जिंदगी में गलत तरीके से नहीं जीतना
जिंदगी में गलत तरीके से नहीं जीतना
एक बार एक दौड़ हो रही थी सभी खिलाड़ी दौड़ रहे थे यह विश्वस्तरीय दौड़ थी उसमें एक खिलाड़ी जीत रहा था। सभी लोगों ने देखा कि वह लगभग जीत ही गया क्योंकि उसके पीछे वाला खिलाड़ी बहुत पीछे था, अचानक उसे कुछ गलतफहमी हो गई पीछे वाले खिलाड़ी को लगा कि वह अब दौड़ छोड़ देगा क्योंकि अंतिम प्वाइंट की गलतफहमी के कारण वह ऐसा कर रहा था। पीछे वाला खिलाड़ी चाहता तो उसका फायदा उठाकर जीत सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और आगे वाले खिलाड़ी को चिल्लाकर सावधान किया और बताया कि यह अंतिम बिंदु नहीं है अंतिम बिंदु आगे है आप दौड़ जारी रखो। इस बात से वह खिलाड़ी सचेत हो गया और अंततः वह जीत गया। पिछला खिलाड़ी जिसने उसे चेताया था वह हार गया जब दौड़ पूरी हो गई तो जीतने वाले खिलाड़ी ने उसका धन्यवाद दिया और पूछा कि मेरी गलतफहमी का फायदा उठाकर आप जीत सकते थे लेकिन आपने ऐसा न कर मुझे जीतने के लिए क्यों चेताया। उस खिलाड़ी ने जबाव दिया दोस्त जीत आपकी थी आप जीत रहे थे यदि मैं गलत तरीके से जीत भी जाता तो मैं अपने आपको कभी माफ नहीं कर सकता था। दुनिया मुझे कहती कि वह जीत का अधिकारी नहीं था तथा गलत तरीके से जीता मेरी मां को कभी मेरे ऊपर गर्व नहीं होता, वह भी मुझे माफ़ नहीं करती मेरे दोस्त भी मेरे ऊपर गर्व न करके मुझे गलत साबित करते। इतने लोगों को मैं कैसे समझाता कि मेरी जीत सही थी अतः मैंने इस समय वही कार्य किया को सही था। आप जीत के अधिकारी थे आपको ही जीत मिली। उस खिलाड़ी के इतना कहने के बाद जीतने वाले खिलाड़ी ने उसे गले लगा लिया और कहा कि आपने मुझे आज जीत का सही अर्थ सीखा दिया आपने बता दिया जीत वही होती है जो हमें हमारी मेहनत से मिले तथा जिसके हम हकदार है अन्यथा गलत तरीके से जितने से अच्छा है कि हम हार जाए। इस कहानी से जीत की सही शिक्षा हमें मिलती है।