काश ! काश! 0.18
काश ! काश! 0.18


गौरव से सब बातें सुनते हुए नेहा सोच रही थी कि क्या उसने अलग रहकर गलती की है? क्या इसी से नवीन से ये भूलें हुईं हैं? उसके मन में विचार आया कि जब वह साथ थी तब भी तो नवीन ने, रिया मैम के अकेले में मिल जाने पर गलत कोशिश की थी। यह सोचते हुए नेहा ने नवीन से अलग रहने के अपने निर्णय को पुनः एक बार सही माना था।
अगर नवीन की खराबियों पर वह आपत्ति नहीं करती तो नवीन के दुस्साहस बढ़ते ही जाने थे। आज सभी बुरी बातों के बीच कम से कम यह अच्छी बात तो है कि अब नवीन, अपने किए को बुरा मानने लगा है। वह अपनी बुराई को स्वीकार तो कर रहा है।
एकाएक नेहा के मन में प्रश्न आया कि नवीन ने आज जो गौरव को बताया है क्या वही सच है या सच्चाई कुछ और है? नेहा विचार कर रही थी तब गर्विता ने कहा -
अब जब जीजू, इतना सब देख, सोच एवं समझ पा रहे हैं तब आगामी समय में उन्हें, बच्चों एवं दीदी से मिलने यहाँ आते-जाते रहना चाहिए।
नेहा ने अपने संशय पर यह सोचते हुए कि अगर नवीन उससे मिलता रहे तो अभी भी वह सच्चा है या नहीं, यह अधिक दिनों छुप नहीं पाएगा, गर्विता से कहा -
जैसा गौरव ने बताया है, मेरे जॉब लगने पर बधाई देने के लिए आज जब नवीन का कॉल आएगा तब मैं उससे कहूंगी कि वह अवकाश वाले दिनों में बच्चों से मिलने आ सकता है और चाहे तो उन्हें कहीं घूमने के लिए साथ भी ले जा सकता है।
गौरव ने कहा - हाँ दीदी, यह ठीक रहेगा। जीजू यदि ऐसा करते हैं तो उनके लिए आगे के दो माह बिता पाना सरल हो जाएगा।
इन दो महीनों में पहली बार उस दोपहर, नेहा के मोबाइल पर नवीन के कॉल की रिंग टोन बजती सुनाई दी थी। बच्चे सो रहे थे अतः नेहा कॉल रिसीव करते हुए बैठक कक्ष में आ गई थी। नवीन कह रहा था -
नेहा, गौरव से सभी बातें तुम को पता चल गईं होंगी। इन्हें जानने से, एक बार फिर तुम्हारा मन दुखी हुआ होगा। मैं फिर तुमसे क्षमा माँगता हूँ। मेरा विश्वास करो कि अब आगे कभी मैं ऐसे बुरे काम नहीं करूंगा।
नेहा ने कहा - जब आप भूल को भूल स्वीकार करने लगे हैं। उसके लिए कोई बहानेबाजी नहीं कर रहे हैं तब मुझे विश्वास हो रहा है कि आगे आप जिम्मेदार पति और पिता के तरह कर्म एवं आचरण कर पाएंगे।
नवीन ने नेहा से कहा - तुम्हारे लैब अटेंडेंट की नौकरी के लिए बहुत बहुत बधाई। अपनी योग्यता से कम की नौकरी के लिए तुम मेरे कारण विवश हुई हो। मुझे आशा है कि तुम्हें आगे इससे अच्छे अवसर मिल सकेंगे।
नेहा ने यह सुनकर हँस दिया था। फिर पूछा - जिस लड़की के बारे में आपने, गौरव को बताया है क्या उसका नाम एवं नं. मुझे दे सकते हो?
नवीन ने कहा - उसका नाम एवं नं. जानकर तुम क्या करोगी?
नेहा ने कहा - आगे कभी उससे मिलकर, मैं उसकी जरूरतों को समझने और हो पाई तो मदद की कोशिश करुँगी।
नवीन ने तब चाहे गए विवरण नेहा को दे दिए थे। जिन्हें नेहा ने नोट कर लिया था। अगली शाम नेहा, बच्चों को लेकर पास के पार्क में आई थी। बच्चे वहाँ स्लाइड, झूले पर खेलने लगे तो वह सामने की बेंच पर बैठकर उन्हें देख रही थी। साथ ही वह मोबाइल पर व्हाट्सएप मैसेज देखने लगी थी। फिर विचार करते हुए उसने एक कॉल लगाया था।
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इधर मैं (रिया) नेहा की बताई बातों के बाद यह जानने को उत्सुक थी कि गौरव, नवीन से मिलने गया भी था या नहीं। अगर दोनों मिले थे तो उनमें क्या बातें हुईं थीं। क्या नेहा के पड़ोस की महिला की बताई बातें सच थीं।
नवीन के ट्रैक रिकार्ड्स को जानने से मुझे लगता था कि यदि नवीन सच में घर में कॉलगर्ल बुलाने लगा था तो गौरव के द्वारा पूछे जाने पर, वह बहानेबाजी और झूठ का सहारा लेकर अपने को निर्दोष बताने का प्रयास करेगा।
उस शाम मैं ऑफिस से अपेक्षाकृत कुछ अधिक थकी हुई आई थी। ऋषभ को आने में समय था। बच्चों को मैंने प्यार किया था। उनकी चाही भोज्य सामग्री उन्हें दी थी। अपने लिए कॉफी बनाई थी। फिर दोनों बच्चे जब अपने स्कूल से मिली एक्टिविटीज करने में व्यस्त हो गए थे तब मैं सोफे पर बैठकर इत्मीनान से कॉफी पी रही थी। तभी मोबाइल पर कॉल की रिंग सुनाई दी थी। शायद ऋषभ होंगे सोचकर मोबाइल उठाया तो कॉल उनका नहीं नेहा का दिखा था।
मैं स्वयं पर अचंभित हुई थी। मुझे अभी ऋषभ की अपेक्षा नेहा का कॉल आना अधिक अच्छा लग रहा था। मैंने रिसीव करते ही पूछा - नेहा तुम अच्छे से तो हो, ना? क्या गौरव, नवीन से मिलने जा भी पाया या नहीं?
नेहा मेरी अधीरता को देख कर हँसी थी। फिर उसने कहा - हाँ मैम, गौरव, नवीन से मिल आया है।
मैंने पूछा - नवीन अब आ रहा है ना, तुम्हें और बच्चों को साथ लिवा ले जाने के लिए? पड़ोसन के द्वारा तुमसे कही बातें झूठी हैं, ना?
दो दो प्रश्न एक साथ पूछते हुए, मुझे अपने अधैर्य पर अचरज हो रहा था। नेहा पुनः हँसने लगी थी। हँस चुकने के बाद उसने बताया -
पड़ोसन ने देखी और मुझे बताईं सभी बातें सच हैं। मैंने आपको यह बताने के लिए कॉल किया है कि नवीन अभी हमें वापस साथ ले जाने के लिए नहीं आ रहा है।