन जी को चुप देख कर उनकी आँखें भर आईं ... रात दिन गँवार गँवार सुनते सुनते उनका आत्मविश्वास समाप्त हो चुका था ... उनको अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री पर भी अब तो शक होने लगा था ....

निया ने सजल से पूछा कि पापा हर समय माँ जी को इतना हिकारत से क्यों देखते हैं ? पापा कितने स्मार्ट हैं उनके सामने मम्मी एकदम गँवार लगती हैं ...

ऐसा तो नहीं है... वह सजल की बाहों के घेरे में लिपट कर सो गई थी लेकिन मन ही मन सोच लिया था कि वह माँ जी को उनका मान और सम्मान दिला कर रहेगी .

जब वह दोनों घर पर अकेली थीं तो उसने उनसे कहा, " माँ जी आप हर समय इतनी उलझी उलझी डरी डरी सी क्यों रहती हैं?’

"बेटा जब से मैं यहाँ पर ब्याह करके आई हूँ , अपने लिये बात बात पर ताने और ये गँवार है , देहातिन है और साथ में सबकी हिकारत भरी निगाहें ही झेली है ... इसीलिये अब मुझे भी लगता है कि हाँ मैं गँवार ही हूँ ...उनकी आँखों से गंगा यमुना की झड़ी लग गई थी....

निया ने उनके आंसू पोछे और प्यार से उन्हें गले लगा लिया था ... वह बच्चों की तरह फफक फफक कर थोड़ी देर रोती रहीं ... निया की आँखें भी छलक उठीं थीं लेकिन मन ही मन वह इस समस्या का निदान सोच रही थी....

वह देख रही थी कि पापा और सजल दोनों मिल कर माँ जी को नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते हैं .. उसने सजल से अकेले में कहा भी कि माँ जी का मजाक मत बनाया करो , वह बहुत ही सीधी सादी सी महिला हैं , जो पति और बेटे की खुशी के लिये ही जीती हैं उन्हें तुम्हारे प्यार और इज्जत की जरूरत है लेकिन जब पापा जी ने बोला , “ न अकल की न ही शकल की , इसे मेरे ही पल्ले से बँधना था ,” तो सजल जोर से हो हो कर हँस पड़ा था .... निया को उन लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं लगा था और वह रोष जाहिर करते हुए गुस्से में वहाँ से उठ कर कमरे में चली गई ...

जब वह दोनों ऑफिस चले गये तो निया बोली , "’माँ जी आप तैयार हो जाइये ...हम लोग बाहर जा रहे हैं ....”

“नहीं बेटा , तुम्हारे पापा को मेरा बाजार जाना पसंद नहीं है ... “

“आप डरती क्यों हैं , मैं आपके साथ में चल रही हूँ .... आप चलिये तो ....” वह उन्हें पार्लर लेकर गई , उनका हेयर स्टाइल सेट करवाया , आई ब्रो बनवा कर फेशियल करवाया... जब आइने में उन्होंने अपना चेहरा देखा तो वह स्वयं को देख कर शर्मा उठीं थीं ...

निया ने मन ही मन में निश्चय कर लिया था कि वह माँ जी की जीवन शैली का कायाकल्प करके ही रहेगी .

जब रात में सजल ऒर पापा जी लौट कर आये तो पापा जी मांजी को चोर निगाहों से देख कर बोले थे ....” निया क्या बात है ... तुम्हारी माँ जी तो सास बनते ही बदली बदली सी नजर आने लगीं हैं ...”

“देखते जाइये पापा ......”

उसने उनकी सूती साड़ियों में कलफ और प्रेस करके उनकी वार्डरोब सजा दी थी ...ऑनलाइन 6-8 सूट ऑर्डर कर दिये और कह दिया कि आप अच्छे से तैयार होकर ही किचेन में आया करिये ...

पापा जी के रुख में बदलाव दिखाई पड़ने लगा था ... अब वह पत्नी को प्यार भरी नजरों से देखने लगे थे . जब एक सन्डे को उन्होंने माँ जी से कहा , चलो हम दोनों भी कहीं बाहर डिनर के लिये चलते हैं ...तो सरोज जी की आंखों में खुशी के आँसू तैर उठे थे ... जाने कितने समय बाद वह पति के साथ बाहर जा रही थीं ... उन्होंने जाने से पहले निया के माथे को प्यार से चूम लिया था ....

एक दिन वह बोली, “माँ जी आप मूँग का हलवा की रैसिपी बताइये.... मुझे आपसे सीखना है ... “ उन्होंने अच्छी तरह से पूरी विधि बताई ... बस माँ जी आप बिल्कुल ऐसे ही बोलियेगा ... मैं आपके नाम का एक यूट्यूब चैनल बनाऊँगी उसमें आप बस जो कुछ बनायेंगीं उसका वीडियो बना कर डाला करूँगीं ... जब लोग आपको सब्सक्राइब करेंगें तो आपकी आमदनी शुरू हो जायेगी और आप की फैन फालोईंग बढ जायेगी .

..”नहीं बेटा मुझसे ये सब नहीं होगा ... “

माँ जी मैं आपकी मदद करूँगी और फिर चुपचाप से शुरू हो गया ... रसोई सरोज की ...पहले आप अच्छी तरह से तैयार हो जाओ फिर बेसन का हलवा बना कर शुरुआत करिये ... घबराहट में वह बार बार नर्वस हो रहीं थीं लेकिन जल्दी ही सही तरह से वीडियो बना कर अपने फ्रेंड्स के ग्रुप में डाल दिया इसके सिवा एक दो ग्रुप में और डाल दिया ... शाम तक काफी सारे व्यूज मिल गये ऐर कमेंट भी आये ... सरोज जी को मनमयूर तो खुशी से झूम उठा .... उनंहोंने लाड़ से निया का माथा चूम लिया ... बहू हो तो ऐसी हो जो अपनी सास को पहचान दिलाये ....... फिर क्या उनकी आत्मविश्वास बढ गया था और 2-3 दिन के अंदर वह रैसिपी का वीडियो खुद बना कर डालने लगीं थीं और निया के प्यार और सम्मान के कारण वह अपने को पहचान पाई थी ... अब हर समय उसके चेहरे पर मुस्कान छाई रहती ... वह अपने व्यक्तित्व के प्रति जागरूक हो गई थी ...अब वह पहले की तरह गँवार फूहड़ और बेचारी नहीं थी वरन् आत्मविश्वास से भरी हुई महिला थी ,जिसको जानने वाले पहचानने वाले बहुत लोग थे ... अर्जुन जी भी पत्नी के इस नये स्वरूप को देख आश्चर्यचकित थे .. वह भी अब प्रशंसा भरी निगाहों से उनकी ओर देखा करते थे ......

मम्मी आपकी बहू ने तो आपकी जिंदगी ही बदल कर रख दी ... हाँ बेटे उसने मेरे हुनर को पहचान दिलवाई ...

सरोज के जीवन में नई बहार आ गई थी ... अब वह गृहिणी के साथ साथ वर्किंग वोमेन बन गईं थीं ...

उनके जीवन में चारों ओर खुशियाँ बिखर गईं थीं और हर समय उनके मन में नई नई रैसिपी ठंडी हवा के झोंके की तरह उनके तन और मन दोनों को ही तरंगित करती रहती थी .


 


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