Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy Inspirational

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Tragedy Inspirational

काश ! काश ! 0.07

काश ! काश ! 0.07

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नेहा दीदी ने बताना जारी रखते हुए कहा -

रिया मैम से मैंने, नवीन की मुझे बताई घटना कही थी। फिर पूछा था कि नवीन की सहकर्मी होने से क्या, उन्होंने कार्यालय में ऐसी कोई गॉसिप सुनी है। इसे सुनकर वह, मुझे तिलमिलाई प्रतीत हुई थी। रिया ने मुझे बताया कि -

घटना हुई है मगर उसमें दोषी, नवीन की सहकर्मी विवाहित युवती नहीं, नवीन है। ऑफिस में ऐसी कोई चर्चा नहीं है। फिर भी उस घटना को वे जानती हैं क्योंकि नवीन की करतूत की पीड़िता स्वयं वे थीं। 

उस दिन ऑफिस से लौटते समय उनकी स्कूटी खराब होने पर उन्होंने जब अपने घर जाने के लिए नवीन से, उसकी बाइक पर लिफ्ट ली थी तब नवीन ने लगभग निर्जन एक स्थान पर, उनके हाथ पकड़ कर प्राणप्रिया कहते हुए, उनसे प्यार होने की बात कही थी। 

नवीन के प्रति, रिया के आदरपूर्ण व्यवहार का नवीन ने, गलत ढंग से लाभ लेने का प्रयास किया था। नवीन से, रिया ने अपने को किसी तरह से छुड़ाया और बचाया था। 

रिया के बताने पर मैंने उनसे शिकायत की थी कि जब हम सखी भी हैं तो यह बात, उन्होंने मुझसे क्यों छुपाए रखी थी। रिया ने इसके उत्तर में बताया था कि घटना की जानकारी उसने, उसी रात अपने पति ऋषभ को दी थी। ऋषभ ने, हमारे परिवार तथा मेरी खुशी पर इस घटना से प्रतिकूल बुरा प्रभाव न पड़े, इस दृष्टि से रिया को यह सब कुछ मुझसे नहीं बताने के लिए कहा था। रिया ने मुझे यह भी बताया कि वह कभी, मुझसे यह सब नहीं कहती मगर चूंकि नवीन ने, नाम लिए बिना रिया के ही चरित्र हनन करने का कुत्सित प्रयास किया है अतः उसे राज खोलना पड़ा है। 

नेहा कुछ पल मौन (पॉज) हुई थी। उसके बाद उसके चेहरे पर दृढ़ता और गंभीरता के भाव प्रकट हुए थे। तब उसने आगे बताया - 

उसी रात मैंने, मन में तय किया कि नवीन को सबक देना आवश्यक है। अगली सुबह मैं नवीन को, उसकी बुराई अनुभव करने और सुधार करने के लिए दो महीने का समय देकर, अपने इस घर में आ गई हूँ। 

गौरव और गर्विता अब तक मौन रहकर, दीदी की बताई जा रही आप बीती सुन रहे थे। नेहा बताकर चुप हुई तब, अब तक किसी तरह धैर्य रखी हुई गर्विता ने अधीरता दर्शाते हुए कहा - 

दीदी, जीजू की एक छोटी बुराई पर, आपकी यह इतनी कड़ी प्रतिक्रिया मुझे अनुचित लगती है। आजकल ऑफिसेस में साथ काम करते हुए किन्हीं सहकर्मी पुरुष-महिला में आपसी समझ की चूक में ऐसी बात हो जाती है। आपको, जीजू को आगाह करते हुए क्षमा कर देना चाहिए था। 

गर्विता की कही यह बात, दीदी से अधिक गौरव को अखर गई थी। वह जानता था कि नेहा दीदी का उनके साथ रहने आना, गर्विता को पहले दिन से ही अच्छा नहीं लग रहा है। अपनी इसी चिढ़ के वशीभूत गर्विता यह अदूरदर्शी बात कह रही है। दीदी, कुछ कहती उसके पूर्व गौरव ने कहा - 

गर्विता, बिना सोचे समझे कोई बात कहना ठीक नहीं होता है। तुम्हीं बताओ, नवीन जीजू जैसी हरकत, मैं किसी लड़की के साथ करके आऊं तो जो तुमने अभी कहा है, क्या वैसा ही एक्ट तुम कर पाओगी?

