Dr. Pradeep Kumar Sharma

Drama Inspirational

2.1  

Dr. Pradeep Kumar Sharma

Drama Inspirational

जीवन के रंग

जीवन के रंग

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"मां जी, आप ये क्या कह रही हैं ? आपको तो सब पता है, फिर भी ?"

"हां बहू, मुझे सब कुछ पता है, इसीलिए तो कह रही हूं। तेरा पति सीमा पर शहीद हो गया, इसमें तुम्हारा क्या दोष ? देखो बहू, तुमने अगर अपना पति खोया है, तो मैंने भी अपना एक बेटा खोया है। आज तुम जहां खड़ी हो, 25 साल पहले मैं भी वहीं खड़ी थी। तुम्हें तो पता है कि तुम्हारे ससुर जी भी सीमा पर...।"

"....."

"खैर छोड़ो पुरानी बातें... तुम्हारे पेट में हमारे परिवार की तीसरी पीढ़ी आकार ले रहा है। ऐसे में रोना-धोना और उदासी ठीक नहीं। तुम्हारे मम्मी-पापा और मेरे छोटे बेटे रमन से भी मेरी बात हो गई है। अगली बार छुट्टी पर आएगा, तो शुभ मुहूर्त देखकर तुम दोनों की शादी करा देंगे। हम सब चाहते हैं कि हमारा बेबी जब इस दुनिया में आंखें खोले, तो उसके मम्मी-पापा सामने हों। इसलिए आज मैंने होली खेलने के लिए अपनी सभी पड़ोसिनों को भी बुला लिया है।"

ऐसा कहकर मां जी ने अपनी बहू पर ढेर सारा गुलाल लगा दिया। सभी महिलाएं खुशी से मुस्कुरा उठीं और बहु शर्माते हुए पल्लू से मुंह छुपाने लगी।



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