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Shweta Sharma

Thriller

3  

Shweta Sharma

Thriller

कातिल कौन पार्ट - 2

कातिल कौन पार्ट - 2

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पिछले भाग में आपने पढ़ा, की गांव के राघव की हत्या कर दी जाती है, ऑफिसर समीर केस की इन्वेस्टिगेशन कर रहे हैं। समीर के पास कातिल कौन है ये बताने के लिए फोन आता है और खंडहर में मिलने के लिए बुलाया जाता है, समीर, इंस्पेक्टर रमन और एक दो स्टाफ को लेकर खंडहर के लिए निकल पड़ते हैं...अब आगे पढ़िए

" सर, खंडहर तो हम पहुंच गए, पर यहां तो कोई नहीं दिख रहा, एक बार आप उसी नंबर पर दोबारा फोन लगा कर देखिए, जिससे आपको कॉल आया था।" इंस्पेक्टर रमन ने कहा।

समीर फोन लगाने ही वाला होता है, की अचानक कुछ आवाज़ आती है और वो कहता है " लगता है, झाड़ियों के पीछे कोई है वहां, चलो देखते हैं; बट बी केयरफुल।" समीर ने समझाया।

समीर और उसकी टीम झाड़ियों के पीछे जाती है, और सामने देख कर चौंक जाती है, क्यूंकि वहां कोई और नहीं बल्कि शालू की पड़ोसन और सहेली प्रीति और गांव के प्रधान का सोलह साल का बेटा सूरज होता है और वो दोनों भी पुलिस को देख कर चौंक जाते हैं

" प्रीति, तुम यहां क्या कर रही है और ये कौन है?" समीर ने पूछा।

" साहब ये गांव के प्रधान के बेटे हैं।" कुछ हकलाते हुए प्रीति ने जवाब दिया।

" वो तो ठीक है, पर तुम दोनों यहां खंडहर में कर क्या रहे हो?" कुछ कड़कती आवाज़ में रमन ने पूछा।

अबकी बार जवाब सूरज ने दिया " सर वो शालू भाभी जी के साथ जो हुआ, बहुत बुरा हुआ; अभी उन्हें पैसों की जरूरत होगी; इसलिए थोड़े पैसे देने चला आया; अभी तो वो निकल नहीं सकती घर से, इसलिए यहां प्रीति दीदी को पैसे देने चला आया;ये शालू भाभी को दे देंगी; पापा को इसलिए नहीं बताया, क्यूंकि वो कंजूस है, मुझे भी पैसे देने नहीं देते, बस उन्हें किसी तरह पता ना चले इसलिए यहां पैसे देने आया।" सूरज ने बताया

" ये कहानी ना किसी और को सुनाना, हम बेवकूफ दिखते हैं क्या तुम्हें; जो तुम्हारी बातों में आएंगे; बहुत महान समझ रहा है अपने आपको।" चिल्लाते हुए रमन दहाड़ा।

" शांत रहो, रमन तुम; और देखो सूरज, तुम अगर इसी काम से आए हो, तो बहुत अच्छी बात है, पर याद रखना ये बात झूठी निकली, तो अच्छा नहीं होगा, अगर कुछ जानते हो इस मर्डर के बारे में, या फिर कोई और बात है, तो अभी भी बता दो।" समीर ने पूछा।

" नहीं सर, जो बताया है; सच बताया है और मैं मर्डर के बारे में कुछ नहीं जानता कि किसने किया, क्यों किया?" सूरज ने जवाब दिया।

" और प्रीति, तुम कुछ बताना चाहती हो, अगर तुम जानती हो कुछ, दोबारा पूछ रहा हूं।" समीर ने पूछा।

" नहीं साहब, आपको पहले भी बताया था, की मैं कुछ नहीं जानती।" प्रीति ने जवाब दिया।

" ठीक है, अभी तुम दोनों जाओ और हां मिस्टर, क्या नाम है तुम्हारा?" समीर ने पूछा।

" सर, सूरज चौधरी।" सूरज ने बताया

" हां तो सूरज, तुम कल थाने आ जाना, तुमसे कुछ जनरली पूछताछ करनी है।" समीर ने कहा।

" जी सर, अब हम जा सकते हैं?" सूरज ने पूछा।

" हां, अब तुम दोनों जाओ।" समीर ने कहा और वो दोनों चले जाते हैं।

" सर, मुझे तो इन दोनों पर शक है, अरे पैसे देने आया, वो भी खंडहर में, गांव में भी दिए जा सकते थे और आप भी कुछ सख्ती से नहीं पूछते, आपको अभी इन्हे थाने ले जाना चाहिए था।" रमन ने कहा।

" हमारा एक गलत कदम, हमें कातिल से दूर कर देगा और फिर कोई ठोस सबूत भी नहीं है, इसकी कहीं हुई बात सही भी हो सकती है और गलत भी; वैसे यहां इन दोनों का आना मुझे भी कुछ जमा नहीं, खैर इन दोनों पर नजर रखी जाए, हो सकता है, कुछ हाथ आ जाए।" समीर ने कहा।

" ठीक है सर, और आप फोन उस कातिल बताने वाले को फोन करके देखिए।" रमन ने कहा।

" हां, करता हूं।" समीर बोला और फोन लगाता है, पर फोन नहीं लगता।

" फोन स्विचआफ ऑफ़ बता रहा है, ढूंढो आस पास; शायद डर की वजह से अब सामने नहीं आ रहा हो।" समीर ने आशंका जताई।

" जी सर," और सब ढूंढने लगते हैं, पर कोई हाथ नहीं आता।

" सर, कोई नहीं मिला, मैंने तो आपको पहले ही कहा था, की कोई मजाक कर रहा होगा।" रमन ने कहा।

" पर क्या करें, फोन को इग्नोर भी नहीं किया जा सकता था ना, चलो चलते हैं अब।" समीर ने कहा।

" हां सर, चलिए।" रमन ने कहा। और सब वहां से चले जाते हैं।

to be continued


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