गौरव का ऐसा कहना गर्विता के लिए अप्रत्याशित था। उसका चेहरा सफेद पड़ गया। गर्विता की हुई विषम स्थिति को नेहा ने भाँप लिया था। उसे बड़ी बहन के साथ ही ननद के दायित्व स्मरण थे। वह भाई-भाभी के बीच विवाद (Conflict) नहीं चाहती थी। उसने बात को सम्हालने की कोशिश में कहा - 

गर्विता, तुम गौरव की बात को अनसुना कर दो। मैं जानती हूँ यह कभी ऐसा नहीं करेगा फिर भी कभी करे तो तुम इसे दंडित अवश्य करना कि इसने अपनों बड़ों के अच्छे संस्कार ग्रहण क्यों नहीं किए हैं। 

गर्विता को इन दिनों में पहली बार दीदी अच्छी लगीं थीं। उन्होंने, गौरव के सामने, गर्विता का पक्ष लिया था। उसके मुख पर अपेक्षित अनुकूल भाव आते देखकर नेहा को संतोष हुआ था। तब उसने कहा - 

मैंने, नवीन के साथ ऐसा शायद नहीं किया होता। गर्विता के कहे अनुसार ही शायद मैं, नवीन को क्षमा भी कर देती मगर इस सबके बीच मेरे विक्षुब्ध होने के कारण अन्य थे। 

गौरव ने पूछा - दीदी, आप हमें वह बताओ। मैं भी तो समझ पाऊं कि ऐसी घटनाओं पर आप जैसी एक गरिमामय पत्नी के दृष्टिकोण क्या होते हैं।

तब नेहा ने कहा - मुझे इस पूरे हादसे में सबसे अधिक व्यथित कर देने वाली बात यह लगी थी कि नवीन ने जिस पर खोटी दृष्टि रखी एवं उसकी अस्मिता भंग करने का प्रयास किया, वह युवती रिया मेरी फ्रेंड ही नहीं, एक ऐसी युवती है जो अपने घर-परिवार, बच्चों में सुखी है। रिया एक संभ्रांत वह पत्नी है जो अपने पति के लिए प्रेम में समर्पित और संतुष्ट है। 

नवीन ने ऋषभ-रिया के बीच तकरार का प्रसंग उपस्थित कर दिया था। तब भी यह बहुत अच्छा रहा कि रिया के पति ऋषभ ने उन पर विश्वास ही नहीं किया अपितु अपनी निर्दोष पत्नी को, जो अनायास ही एक बुरे पुरुष की कामुक प्रयास के शिकार होने से बच पाई थी, के मन में ग्लानि बोध को अपने प्रेमपूर्ण व्यवहार और साथ से मिटा दिया था। पता है गर्विता, नवीन पर मेरी इस कड़ाई के मूल में यही नहीं, एक और बात क्या है ?

यह प्रश्न नेहा ने, गर्विता से जानबूझकर किया था। वह चाहती थी कि गौरव के बात से आहत उसके मन को वह मलहम लगाए। गर्विता भी अपनी तरफ से सामान्य होने को इच्छुक थी। गौरव की बात को विस्मृत सा करते हुए गर्विता ने कहा - 

जी दीदी वह भी बताइए, मैं समझना चाहती हूँ कि मेरे अभी कहे गए शब्द क्यों अनुचित थे। वह कारण भी मुझे पता होना चाहिए।

नेहा ने प्यार से गर्विता के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा - मेरी प्यारी भाभी, वह कारण यह है कि नवीन ने, ऋषभ जैसे उस सज्जन व्यक्ति की पत्नी की गरिमा भंग करने का प्रयास किया जो उस बुरी करतूत के बाद भी, मेरे (अर्थात नवीन के) दांपत्य जीवन में अशांति नहीं चाहता है। ऋषभ ने न केवल अपनी पत्नी रिया का आत्मबल बढ़ाया अपितु यह भी कोशिश की थी कि नवीन की हरकत का प्रतिकूल बुरा प्रभाव मुझ पर और मेरे बच्चे पर न पड़े। 

अब गर्विता पूरी तरह सामान्य हुई थी। उसने अपनी भूल अनुभव करते हुए कहा - जी हाँ, दीदी अगर वे इतने अच्छे लोग हैं जो उनके भी हितैषी हो जाते हैं जिनसे उनके स्वयं के सम्मान और सुरक्षा पर आशंका होती है तब तो नवीन जीजू ऐसे ही सबक दिए जाने के पात्र होते हैं। 

आपने हम लोगों के साथ रहने आने का, सर्वथा उचित निर्णय लिया है … 


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