Ratna Sahu

Drama Inspirational

4  

Ratna Sahu

Drama Inspirational

जो बोया वो पाया

जो बोया वो पाया

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"अरे रीना ! जल्दी से सामान पैक कर लो गांव चलना है, ताई जी का फोन आया था। उन्होंने जितना जल्दी हो सके आने को कहा है।"

"देखो रवि, तुम्हें जाना है तो जाओ पर मैं नहीं जा रही। मेरा मन नहीं कर रहा उस घर में जाने का।"

"मैं जानता हूं तुम्हारा मन नहीं कर रहा लेकिन ताई जी के जगह अगर मेरी या तुम्हारी मां होती तब भी तुम मना करती? नहीं न! देखो मुझे लगता है जरूर कोई बड़ी बात है ताई जी की आवाज बहुत भारी लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई गंभीर समस्या हो। मैंने कई बार पूछा पर उन्होंने बताया नहीं। बस जल्द से जल्द आने को कहा।"

रीना भारी मन से बैग पैक करने लगी तब तक रवि ने कैब बुला लिया।

कैब में बैठे रवि मन-ही-मन सोचने लगा सच में यह 'जिंदगी बडी़ अजब-गजब है।' हम जिस दिशा में लेकर जाना चाहते हैं जिंदगी उस दिशा में जाती ही नहीं। सोचते कुछ है, होता कुछ और है। सोचते हुए अतीत में चला गया। आज से 10 साल पहले 1 दिन रवि ने कहा, "ताऊ जी कब से प्रतियोगिता परीक्षा में बैठ रहा हूं लेकिन सफल नहीं हो पा रहा। मुझे ऐसा लगता है कि मैं परीक्षा पास नहीं कर पाऊंगा। अब मेरी शादी भी हो चुकी है कल को अगर परिवार बढे़गा तो मैं उसे कहां से पालन-पोषण करूंगा। कब तक आप पर निर्भर रहूंगा? तो आप मेरी कुछ मदद करिए मैं पढ़ाई छोड़कर बिजनेस करना चाहता हूं।"

"अरे, लेकिन मैं इतनी पूंजी तुम्हें कहां से दूं ?"

"नहीं ताऊजी, आप पूंजी मत दीजिए। मेरे पिताजी जो संपत्ति मेरे लिए छोड़ कर गए हैं, वही बेचकर मुझे दे दीजिए।"

"अरे वाह! अपने बलबूते कमाकर बिजनेस करने के बजाय बाप-दादा की संपत्ति बेचने लगे। मैं नहीं बेचूंगा। वह मेरी पैतृक संपत्ति है। फिर कैसी संपत्ति? तुम्हारे पिताजी सारी संपत्ति मेरे नाम कर गए थे। बदले में उन्होंने कहा था तुम्हारी देखभाल करने के लिए।"

"ताऊ जी, आप मेरी मदद नहीं करेंगे तो मैं कैसे आगे बढूंगा? आप थोड़ी मदद तो कीजिए।"

तब ताऊ जी कुछ पैसे हाथ में रखते हुए बोले, "जो करना है, जैसे करना है इतने में ही करो इससे ज्यादा मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।"

इधर ताई जी भी बहुत नाराज हो रहे थी कि कल का दूध पीता बच्चा जिसे अपने हाथों से पाला-पोसा, खिलाया-पिलाया अब वही हिस्सा मांग रहा है। मैंने तो इसे अपना समझा था पर ये क्यों मुझे अपना मानेगा?

रवि समझ गया कि इन्हें संपत्ति देने का मन नहीं है। वह अपनी पत्नी के गहने बेचकर और कुछ दोस्तों से उधार लेकर एक छोटी सी कपड़े की दुकान खोली। पत्नी ने कहा कि आप कानून की मदद लीजिए आपको पिताजी की संपत्ति मिल जाएगी। तब रवि ने कहा कि नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैं बहुत छोटा था तब मेरे माता-पिता चल बसे, तब से इन्होंने ही मेरी देखभाल की है।

इधर ताऊ जी के दोनों बेटों को पता चला रवि के पैसे देने के बारे में तो घर में आए दिन झगड़ा होने लगा। एक दिन ताऊ जी ने गुस्से में आकर बोले, तुम्हारी वजह से ही घर में इतना झगड़ा हो रहा है और घर से निकल जाने को कहा।

जब वो गांव से शहर आया था तो मन में यही सोचा था कि अब कभी गांव नहीं जाऊंगा। सच में इन 10 सालों में कभी गांव नहीं गया और ना ही गांव से किसी ने आने को कहा और आज अचानक ताई जी ने क्यों बुलाया, क्या हुआ होगा?

तभी ड्राइवर ने कहा, "सर, हम पहुंच गए।"

रवि घर के अंदर गया तो देखा ताऊ जी खाट पर लेटे हैं। बहुत ही कमजोर, शरीर के नाम पर एक ढांचा मात्र रह गया था, ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे। ताई वहीं उदास बैठी थी। रवि को देखते ही रोने लगी।

"ताऊ जी, ये क्या हो गया आपको?"

"बेटा, जो बोया वह पाया। मैंने तुम्हारे साथ जो अन्याय किया उसका फल भगवान ने दे दिया मुझे।"

उनका शरीर लकवा ग्रसित हो गया था। जिससे शरीर का एक हिस्सा टेढा हो गया था । वो काफी दिनों से खाना नहीं खा रहे थे, बस दूध, फलों का रस और पानी पीकर ही रह रहे थे। वो भी दोनों बेटा-बहू समय से नहीं देते।

"ताऊ जी, आप हमारे साथ शहर चलिए। मैं, वहां आपका इलाज करवाऊंगा।"

"नहीं बेटा, अब नहीं! अब तो मैं बस कुछ दिनों का मेहमान हूं। बेटा मैंने तुम्हें इसलिए बुलाया है कि तुझे तेरी संपत्ति दे दूं। बेटा मुझे माफ करना मैंने तुम्हें झूठ कहा था कि तुम्हारे पिताजी संपत्ति देकर गए थे। सच तो ये है कि तुम्हारे पिताजी के जाने के बाद मैंने अपने पिताजी से जबरदस्ती सारी संपत्ति अपने नाम करवा ली। जिस बेटे के लिए इतना बड़ा पाप किया वह बेटा आज देखना भी नहीं चाहता।" इतना बोल वह रोने लगे। फिर वकील को बुलाकर रवि की जो संपत्ति थी उसके नाम कर दिये।

"बेटा एक बात कहूं ?"

"जी कहिए ना।"

"बेटा, मेरे जाने के बाद हो सके तो अपनी ताई जी को किसी वृद्धाश्रम में छोड़ देना। क्योंकि मैं जानता हूं मेरे दोनों बेटे में से कोई इसे नहीं देखेगा।"

"नहीं ताऊ जी, आप ऐसा मत कहिए मैं हूं ना।"

अगली सुबह ही ताऊजी चल बसे। 13वीं के बाद दोनों भाई आपस में बहस करने लगे, मां किसके साथ रहेगी, कौन रखेगा मां को ? रवि ने कहा, "तुम दोनों चिंता मत करो मां मेरे साथ चल रही है।"


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