Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

“ जन्माष्टमी की एक झलक आर्मी में ”

“ जन्माष्टमी की एक झलक आर्मी में ”

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जो चहल कदमी और उल्लास के साथ फौजी अपना जन्माष्टमी मानते हैं उसकी झलक मुझे कम ही कहीं देखने को मिली। हाँ , सोशल मीडिया में भगवान कृष्ण के फोटो को पोस्ट करने की प्रक्रिया बड़ी तीव्र गति से प्रचलित होने लगी है। व्हाट्सप्प ,फेसबूक ,इंस्टाग्राम और मैसेंजर में तो भगवान कृष्ण ही छाए हुए हैं। पर मंदिरों में तनिक भी हर्ष -उल्लास देखने को नहीं मिलते। हम लोगों को अपने मिलिटरी अस्पताल में जन्माष्टमी मनाने का एक अलग ही अंदाज़ होता था। अस्पताल के कामन्डैन्ट आनेवाले जन्माष्टमी के विषय में चर्चा “ सैनिक सम्मेलन “ (सैनिक दरबार) में ही कर देते थे। सैनिक दरबार की बातें खत्म होने के बाद जन्माष्टमी की चर्चा के लिए सभी कनिष्ठ पदाधिकारी और और सेक्शन कमैन्डर की बैठक कंपनी कमैन्डर के नेतृत्व में होती थी। कंपनी कमैन्डर खुले शब्दों में कहते थे ,---“ आज से ठीक दस दिनों के बाद हमरे अस्पताल में “ जन्माष्टमी ” मनाया जाएगा। हरेक सेक्शन के कनिष्ठ पदाधिकारियों को अलग -अलग जिम्मेवारी दी जाएगी। प्रसाद बनाने की जिम्मेवारी Cook Section को ,Physiotherapy Section मंदिर की सजावट , Ambulance Section सारा प्रशासन, रख रखाव और Security का ख्याल रखेगा, प्रसाद वितरण का भार Operation Theatre वालों को ,M T Section अपनी गाडिओं से सारे Family को उनके Quarter से लाएंगे और प्रोग्राम के बाद उनको सही सलामत घर पहुँचायेंगे, बिजली और जनरेटर का भार EME के ERE को दिया जाता है और Education के मास्टर जी को PA Equipment की जिम्मेवारी दी जाती है। किसी को कोई शक ? ” किसी का कोई पॉइंट रहता था तो वे खड़े होकर अपनी बातें रखता था अन्यथा यह सम्मेलन समाप्त हो जाता था। सब अपने- अपने कामों में लग जाते थे। पर अस्पताल के कार्यों में व्यवधान ना होने पाये। वो दिन आ गए। जन्माष्टमी के दिन मंदिर सज गए। चारों तरफ मंदिर और बाहरी गेट तक कालीन बिछा दिए गए। सुंदर सा चमकता प्रवेश द्वार बन गया। बिजलियों से मंदिर जगमगा उठा। जगह -जगह पानी का बंदोबस्त किया गया। तौलिया और साबुन भी रखे गए। भजन मंडली में अपने ही लोग और अस्पताल सक्षम रोगी ने भी भाग लिया। Religious Teacher (पंडित) जी के देख- रेख में भगवान कृष्ण के लिए झूला बनाया गया। देखते- देखते शाम 8 बजे से लोग एकत्रित होने लगे। परिवार भी पहुँचने लगे। कीर्तन -भजन का माहौल तो तो 8.30 से प्रारंभ हो गया। धीरे -धीरे सारे लोग पहुँचने लगे। अस्पताल के जितने डॉक्टर थे उनके आने का समय 11.30 रात्रि को था। क्योंकि अस्पताल के Commandant 11.45 में आएंगे। और ठीक Commandant महोदय 11.45 में पहुँच गए। कुछ कीर्तन मंडली में फिर एक स्फूर्ति की लहर दौड़ी और भजन कीर्तन फिर प्रारंभ हो गया। 5 मिनट के बाद पंडित जी का प्रवचन हुआ। कृष्ण भगवान की कथा सुनायी गयी। 12 बजे रात्रि में 15 सेकंड के लिए सारी बिजलियाँ बंद कर दी गयी। और बिजली आते ही श्री कृष्ण भगवान का जन्म हो गया। चारों तरफ शंखनाद होने लगे। “ भय पकट कृपाला दीनदयाला ” आरती गीत सबने मिलकर गाया। प्रसाद सबों को दिया गया। Commandant महोदय ने दूसरे दिन के लिए ADM DAY दे दिया। लोग सारे खुश हो गए। हमलोगों ने सबको विदा किया। जितने लोग आज के दिन उपवास पर थे उनके लिए मेस में शुद्ध भोजन बना था। सबने खाया और अपने अपने घर चले गए। दूसरे दिन सब Close कर दिया गया। एक दिन के बाद इस सफलता के लिए Company Commander ने सबको शाबासी दी


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